11 जून को सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में पुलिस हिरासत में लिए कुछ युवकों को बेरहमी से पीटते हुए दिख रही थी. दावा किया गया था कि वीडियो सहारनपुर के कोतवाली थाने का है पर पुलिस ने इससे इनकार किया था. अब भी पुलिस का कहना है वह वीडियो की सत्यता की पुष्टि कर रही है, वहीं मजिस्ट्रेट अदालत ने वीडियो में दिख रहे आठ लोगों को सबूतों के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है.
नई दिल्ली: पिछले महीने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद यूपी पुलिस की वर्दी पहने कर्मियों द्वारा आठ लोगों को बेरहमी से पीटने का वीडियो वायरल हुआ था. अब इनमें से 8 लोगों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है.
भाजपा के अपदस्थ नेताओं- नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के पैगंबर मोहम्मद संबंधी बयान के खिलाफ हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और इस मामले में 80 एफआईआर दर्ज हुई थीं.
मामले में मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश गिरफ़्तारी के लगभग एक महीने बाद आया है. यह आदेश दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169, जो साक्ष्य की कमी से संबंधित है, के तहत जारी किए गए. ये सभी लोग 3 जुलाई रविवार को जेल से बाहर आ गए.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उनके रिहा होने का मतलब है कि उनके नाम अब उस एफआईआर में नहीं होंगे जो पैगंबर पर भाजपा नेताओं की टिप्पणी के विरोध में प्रदर्शन करने वाले 85 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में मोहम्मद अली भी शामिल हैं, जिनका हाथ पिटाई के दौरान टूट गया था.
मोहम्मद आरिफ, जिनके भाई मोहम्मद आसिफ को भी गिरफ्तार किया गया था, ने पुष्टि की कि उनका भाई घर लौट आया है.
द वायर से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘ये सब गरीबों को कुचलने के लिए था. हमारे भाई को छुड़वाने की कवायद में हम कर्ज में आ गए. कैसे परिवार चलाएंगे? जब घर का एक कमानेवाला जेल में होगा और दूसरा पाई-पाई लगाकर उसे छुड़वाने में लगा होगा?’
इस मामले को प्रो-बोनो देख रहे आरोपियों के वकीलों की टीम के एक सदस्य एडवोकेट सलीम खान ने आदेश की पुष्टि की और उन लोगों की सूची साझा की, जिन्हें रिहा किया गया है. उन्होंने कहा कि बीस दिन से अधिक तक ये बेगुनाह लोग जेल में रहे.
गौरतलब है कि गिरफ्तारियों के बाद हिंसा के कई आरोपियों के परिजनों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे.
मालूम हो कि 11 जून को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था, जिसमें पुलिस हिरासत में कुछ युवकों को बेरहमी से पीटे जाते हुए देखा जा सकता था.
दावा किया गया था कि वीडियो सहारनपुर जिले के कोतवाली थाने का है. हालांकि, पुलिस लगातार इन दावों को ख़ारिज करती रही लेकिन फिर वीडियो में दिख रहे लोगों के परिजन सामने आए और बताया कि वीडियो सहारनपुर का ही है.
भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, जो पत्रकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं, ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा था ‘दंगाइयों को यूपी पुलिस का ‘रिटर्न गिफ्ट …’ अब यह वीडियो और ट्वीट डिलीट कर दिया गया है.
.@Uppolice this is the tweet of BJP MLA .@shalabhmani which after I quoted has been deleted. Though the tweet he has deleted but the mentality which he possesses is to be tackled legally. Before he deleted the tweet had gone viral and retweeted and liked by thousands. https://t.co/QeTgvJwlpT pic.twitter.com/I5yvo1MPgI
— Adv. Somnath Bharti: इंसानियत से बड़ा कुछ नहीं! (@attorneybharti) June 11, 2022
हालांकि आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती ने इसका स्क्रीनशॉट साझा किया था. पुलिस ने वीडियो को लेकर सवाल उठाए थे और कहा था कि वे जांचेंगे कि वीडियो कहां का है.
अब सहारनपुर के एसपी राजेश कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि जांच चल रही है.
इस बीच प्रदेश में इन विरोध-प्रदर्शनों के बाद मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों को हिंसा का मास्टरमाइंड बताते हुए प्रशासन ने उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, जो अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन- विशेष रूप से हिरासत में यातना- के मामलों की जांच के लिए बना एक संवैधानिक निकाय है, ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है. आयोग में इस मसले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई गई थी, लेकिन उसकी स्थिति ज्ञात नहीं है.
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