2021 में वैश्विक भुखमरी में इज़ाफ़ा, 2.3 अरब लोगों को भोजन जुटाने में मुश्किल हुई: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से इसे लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाना चाहिए कि दुनिया भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने के अपने प्रयासों में पीछे जा रही है. सबसे हालिया उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ खुराक का ख़र्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 11.2 करोड़ बढ़कर लगभग 3.1 अरब हो गई.

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(प्रतीकात्मक फोटो रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से इसे लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाना चाहिए कि दुनिया भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने के अपने प्रयासों में पीछे जा रही है. सबसे हालिया उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ खुराक का ख़र्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 11.2 करोड़ बढ़कर लगभग 3.1 अरब हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र: वर्ष 2021 में विश्व में भुखमरी की स्थिति में इजाफा हुआ और लगभग 2.3 अरब लोगों को भोजन सामग्री जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ऐसा उस यूक्रेन युद्ध से पहले हुआ जिसने अनाज, उर्वरक और ऊर्जा की लागत में वृद्धि की है. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आई है.

रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व स्वास्थ्य संगठन और कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष- के प्रमुखों ने कहा, ‘विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति’ 2021 के आंकड़ों के आधार पर एक गंभीर तस्वीर पेश करती है.

इसमें कहा गया है कि आंकड़ों से ‘इसे लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाना चाहिए कि दुनिया भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने के अपने प्रयासों में पीछे जा रही है.’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सबसे हालिया उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ खुराक का खर्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 11.2 करोड़ बढ़कर लगभग 3.1 अरब हो गई, जो (कोविड-19) महामारी के दौरान उपभोक्ता खाद्य कीमतों में वृद्धि के प्रभावों को दर्शाती है.’

उन्होंने चेतावनी दी कि 24 फरवरी को शुरू हुआ यूक्रेन में युद्ध आपूर्ति शृंखला को बाधित कर रहा है और अनाज, उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों को और प्रभावित कर रहा है.

इसके परिणामस्वरूप 2022 की पहली छमाही में अधिक मूल्य वृद्धि हुई है. साथ ही, उन्होंने कहा, ‘तेजी से होने वाली और भीषण जलवायु से जुड़ी घटनाएं भी आपूर्ति शृंखला को बाधित कर रही हैं, खासकर कम आय वाले देशों में.’

यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया के गेहूं और जौ का लगभग एक तिहाई और सूरजमुखी के तेल का आधा उत्पादन करते थे. वहीं, रूस और उसका सहयोगी बेलारूस दुनिया में पोटाश के नंबर 2 और 3 उत्पादक हैं. पोटाश उर्वरक का एक प्रमुख घटक होता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में रिपोर्ट लॉन्च करते हुए कहा, ‘यूक्रेन में संकट के परिणामस्वरूप हम खाद्य, ईंधन और उर्वरकों में वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी देख रहे हैं, जिससे दुनिया भर के देशों को अकाल में धकेलने का खतरा है. परिणामस्वरूप अभूतपूर्व वैश्विक अस्थिरता, भुखमरी और बड़े पैमाने पर पलायन होगा.’

उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम के नवीनतम विश्लेषण से पता चलता है कि रिकॉर्ड 34.5 करोड़ लोग गंभीर भुखमरी के कगार पर जा रहे हैं और 45 देशों में 5 करोड़ लोग अकाल से सिर्फ एक कदम दूर हैं.

एक वास्तविक खतरा है कि आने वाले महीनों में अकाल का सामना करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी, बेस्ली ने विश्व नेताओं से इस आसन्न तबाही को रोकने के लिए कार्य करने का आग्रह किया.

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि 2019 से 2020 की तुलना में धीमी गति से 2021 में अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र में भुखमरी की स्थिति में इजाफा हुआ है.

इसमें कहा गया, ‘2021 में भुखमरी ने अफ्रीका में 27.8 करोड़, एशिया में 42.5 करोड़ और लातिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्रों में 5.65 अरब लोगों को प्रभावित किया.’

संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्य 2030 तक अत्यधिक गरीबी और भुखमरी को समाप्त करने का आह्वान करते हैं, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमानों से संकेत मिलता है कि दुनिया की 8 प्रतिशत आबादी – लगभग 67 करोड़ लोग – दशक के अंत में खाद्य सामग्री जुटाने में मुश्किल का सामना कर रहे होंगे. यह उतने ही लोग हैं जितने 2015 में तब थे, जब लक्ष्य अपनाए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य असुरक्षा में लैंगिक अंतर, जो कोविड​​​​-19 महामारी के दौरान बढ़ गया था, में 2020 से 2021 तक और भी बढ़ोतरी हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में पांच वर्ष से कम उम्र के 4.5 करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे घातक रूप से जूझ रहे हैं. इसके अलावा पांच वर्ष से कम आयु के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध है, चूंकि उन्हें आहार में पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं.

पांच एजेंसी प्रमुखों ने कहा कि सबूत बताते हैं कि अगर सरकारें अपने संसाधनों को भोजन के उपभोक्ताओं को प्राथमिकता देने के लिए पुनर्निर्देशित करती हैं और पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन और आपूर्ति के लिए प्रोत्साहन देती हैं तो वे सभी के लिए पौष्टिक आहार को कम खर्चीला और अधिक किफायती बनाने में मदद करेंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह है कि सरकारें इस बात पर पुनर्विचार करना शुरू कर दें कि वे अपने मौजूदा सार्वजनिक बजट को पौष्टिक खाद्य पदार्थों की लागत को कम करने और पौष्टिक आहार की उपलब्धता और सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए उन्हें अधिक लागत प्रभावी और कुशल कैसे बना सकती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)