जम्मू कश्मीर में इस्लामिक विद्वानों और प्रचारकों की शीर्ष संस्था मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा की ओर से कहा गया है शासकों तथा प्रशासन से संगठन दोबारा अपील करता है कि श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ के संबंध में बाधाएं नहीं डाली जाएं, ताकि मुसलमान बिना किसी रुकावट के यहां अल्लाह की इबादत कर सकें, यह कश्मीर में प्रार्थना का सबसे बड़ा स्थान है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में इस्लामिक विद्वानों और प्रचारकों की शीर्ष संस्था मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन से शुक्रवार की नमाज जामिया मस्जिद में अदा करने की अनुमति देने की अपील की.
एमएमयू की एक बैठक में सर्वसम्मति से पारित एक प्रस्ताव में उसके संरक्षक और कश्मीर के शीर्ष धार्मिक नेता मीरवाइज मोहम्मद उमर फारूक की पिछले तीन वर्षों से ‘गैरकानूनी हिरासत’ पर चिंता व्यक्त की गई और सरकार से उन्हें रिहा करने की अपील की गई.
पारित प्रस्ताव में कहा गया, ‘मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा इस प्रस्ताव में शासकों तथा प्रशासन से दोबारा अपील करता है कि श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के संबंध में बाधाएं नहीं डाली जाएं, ताकि मुसलमान बिना किसी रुकावट के यहां अल्लाह की इबादत कर सकें, यह कश्मीर में प्रार्थना का सबसे बड़ा स्थान है.’
गौरतलब है कि अगस्त 2019 से मस्जिद अधिकतर वक्त बंद ही रही है. कोरोना वायरस संक्रमण के कारण भी इसे बंद रखा गया था.
एमएमयू ने पिछले तीन वर्षों से अपने संरक्षक और कश्मीर के शीर्ष धार्मिक नेता मीरवाइज मोहम्मद उमर फारूक की अवैध हिरासत पर भी नाराजगी व्यक्त की और सरकार से उन्हें रिहा करने का आग्रह किया.
एमएमयू ने फारूक की नजरबंदी पर कहा कि उन्हें ‘मनमाने और अवैध तरीके से हिरासत’ में लिए जाने के कारण उसके सभी काम ठप है.
प्रस्ताव में सरकार से फारूक को ईद उल जुहा के मौके पर शीघ्र रिहा करने की मांग की गई ताकि वे सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन कर सकें.
कश्मीर में वर्तमान सामाजिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए, एमएमयू ने कहा कि उसे लगता है कि समाज के सर्वांगीण सुधार की सख्त जरूरत है.
इसमें कहा गया है, ‘शादी और अन्य समारोहों में फिजूलखर्ची स्पष्ट है और इसे कम करने की जरूरत है. हमें जीवन के सभी मामलों में पैगंबर मोहम्मद की परंपरा का पालन करना चाहिए.’
प्रस्ताव में लोगों से ईद-उल-अजहा को सादगी से और इस्लामी परंपरा के अनुरूप मनाने का भी आह्वान किया गया. शुक्रवार को कश्मीर की सभी मस्जिदों में प्रस्ताव पढ़ा जाएगा.
मालूम हो बीते अप्रैल महीने में ईद के दौरान जम्मू कश्मीर प्रशासन श्रीनगर स्थित ईदगाह मैदान या ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज के लिए शर्तें लगाईं थी. जिसको लेकर मस्जिद प्रबंधन समिति ने निराशा जताई थी.
बीते पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने तथा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने की घोषणा के बाद भी श्रीनगर के नौहट्टा स्थित जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज बंद कर दी गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)