उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के शंकर पटखौली और महराजगंज ज़िले के सोहवल गांवों में प्रशासन की तरफ़ से अवैध क़ब्ज़े का आरोप लगाते हुए क़रीब 50 परिवारों को घर छोड़ने और हज़ारों रुपये का जुर्माना भरने को कहा गया है.
कुशीनगर: कुशीनगर और महराजगंज जिले के दो गांवों में कई पीढ़ियों से रह रहे करीब चार दर्जन लोग अपने घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की दहशत के साए में जी रहे हैं. दोनों जगहों पर इन लोगों को ग्राम सभा की जमीन पर अवैध कब्जा का आरोप लगाते हुए जुर्माना भरने और जगह खाली करने की नोटिस दिया गया है. तमाम कोशिशों के बावजूद इन गरीब परिवारों को कोई राहत नहीं मिली है.
कुशीनगर जिले के तमकुहीराज तहसील के शंकर पटखौली गांव के दो दर्जन से अधिक लोगों को दो माह पहले तसीलदार की ओर से नोटिस मिली कि ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा करने के कारण वे जुर्माना भरे और जगह खाली कर चले जाएं. यह नोटिस मिलते ही लोगों को समझ में ही नहीं आया कि बाप-दादा के समय से रह रहे ये लोग कैसे अवैध कब्जेदार हो गए.
इन दोनों महीनों में इन लोगों ने तहसील से लेकर स्थानीय विधायक और गोरखपुर स्थित मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय तक काफी भागदौड़ की लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. क्षेत्रीय विधायक ने कह दिया कि उनका घर टूटेगा ही, वहीं, सीएम के कैंप ऑफिस ने फरियाद सुन ग्रामीणों को वापस भेज दिया.
इसी बीच, तहसील से रोज आ रहे राजस्वकर्मियों की धमकी-चेतावनी से डरकर एक महिला ने अपनी झोपड़ी खुद उजाड़ दी जबकि एक रिहाइश को राजस्वकर्मियों ने ध्वस्त कर दिया.
रहवासियों ने कहा- पीढ़ियों से रहते आए हैं, तो अवैध कैसे हो गए
शंकर पटखौली के मल्हूरी टोली में तीन दर्जन से अधिक परिवार माली बिरादरी के हैं. दो परिवार गोड़ बिरादरी के हैं जो अनुसूचित जाति में आते हैं. एक परिवार कोइरी बिरादरी का है. सभी बेहद गरीब परिवार हैं और दैनिक मजदूर के तौर पर काम करते हैं. माली बिरादरी के लोग कस्बों में फूल और सब्जी बेचने का काम कर जीवन गुजारते हैं.
इनमें से अधिकतर लोग मनरेगा में जॉब कार्ड धारक हैं और मजदूरी करते हैं. इनमें से दो दर्जन से अधिक परिवारों को तमकुहीराज तहसील से नोटिस मिला है. नोटिस मिलने के बाद से इन लोगों को बुलडोजर से अपने आशियाने को ढहाने का खतरा सता रहा है.
विश्राम के घर में मां, एक विशेष तौर पर सक्षम भाई, पत्नी और बच्चे रहते हैं. उन्हें सरकारी योजना में आवास बनाने के लिए धन मिला था जिससे उन्होंने घर बनवाया. वे फूल बेचकर और मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं.
विश्रााम बताते हैं कि उनके बाबा यहां रहते थे, तबसे उनका यह आशियाना है. उन्हें नहीं मालूम कि जिस जमीन पर उनका घर है उसकी क्या नवैइयत (स्थिति) है. नोटिस मिलने के बाद उन्हें पता चला कि उनका घर बंजर की जमीन पर है. उन्हें 48 हजार रुपये के जुर्माने का नोटिस मिला है.
विश्राम ने बताया, ‘तहसील से राजस्वकर्मी रोज गांव में आ रहे हैं और दबाव बना रहे हैं कि जुर्माने की रकम जमा कर दें और घर खाली कर दें नहीं तो घर और खेत पर लाल झंडी लगा दी जाएगा. मवेशी, दोपहिया वाहन जब्त कर लिया जाएगा और घर को बुलडोजर से गिरा दिया जाएगा.’
उन्होंने बताया, ‘हम लोग गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय भी गए और अपनी व्यथा कही. वहां से हमारा आवेदन ले लिया गया और कहा गया कि सुनवाई होगी लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली है. राजस्व कर्मी कह रहे हैं कि इसी हफ्ते गांव में बुलडोजर आ जाएगा.’
इसी गांव के महेंद्र को 32 हजार रुपये के जुर्माने का नोटिस आया है. उनकी पत्नी गीता सैनी ने बताया कि बेदखली के डर से वह कई रातों से सो नहीं पा रही हैं. हर रोज राजस्व अमीन गांव आ रहे हैं और घर खाली करने और जुर्माना भरने को कह रहे हैं.
वो कहती हैं, ‘हम पति अपने तीन बेटों और बहू के साथ इस घर में रह रहे हैं. सास-ससुर भी यहीं रहते थे. इतने बरसों यहां रहने के बाद अचानक हम अवैध कब्जाधारी कैसे हो गए?’
‘जुर्माना नहीं देंगे तो भी घर टूटेगा और देंगे तो भी घर टूटेगा’
हीरा माली से जब मुलाकात हुई तो वे गांव में मनरेगा से हो रहे काम में मजदूरी कर लौटे ही थे. बेहद चिंतित दिख रहे हीरा और उनकी पत्नी ने 8,200 रुपये जुर्माने का नोटिस दिखाते हुए कहा कि वे 50 वर्ष से अधिक समय से यहां रह रहे हैं. ‘सिर्फ एक कट्टा खेत है. मजदूरी और खेती कर जिंदगी चलाते हैं. हम तो दो जून की रोटी के मोहताज हैं, जुर्माने की रकम कहां से भरेंगे? हमारे पास कहीं और जमीन भी नहीं है कि वहां रहने के लिए चले जाएं.’
ओमप्रकाश गौड़ की भी यही स्थिति है. उनको 32 हजार रुपये जुर्माना भरने को कहा गया है. उनसे अमीन ने कहा कि जुर्माने की रकम नहीं भरी तो उनका खेत लाल झंडी लगाकर जब्त कर लिया जाएगा. घर तो टूटेगा ही.
बच्ची देवी को 1,28,000 रुपये के जुर्माने का नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि अमीन ने उनसे कहा कि जुर्माने की रकम तो भरनी ही होगी. जुर्माना नहीं देंगी तो भी घर टूटेगा और देंगी तो भी घर टूटेगा.
रोते हुए बच्ची देवी ने कहा, ‘हम लोग सब्जी बेचकर गुजारा करते हैं. इस समय मेरे पति सब्जी बेचने गए हैं. यही बात हमारे आस-पास रहने वाले लोगों से भी कही गई है. हम विधायक सुरेंद्र सिंह कुशवाहा से मिलने गए तो उन्हें कहा कि घर टूटेगा तो टूटेगा.’
राजमती को 32 हजार जुर्माना की नोटिस मिला है. उन्होंने जब तहसील से आए राजस्व कर्मी से पूछा तो उसने कहा कि ‘आपके घर गांव सभा के जमीन पर बनल बा. जेतना दिन ये पे रहल बांटीं, ओतना दिन के हमके पइसा चाहीं. पइसा नाहीं जमा होई त उजाड़-पजाड़ होई.’
राजमती सवाल करती हैं, ‘मनरेगा में काम करे वाला आदमी एतना पइसा कहां से जमा करी. हमार सास-ससुर भी इहें रहत रहलन. आज तक केहू नाहीं कुछ कहल. अब अइसन का हो गईल कि हमन के उजाड़ल जाता.’
राजमती के पास खड़ी वृद्ध कलावती बोलीं, ‘जबसे इ नोटिस आइल बा अनाज नाहीं घोटाता. अखियां से लोर गिरत बा. हमन के अब कहां जाइल जाई. एतना उमर हो गइल, अइसन अन्याय नाहीं देखलीं.’
सुशीला देवी तनिक तीखे स्वर में सवाल करती हैं, ‘हम लोग अवैध रूप से बसे हैं तो सरकार ने हमें इस जमीन पर आवास और शौचालय कैसे दिया? हर चुनाव में हमसे काहे वोट मांगने आया ? घर टूट जाएगा तो हम लोग कहां जाएंगे?’
शंकर पटखौली के जिन लोगों को बेदखली की नोटिस मिले हैं उनमें से हीरा सैनी, मुन्ना सैनी, सुशीला, सुरसती, रामनक्षत्र को सरकारी आवास व शौचालय भी मिले हैं.
सुशीला देवी के पति सच्चिदानंद के नाम 1.28 लाख रुपये के जुर्माने का नोटिस आया है. सुशीला देवी ने बताया, ‘मेरे पति को सही से दिखाई नहीं देता है. चार बेटियों के साथ इस घर में रहती हूं. नोटिस मिलने के बाद जब हम लोग अपने विधायक से मिलने गए थे तो उन्होंने बहुत रूखे स्वर में कहा कि जमीन खाली करना होगा. अमीन कहता है कि जुर्माने की रकम जमा करने के बाद भी घर टूटेगा.’
गांव के ओमप्रकाश को 32,800, रामनक्षत्र को 48,000, रामजी को 64,000, महेंद्र को 8,200, हीरा को 8,200, प्रमोद को 8,200, बनारसी को 1,92,000, सुरसती को 16,400, गिरजाशंकर को 16,400, लक्षुमन को 8200, दीनानाथ को 32,000 तथा झूरी को 8200 रुपये जुर्माने का नोटिस मिला है.
सभी के नोटिस में लिखा गया है कि उन्होंने ‘गांव सभा की संपत्ति को नुकसान/दुर्विनियोजन और अवैध अध्यावसन किया. इसके लिए 41 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से जुर्माना देना होगा. नोटिस में 15 दिन में अध्यावसन को हटा लेने की चेतावनी देते हुए कहा गया है कि नोटिस तालमी के 15 दिन में जुर्माने की रकम जमा कर दें और उपस्थित होकर स्पष्ट करें कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध राजस्व संहिता 2006 के अधीन उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की जाए.’
‘नज़र नहीं आता, चश्मा बनवाने का पैसा नहीं है, जुर्माना कहां से देंगे’
इसी गांव के दीनानाथ सैनी को 32 हजार रुपये जुर्माने की नोटिस आया है. उन्होंने कहा कि वे आबादी की जमीन पर बसे हैं, इसके बावजूद उन्हें नोटिस भेजा गया है और जमीन खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है. गांव के लोगों के साथ दीनानाथ सैनी भी मुख्यमंत्री के कैंप ऑफिस गए थे.
उन्होंने बताया, ‘वहां हमारी दरख्वास्त रख ली गई और कहा गया कि कार्रवाई के बारे में सूचना दे दी जाएगी लेकिन अभी तक हम लोगों को वहां से कोई खबर नहीं मिली है. दो दिन पहले अमीन आया और उसने कहा कि जुर्माने की रकम भर कर घर खाली कर दो नहीं तो सभी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी. अब आप बताइए कि गरीब आदमी कहां जाएगा. बाबा-दादा के जमाने से यहां रह रहे हैं. दुकानों पर फूल देकर गुजर बसर करते हैं.’
लक्षुमन पर राजस्वकर्मियों ने इस कदर दबाव बनाया कि पांच जुलाई को उन्होंने अपने हाथों से अपनी झोपड़ी को उजाड़ दिया. अब सारा सामान गांव में एक व्यक्ति के घर रखा हुआ है. उनकी पत्नी ज्ञानती देवी ने बताया, ‘दोनों बहुएं नैहर चली गई हैं. मवेशियों को रखने की जगह नहीं है. उजड़ी झोपड़ी में धूप में मवेशी रह रहे हैं. पति गारा-माटी का काम करते हैं. मुझे आंख से कम दिखाई देता है. डाॅक्टर ने चश्मा बदलने को कहा है लेकिन पैसा नहीं है कि चश्मा बनवा सके. ऐसे में अब जुर्माने की रकम कहां से भरें?’
शंकर पटखौली गांव के गरीबों के बेदखली की कार्रवाई के बारे में जब तमकुहीराज के तहसीलदार मान्धाता प्रसाद सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘गांव के एक व्यक्ति ने काफी पहले शिकायत की थी कि गांव सभा की जमीन पर कब्जा कर लोग रह रहे हैं. इस पर सुनवाई कर और स्थलीय निरीक्षण के बाद नोटिस जारी किए गए. सरकारी जमीन की मालियत (कीमत) के पांच प्रतिशत वार्षिक की दर से जुर्माने की नोटिस जारी किए गए हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जिन जमीन पर ये लोग बसे हैं वह जमीन बंजर और पोखर की है. उसे हर हाल में खाली कराया जाएगा.’
उन्होंने जोड़ा, ‘कई पुश्तों से रह रहे इन लोगों को बसाने का न कोई आदेश है और न कोई कानून. इस तरह की कार्रवाई कई गांवों में की गई है. रोज हमारा बुलडोजर अवैध कब्जों को हटा रहा है. तहसील में प्रतिदन 50 से 70 हजार रुपये जुर्माने की रकम भी जमा हो रही है.’
महराजगंज में भी हो रही है समान कार्रवाई
इसी तरह की कार्रवाई महराजगंज जिले के सोहवल गांव में भी की जा रही है. इस गांव के भी 23 लोगों को शंकर पटखौली की तरह जुर्माने और बेदखली के नोटिस मिले हैं. यह गांव गोरखपुर और महराजगंज जनपद की सीमा पर भटहट से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है.
इस गांव के रमेश यादव और उनके भाई उग्रसेन यादव को भी नोटिस मिले हैं. रमेश यादव ने बताया, ‘दोनों भाई करीब ढाई डिस्मिल जमीन पर घर बनवाकर एक साथ रहते हैं. यहीं हमारे पिता और दादा भी रहे थे. इतने सालों बाद हमें बताया जा रहा है कि हमने गांव की छह सड़क पर कब्जा कर रखा है. आप बताइए कि यदि हमने सड़क पर कब्जा किया होता तो लोग इतने वर्षों से आ-जा कैसे रहे हैं?’
उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले अवैध कब्जे की शिकायत पर एक घर को गिरा दिया गया. इसके बाद उन लोगों को नोटिस मिला.
उन्होंने बताया, ‘हम लोग अपने वकील के जरिये पैरवी कर रहे हैं लेकिन राजस्वकर्मी रोज गांव आकर जमीन खाली करने और जुर्माना जमा करने को कह रहे हैं. गांव के कुछ लोगों ने जुर्माने की रकम जमा की है. मैंने और मेरे भाई ने एक-एक हजार रुपये तहसील में जमाकर रसीद कटवाई हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे जमीन को गलत ढंग से राजस्व अभिलेख में छंवर (रास्ता) दर्ज कर दिया गया है. तहसील प्रशासन को चाहिए कि वह अभिलेख सही करे लेकिन उल्टे वह पुश्तों से यहां रह रहे लोगों को उजाड़ने पर आमादा है.’
रमेश यादव ने बताया कि वे लोग भी इसकी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री के कैंप दफ्तर गए थे.
गांव के प्रधान विश्वविजय मिश्र ने बताया, ‘गांव में कई लोगों को नोटिस मिला है. जिस जमीन पर ये लोग बसे हैं, उस जमीन को रास्ता दिखा दिया गया है. हम अपने स्तर से कोशिश कर रहे हैं कि लोग बेदखल न हों. सभी गरीब परिवार है. यदि इस तरह लोगों को हटाया जाएगा तो आधा गांव ही खाली हो जाएगा.’
सोहवल गांव में जुर्माने कीके नोटिस के बारे में महराजगंज के तहसीलदार सदर राजेश कुमार ने कहा, ‘जिन लोगों को नोटिस मिले हैं, वे सभी ग्राम सभा की जमीन पर काबिज है. उनसे क्षतिपूर्ति भी वसूली जाएगी और कब्जा भी हटाया जाएगा. ऐसा कोई आधार नहीं है कि उन्हें वहां रहने दिया जाए.’
शंकर पटखौली और सोहवल गांव की तरह कई गांवों में प्रशासन के बुलडोजर अवैध कब्जे के नाम पर कई पीढ़ियों से बसे लोगों को उजाड़ रहे हैं. प्रशासन कह रहा है कि ये लोग ग्राम सभा की बंजर, पोखर, नवीन परती, खलिहान पर कब्जा किए हुए हैं. कई पीढ़ियों से बसे इन लोगों को पता भी नहीं कि जिस जमीन पर उनकी झोपड़ी, कटरैन या कच्चा-पक्का मकान बना है, उसकी सही स्थिति क्या है? उन्हें तो बस इतना मालूम है कि वे अपने बाप-दादा के जमीन और घर में रह रहे हैं. उजाड़े जा रहे परिवारों में अधिकतर गरीब और कमजोर हैं और किसी तरह अपनी गुजर-बसर कर रहे हैं लेकिन इसकी चिंता न तो सरकार को है न प्रशासन को.
सरकार-प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई की जद में आ रहे ग्रामीण गरीबों के आंखों से बह रह आंसू देखने और उनकी व्यथा को सुनने वाला कोई नहीं है. शंकर पटखौली गांव की गीता और सुशीला कहती हैं, ‘कुछ नाहीं बुझात बा. केहू साथ देवे वाला नइखे. अब त हमन के इहे इंतजार बा कि बुलडोजर आवे और हमन के घर में दबा के मुआ दे. सरकार के शांति मिल जाई.’
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)