अमरनाथ यात्रा: जिस जगह पिछले साल बाढ़ आई थी, इस साल वहीं तीर्थयात्रियों के टेंट लगवाए

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते 8 जुलाई को अमरनाथ में जिस स्थान पर बाढ़ आने से 16 लोगों की मौत हुई है, वह एक सूखी नदी का तल है और इसी जगह पिछले साल भी बाढ़ आई थी. यह जानकारी होने के बावजूद अधिकारियों ने उसी जगह श्रद्धालुओं के लिए टेंट लगवाए और लंगर की अनुमति दी.

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जम्मू कश्मीर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर के पास बादल फटने से आई बाढ़ में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई है और 40 लोग लापता है. (फोटो: ट्विटर/@KashmirPolice)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीते 8 जुलाई को अमरनाथ में जिस स्थान पर बाढ़ आने से 16 लोगों की मौत हुई है, वह एक सूखी नदी का तल है और इसी जगह पिछले साल भी बाढ़ आई थी. यह जानकारी होने के बावजूद अधिकारियों ने उसी जगह श्रद्धालुओं के लिए टेंट लगवाए और लंगर की अनुमति दी.

जम्मू कश्मीर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर के पास बादल फटने से आई बाढ़ के बाद जारी राहत और बचाव कार्य. (फोटो: ट्विटर/@KashmirPolice)

जम्मू कश्मीर: अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार को आई बाढ़ के संबंध में आई एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि जिस जगह इस बार हादसा हुआ है, इसी जगह बीते वर्ष जुलाई में भी बाढ़ आई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बावजूद भी इस साल तीर्थयात्रियों के लिए उसी जगह पर टेंट लगा दिए गए.

बता दें कि अमरनाथ में बीते 8 जुलाई शुक्रवार को बादल फटने से बाढ़ आ गई थी जिसकी चपेट में तीर्थयात्रियों के कई लंगर और टेंट आ गए थे, जिसमें अब तक कम से कम 16 लोगों को मौत हो चुकी है और 20 से अधिक घायल हैं व कई लापता हैं.

एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि पिछले साल 28 जुलाई को आई बाढ़ में किसी की मौत नहीं हुई थी क्योंकि 2021 में कोविड-19 महामारी के चलते यात्रा संपन्न नहीं हुई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक तीर्थयात्रियों के लिए टेंट उसी बाढ़ क्षेत्र (चैनल) में लगाए गए थे, जिसे सूखी नदी के तल के तौर पर भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए किया गया ताकि एक बार में ज्यादा से ज्यादा तीर्थयात्रियों को ठहराया जा सके.

इसके साथ ही इस सूखी नदी के तल से लंगर चलाने की भी अनुमति दी गई.

मामले की जानकारी रखने वाले राज्य के एक अधिकारी ने बताया, ‘यह अच्छी तरह से पता था कि वहां के वाटर चैनल में बाढ़ का खतरा है, लेकिन फिर भी योजना बनाते वक्त पूरी तरह से सोच का अभाव देखा गया, विशेषकर कि साल के इस वक्त मौसम को लेकर. मुख्य कोशिश सिर्फ बढ़ी हुई संख्या (श्रद्धालुओं की) दिखाने की थी.’

पिछले साल की बाढ़ के बाद आए राज भवन के बयान में कहा गया था, ‘श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड, पुलिस और सेना की एक संयुक्त टीम ने तेजी से कार्रवाई करते हुए नाले के पास मौजूद सभी कर्मचारियों को निकाल लिया है. मानव जीवन या संपत्ति के नुकसान की सूचना नहीं है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पवित्र गुफा मंदिर सुरक्षित है. माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की, जिन्होंने उन्हें वर्तमान स्थिति और अधिकारियों, पुलिस व सेना की संयुक्त टीम द्वारा किए गए प्रयासों के संबंध में जानकारी दी.’

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल श्राइन बोर्ड ने सूखी नदी के तल में पानी को बहने से रोकने के लिए दो फीट ऊंची पत्थर की दीवार बनाई थी. लेकिन बाढ़ वाले दिन कुछ ही सेकेंड में पानी दीवार के ऊपर से निकलकर तंबुओं (टेंट) में पहुंच गया.

यात्रा की व्यवस्थाओं से परिचित सूत्रों ने बताया कि इससे पहले 2019 और उसके पहले भी टेंट इस जगह से दूर लगाए जाते थे.

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सभी आधिकारिक बैठकों में पिछले साल और 2015 की बाढ़ पर चर्चा हुई थी और अपेक्षित जल स्तर के आधार पर एहतियाती कदम उठाने का फैसला हुआ था लेकिन शुक्रवार को जो पानी धारा में बहकर आया, वह सभी आकलनों और गणनाओं से परे था.