सेलम ज़िले के पेरियार विश्वविद्यालय में एमए इतिहास के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के प्रश्न-पत्र में पूछा गया था कि कौन-सी नीची जाति तमिलनाडु से संबंधित है. इसके बाद जाति उन्मूलन के लिए लड़ने वाले द्रविड़ विचारक पेरियार के नाम पर बने विश्वविद्यालय में ऐसा प्रश्न-पत्र तैयार करने को लेकर लोगों ने प्रबंधन की आलोचना की है.
चेन्नई: तमिलनाडु में सेलम ज़िले के पेरियार विश्वविद्यालय में एमए इतिहास की दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा के एक प्रश्न-पत्र में जाति के बारे में पूछे गए एक सवाल ने विवाद खड़ा कर दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कहा गया है कि वह प्रश्न-पत्र बनाने में हुई चूक की जांच के लिए एक जांच समिति का गठन करेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, विवादित सवाल 75 अंकों के एमए इतिहास डिग्री परीक्षा के प्रश्न-पत्र में आया था. प्रश्न-पत्र के भाग ए में, ‘1880 से 1947 के बीच तमिलनाडु में स्वतंत्रता आंदोलन’ पर एक-एक अंक के 15 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए थे. जिनमें कुछ इस तरह के सवाल थे, जैसे कि भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई थी, वर्नाकुलर प्रेस अधिनियम कब लागू हुआ आदि.
इन्हीं सवालों के बीच प्रश्न क्रमांक 11 था कि, ‘इनमें से कौन-सी नीची जाति तमिलनाडु से संबंधित है?’
जाति उन्मूलन के लिए लड़ने वाले द्रविड़ विचारक पेरियार के नाम पर बने विश्वविद्यालय में ऐसा प्रश्न-पत्र तैयार करने को लेकर लोगों ने प्रबंधन की आलोचना की है.
राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने कहा कि वह एक प्रमुख अधिकारी के नेतृत्व में एक समिति गठित करेंगे और मामले की जांच कराएंगे.
विभाग की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘गलती करने वालों के खिलाफ विभाग की ओर से उचित कार्रवाई की जाएगी.’
इस बीच, विश्वविद्यालय ने कहा है कि वह एक जांच समिति गठित करने की योजना बना रहा है.
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डी. गोपी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जब हमने पूछताछ की तो इस प्रश्न को तैयार करने वाले शिक्षकों ने कहा कि यह पाठ्यक्रम का हिस्सा है.’ हालांकि, उन्होंने साथ ही कहा कि इससे बचा जा सकता था. उन्होंने बताया कि सवाल किसी दूसरे कॉलेज के स्टाफ सदस्यों द्वारा तैयार किए गए थे.
गोपी ने कहा, ‘कुलपति के आदेश के आधार पर एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें इतिहास विषय पढ़ाने वाले शिक्षक होंगे. समिति की सिफारिश के आधार पर जिम्मेदारों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी.’
विपक्ष के नेता के. पलानीस्वामी ने ट्विटर पर पूछा है कि क्या सेमेस्टर परीक्षा में इस तरह के सवालों के माध्यम से पेरियार की विचारधारा का मजाक बनाना और छात्रों के बीच जातिगत असमानता को बढ़ावा देना ही डीएमके का द्रविड़ियन मॉडल और सामाजिक न्याय है.
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