उत्तर प्रदेश के हापुड़ स्थित एक सरकारी प्राथमिक स्कूल का मामला. दो महिला शिक्षकों पर 11 जुलाई को कथित तौर पर दो दलित छात्राओं को अपना यूनिफॉर्म उतारने के लिए मजबूर करने का आरोप है. दोनों शिक्षकों को 13 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था.
हापुड़: उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के दो महिला शिक्षकों पर 11 जुलाई को कथित तौर पर दो दलित छात्राओं को अपनी यूनिफॉर्म उतारने के लिए मजबूर करने का आरोप है. उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दोनों लड़कियों के माता-पिता के अनुसार, शिक्षक स्कूल ड्रेस में छात्रों की तस्वीरें ले रहे थे. उनकी बेटियों को कथित तौर पर शिक्षकों ने अपनी यूनिफॉर्म उतारकर दो अन्य लड़कियों को देने के लिए कहा, जो स्कूल की पोशाक में नहीं थीं.
हापुड़ के सहायक पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘दोनों शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान), 166 (किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से लोक सेवक कानून की अवज्ञा करना), 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान), 355 (किसी व्यक्ति का अपमान करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर उकसावा) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 (2) (वी) (अत्याचार के अपराधों के लिए दंड) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.’
उन्होंने कहा कि मामले की आगे की जांच चल रही है.
लड़कियों के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि शिक्षक जाति के कारण उनकी बेटियों के साथ भेदभाव करते हैं.
एक लड़की की मां ने आरोप लगाया, ‘शिक्षक स्कूल की यूनिफॉर्म में छात्रों की तस्वीरें ले रहे थे. मेरी बेटी को अपनी यूनिफॉर्म उतारने और दूसरी लड़की को देने के लिए कहा गया. जब मेरी बेटी ने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकती तो उन्होंने उसके साथ मारपीट की और जबरदस्ती उसकी यूनिफॉर्म उतार दी. मैंने स्कूल से शिकायत की. मुझे जवाब नहीं मिला है कि ऐसा क्यों किया गया.’
एक लड़की के पिता ने इसकी शिकायत शोषित क्रांति दल के अध्यक्ष रविकांत से की, जिन्होंने हापुड़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया.
रविकांत ने कहा, ‘यह दो लड़कियों के खिलाफ शिक्षकों द्वारा जान-बूझकर की गई कार्रवाई थी, क्योंकि वे अनुसूचित जाति से संबंधित हैं. जब पिता ने मुझसे संपर्क किया, तो मैंने शिक्षा विभाग के साथ मामले को उठाया और दोनों शिक्षकों को निलंबित करने का अनुरोध किया.’
रविकांत की शिकायत के आधार पर दोनों शिक्षकों को 13 जुलाई को निलंबित कर दिया गया था. हापुड़ की बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है.
इसी बीच रविकांत ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि दोनों शिक्षिकाएं पीड़ितों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं.
दोनों अत्याचारी शिक्षिकाओं का दुस्साहस देखिए स्कूल में शिक्षण कार्य बंद करा कर स्कूल को पंचायत घर में तब्दील कर दिया, स्कूल में पीड़ित पिता पर दबाव बनाने के उद्देश्य से गांव वालों की पंचायतें करा रही हैं!@SarvendraEdu @DmHapur @thisissanjubjp @CMOfficeUP @iassurendra @UPGovt https://t.co/7DK3lIXTJH pic.twitter.com/wVNaMPOpYr
— Ravikant (@Ravikant_SKD) July 16, 2022
उन्होंने ट्वीट किया, ‘दोनों शिक्षिकाओं का दुस्साहस देखिए स्कूल में शिक्षण कार्य बंद करा कर स्कूल को पंचायत घर में तब्दील कर दिया, स्कूल में पीड़ित पिता पर दबाव बनाने के उद्देश्य से गांव वालों की पंचायतें करा रही हैं!’
इस बीच महिला शिक्षकों में से एक ने भेदभाव के आरोपों से इनकार किया.
उन्होंने दावा किया, ‘छात्रों को स्कूल का पूरा यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल आने का निर्देश दिया गया था. 11 जुलाई को जब छात्रों की तस्वीरें ली जा रही थीं, तो यूनिफॉर्म में नहीं आने वाली कुछ छात्राओं ने अपने साथी छात्राओं को फोटो के लिए अपना यूनिफॉर्म उधार देने के लिए कहा था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वास्तव में मुझे पता भी नहीं था कि ऐसा कुछ हुआ था. मुझे इसके बारे में 12 जुलाई को पता चला, जब दोनों लड़कियों के माता-पिता स्कूल आए और हमसे पूछताछ करने लगे.’
पहले एक निजी स्कूल में पढ़ाने वाली इस महिला शिक्षक ने दावा किया कि उन्होंने लड़कियों के साथ मारपीट नहीं की और न ही उन्हें यूनिफॉर्म उतारने के लिए मजबूर किया.
अभिभावकों का आरोप है कि निलंबित होने के बावजूद शिक्षक स्कूल आ रहे हैं.
महिला शिक्षक के अनुसार, आदेश में उन्हें एक शिक्षक के रूप में उनकी जिम्मेदारियों से निलंबित किया गया है, लेकिन उन्हें स्कूल आने के लिए कहा गया क्योंकि वह स्कूल की चाबियों की प्रभारी हैं.
इस बीच, इस मुद्दे को उठाने वाले एक ट्वीट के जवाब में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने उत्तर प्रदेश पुलिस से मामले में की गई कार्रवाई का विवरण आयोग को भेजने के लिए कहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को कहा कि एनसीएससी के अध्यक्ष विजय सांपला द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के एक दिन बाद महिला कांस्टेबलों सहित एक टीम ने लड़कियों का बयान दर्ज किया.
एक लड़की के पिता ने बताया कि उस पर मामले को दबाने का दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘मेरी शिकायतों के बावजूद शिक्षकों के खिलाफ अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. मुझे उनके साथ-साथ अन्य ग्रामीणों द्वारा चुप रहने के लिए दबाव डाला जा रहा है. मैंने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में शिक्षकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.’