केरल: नीट परीक्षा में लड़कियों को अंत:वस्त्र उतारने के लिए मजबूर करने वालों के ख़िलाफ़ केस दर्ज

बीते 17 जुलाई को केरल में कोल्लम ज़िले के अयूर स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था. केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर छात्राओं को ऐसा करने के लिए मजबूर करने वाली एजेंसी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

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फाइल फोटो: 17 जुलाई 2022 को आयोजित नीट परीक्षा के लिए दिल्ली के एक परीक्षा केंद्र के प्रवेश द्वार पर छात्र अपने दस्तावेज जांच करवाते हुए. (फोटो: पीटीआई)

बीते 17 जुलाई को केरल में कोल्लम ज़िले के अयूर स्थित एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था. केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर छात्राओं को ऐसा करने के लिए मजबूर करने वाली एजेंसी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

17 जुलाई 2022 को आयोजित नीट परीक्षा के लिए दिल्ली के एक परीक्षा केंद्र के प्रवेश द्वार पर छात्र अपने दस्तावेज जांच करवाते हुए. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

कोल्लम/तिरुवनंतपुरम: केरल पुलिस ने मंगलवार को उस कथित घटना के सिलसिले में मामला दर्ज किया, जिसमें राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (National Eligibility Entrance Test – NEET) में शामिल होने वाली युवतियों और लड़कियों को कोल्लम जिले में परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र (Inner Wear) हटाने को कहा गया था.

पुलिस ने कहा कि जिले के अयूर में रविवार (17 जुलाई) को एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर पर अपमानजनक अनुभव का सामना करने वाली एक लड़की की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों की एक टीम ने लड़की का बयान दर्ज करने के बाद मामला दर्ज किया. मामले में जांच शुरू की गई है और कथित तौर पर इस कृत्य में शामिल लोगों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

मामला सोमवार को तब सामने आया, जब 17 वर्षीय एक लड़की के पिता ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उनकी बेटी नीट परीक्षा में बैठी थी और अब तक उस सदमे से बाहर नहीं आ पाई है, जिसमें उसे परीक्षा के लिए तीन घंटे से अधिक समय तक बिना अंत:वस्त्र के बैठना पड़ा था.

लड़की के पिता ने एक टीवी चैनल को बताया था कि उनकी बेटी ने नीट बुलेटिन में उल्लिखित ड्रेस कोड के अनुसार ही कपड़े पहने थे.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना बीते 17 जुलाई को अयूर स्थित मार थोमा इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी हुई. छात्रा के माता-पिता ने इस संबंध में कोल्लम (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पास शिकायत दर्ज कराई थी.

इस निजी संस्थान के अधिकारियों ने दावा किया है कि उनका कोई भी स्टाफ सदस्य तलाशी में शामिल नहीं था.

एक अधिकारी ने बताया, ‘राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनएटी) द्वारा बायोमेट्रिक उपस्थिति की जांच करने और इसे नोट करने का काम दो एजेंसियों को सौंपा गया था. हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इस पर क्या नियम हैं. यह एजेंसी के कर्मचारियों का मामला है, जो सबकी जांच करते हैं. कुछ मामलों में जब बच्चे शॉल ओढ़ने की अनुमति मांगने के लिए हमारे पास आए, तो हमने हस्तक्षेप किया और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी.’

बहरहाल घटना की निंदा करते हुए विभिन्न युवा संगठनों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

केरल राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी घटना की जांच के आदेश दिए हैं. आयोग ने कोल्लम ग्रामीण पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

केरल ने केंद्र से दखल की मांग की

केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदू ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर कोल्लम जिले में नीट परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले छात्राओं को अपने अंत:वस्त्र उतारने के लिए कथित तौर पर मजबूर करने वाली एजेंसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

केंद्रीय मंत्री को लिखे अपने पत्र में केरल की मंत्री ने रविवार को जिले के अयूर में एक परीक्षा केंद्र में नीट परीक्षा में बैठने वाली ‘छात्राओं की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान पर सरासर हमले’ की खबर पर निराशा और हैरानी जताई है.

बिंदू ने कहा कि जिस एजेंसी को परीक्षा के संचालन का जिम्मा सौंपा गया था, उसने कथित तौर पर परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से पहले लड़कियों को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया, जिसका कारण सिर्फ उन्हें ही ज्ञात है.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की अप्रत्याशित शर्मनाक और हैरान करने वाली घटनाओं से प्रतिभागियों का मनोबल और मानसिक संतुलन प्रभावित होता है, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ता है.’

उन्होंने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जोरदार सिफारिश की और केंद्रीय मंत्री से मामले में दखल की मांग की.

मंत्री ने कहा, ‘मैंने उन्हें पत्र लिखकर बताया है कि हम उस एजेंसी के इस तरह के अमानवीय व्यवहार का कड़ा विरोध करते हैं, जिसे केवल निष्पक्ष तरीके से परीक्षा आयोजित करने का काम सौंपा गया था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)