मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी पर एमनेस्टी ने कहा, फ़र्ज़ी ख़बरों का पर्दाफ़ाश करना अपराध नहीं

मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंडिया’ ने फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखना इस बात की ख़तरनाक चेतावनी है कि आपको भारत में सच बोलने की अनुमति नहीं है.

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मोहम्मद ज़ुबैर. (फोटो साभार: ट्विटर/@zoo_bear)

मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंडिया’ ने फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखना इस बात की ख़तरनाक चेतावनी है कि आपको भारत में सच बोलने की अनुमति नहीं है.

मोहम्मद ज़ुबैर. (फोटो साभार: ट्विटर/@zoo_bear)

नई दिल्ली: मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंडिया ने फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि फर्जी खबरों का पर्दाफाश करना करना कोई अपराध नहीं है.

जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस (दो केस) जिलों में कथित तौर पर कट्टरपंथी हिंदुत्वादी धर्मगुरुओं यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘नफरत फैलाने वाला’ कहने, न्यूज एंकर पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने, हिंदू देवताओं का अपमान करने और भड़काऊ सामग्री सोशल मीडिया पर डालने के आरोप में छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया था कि उत्तर प्रदेश में दर्ज पांचों एफआईआर के संबंध में जुबैर के खिलाफ जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाए.

एमनेस्टी इंडिया ने कहा कि जुबैर को लगातार हिरासत में रखना इस बात की खतरनाक चेतावनी है कि ‘आपको भारत में सच बोलने की अनुमति नहीं है.’

एमनेस्टी इंडिया ने एक ट्वीट में कहा, ‘फर्जी खबरों का पर्दाफाश करना करना अपराध नहीं है. मोहम्मद जुबैर को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए. जुबैर को रिहा करो, असहमति की रक्षा करो.’

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि वह मोहम्मद जुबैर की उस याचिका पर 20 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसमें कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में उनके खिलाफ दर्ज छह एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी एफआईआर, जिन्हें जांच के लिए एसआईटी को स्थानांतरित किया गया है, वे उस एफआईआर का विषय हैं, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा की जा रही है.

यह भी कहा गया है कि अगर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती हैं, तो उन्हें दिल्ली में दर्ज एफआईआर के साथ जोड़ा जाना चाहिए, जहां जुबैर को पहली बार गिरफ्तार किया गया था.

बह​रहाल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि जुबैर के खिलाफ उनके ट्वीट को लेकर लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और हाथरस (दो मामले) जिलों में दर्ज पांच एफआईआर के संबंध में 20 जुलाई तक जल्दबाजी में कोई कार्रवाई न की जाए.

जुबैर की नई अर्जी में इन मामलों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है.

मोहम्मद जुबैर ने एक ट्वीट में कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के ख़ैराबाद थाने में बीते एक ​जून को उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

इन्हें कुछ वीडियो में नफरत भरे भाषण देने, मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने या मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करने की धमकी देते हुए देखा गया था.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है. मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर को होगी. बीते 15 जुलाई को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के संबंध में इस शर्त पर जमानत दे दी थी कि वह उसकी अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते.

वर्तमान में जुबैर लखीमपुर खीरी मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जो पिछले साल सितंबर में दर्ज किया गया था. समाचार चैनल सुदर्शन टीवी में कार्यरत पत्रकार आशीष कुमार कटियार की शिकायत पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

कटियार ने अपनी शिकायत में जुबैर पर उनके चैनल के बारे में ट्वीट कर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था. इस मामले में 20 जुलाई को सुनवाई होनी है.

मालूम हो कि मोहम्मद जुबैर को बीते 27 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच विद्वेष को बढ़ाना) के तहत दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया था.

बीते दो जुलाई को दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर में आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के तहत नए आरोप जोड़े हैं. ये आरोप जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दखल का द्वार खोलते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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