बीते 17 जुलाई को केरल के कोल्लम ज़िले में एक निजी शिक्षण संस्थान में आयोजित नीट परीक्षा के दौरान कथित तौर युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था. इस संबंध में दर्ज की गई एफ़आईआर के बाद यह कार्रवाई की गई है.
कोल्लम/नई दिल्ली: केरल में राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (National Eligibility Entrance Test – NEET) के दौरान छात्राओं को अंत:वस्त्र (Inner Wear) उतारकर परीक्षा देने के लिए मजबूर करने के आरोप में बृहस्पतिवार को पुलिस ने दो और लोगों को गिरफ्तार किया.
एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने एक शैक्षणिक संस्थान में हुई नीट परीक्षा के पर्यवेक्षक और परीक्षा समन्वयक से पूछताछ के बाद बृहस्पतिवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
इसके साथ ही इस मामले में अब गिरफ्तार हो चुके लोगों की संख्या सात हो गई है.
इससे पहले बीते 19 जुलाई को नीट परीक्षा की ड्यूटी में तैनात रहीं पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से तीन एक एजेंसी के लिए काम करती हैं, जिसकी सेवाएं राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) लेती है, जबकि दो महिलाएं अयूर में एक निजी शैक्षणिक संस्थान के लिए काम करती है, जहां यह घटना हुई थी.
यह कथित घटना केरल में कोल्लम जिले के अयूर में 17 जुलाई को आयोजित नीट (स्नातक) 2022 परीक्षा के एक केंद्र पर हुई थी, जब युवतियों और लड़कियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति के लिए अंत:वस्त्र हटाने को कहा गया था.
इस केंद्र का नाम मार थोमा इंस्टिट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी है.
मामला तब सामने आया, जब 17 वर्षीय एक लड़की के पिता ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उनकी बेटी नीट परीक्षा में बैठी थी और अब तक उस सदमे से बाहर नहीं आ पाई है, जिसमें उसे परीक्षा के लिए तीन घंटे से अधिक समय तक बिना अंत:वस्त्र के बैठना पड़ा था.
पुलिस ने बताया था कि लड़की की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
नीट पर एनटीए की तथ्यान्वेषी समिति केरल परीक्षा मामले में चार सप्ताह में पेश करेगी रिपोर्ट
इस मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
इस समिति में एनटीए की वरिष्ठ निदेशक साधना पराशर, केरल के अरप्पुरा में सरस्वती विद्यालय की प्रधानाचार्य शैलजा ओआर और केरल की प्रगति एकेडमी की सुचित्रा शिजिन्थ शामिल हैं.
एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘समिति घटनास्थल पर जाएगी और सभी संबंधित लोगों से बातचीत करके मामले के तथ्यों की जांच करेगी.’
उन्होंने कहा, ‘यह देखेगी कि चैप्टर 9 में दर्ज सुरक्षा तथा तलाशी के प्रोटोकॉल: सूचना बुलेटिन के अनुसार प्रतिबंधित वस्तुओं और ड्रेस कोड तथा दिशानिर्देशों का शहर समन्वयक, केंद्र के अधीक्षकों, पर्यवेक्षकों और निरीक्षकों ने पालन किया था कि नहीं.’
अधिकारियों के अनुसार, समिति उचित अनुशंसा करेगी और चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग ने केरल के पुलिस महानिदेशक लोकनाथ बेहरा को पत्र लिखकर मामले की समयबद्ध जांच की मांग की है.
NCW has also sought a time-bound investigation. The Commission has also written to DGP Kerala to conduct a fair investigation in matter and to register FIR under the relevant provisions of law. Action taken must be apprised within 3 days.
— NCW (@NCWIndia) July 19, 2022
आयोग ने पुलिस महानिदेशक को तीन दिनों के भीतर मामले में की गई कार्रवाई के बारे में सूचित करने के लिए कहा है.
एनडीटीवी के अनुसार, जिन अधिकारियों ने कथित तौर पर लड़कियों को रोका था, उन्होंने धातु के हुक वाली ब्रा पर आपत्ति जताई थी.
जिन लड़कियों को इस परीक्षा से गुजरना पड़ा, उनमें से एक ने बताया, ‘उन्होंने मुझसे पूछा, क्या आपने धातु के हुक वाली ब्रा पहना है? मैंने हां कहा, इसलिए उस लाइन में शामिल होने के लिए कहा गया.’
लड़की के अनुसार, अधिकारियों ने दो कतारें बनाई थीं – एक धातु के हुक वाली ब्रा पहनने वाली लड़कियों के लिए और दूसरी बिना हुक वाली इनरवियर वाली लड़कियों के लिए.
लड़की ने बताया कि फिर उन्हें अपनी ब्रा उतारने के लिए कहा गया और उसे नहीं पता कि वह उन्हें वापस ले पाएगी या नहीं.
परीक्षा समाप्त होने के बाद लड़की ने कहा कि उसने दूसरों को शर्म से रोते देखा. इस पर एक महिला सुरक्षा कर्मचारी ने कथित तौर पर उनसे पूछा, ‘तुम क्यों रो रहे हो?’
सुरक्षाकर्मियों ने लड़कियों से यह भी कहा कि वे छुट्टी के बाद बिना पहने अपनी ब्रा हाथ में लेकर ले जाएं.
लड़की ने एनडीटीवी को बताया, ‘यह सुनकर हम बहुत शर्मिंदा हुए. लेकिन हर कोई बदलने का इंतजार कर रहा था. अंधेरा था और बदलने के लिए कोई जगह नहीं थी. यह एक भयानक अनुभव था. जब हम परीक्षा लिख रहे थे, हमने अपने बालों को सामने रखा, क्योंकि हमारे पास खुद को ढकने के लिए कोई शॉल नहीं था. यह वास्तव में कठिन और असहज था.’
मामले में शिकायतकर्ता ने कहा था कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी की ओर से जारी बुलेटिन में मेटल हुक वाली ब्रा पर बैन का जिक्र नहीं है.
बुलेटिन में कहा गया है कि उम्मीदवारों को परीक्षा कक्ष में ‘कोई धातु की वस्तु’ लाने की अनुमति नहीं है.
बुलेटिन में यह भी अनिवार्य है कि यदि उम्मीदवार परीक्षा के लिए सांस्कृतिक/प्रथागत पोशाक पहने हुए हैं, तो उन्हें अंतिम रिपोर्टिंग समय से कम से कम एक घंटे पहले आना चाहिए, ताकि उम्मीदवार को बिना किसी असुविधा के उचित तलाशी के लिए पर्याप्त समय मिल सके.
शिकायतकर्ता ने कहा कि जब उसकी बेटी ने अपनी ब्रा उतारने से इनकार कर दिया, तो केंद्र के अधिकारियों ने कहा कि उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘कई छात्राएं अपने इनरवियर की हुक काट रही थीं. ये मानसिक तौर पर परेशान थीं और वे आत्मविश्वास से परीक्षा में शामिल नहीं हो सकीं. जब छात्रों ने अपने इनरवियर को हटाने से इनकार कर दिया, तो उनसे पूछा गया कि उनके भविष्य या इनरवियर में से क्या महत्वपूर्ण है.’
इसके अलावा जब्त की गई सभी ब्रा को शिकायत के अनुसार, बिना किसी कोविड -19 मानदंडों की परवाह किए एक भंडारण कक्ष में एक साथ रखा गया था.
स्क्रॉल डॉट इन के मुताबिक, राज्य में यह पहला मामला नहीं है,
जब परीक्षा में बैठने के लिए किसी छात्रा के कपड़े उतरवाए गए. साल 2017 में कन्नूर में एक नीट केंद्र में प्रवेश करने से पहले एक लड़की को अपनी ब्रा उतारने के लिए कहने के लिए चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया था.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, जो तब नीट आयोजित करता था, ने कहा था कि यह घटना स्टाफ सदस्यों के अति उत्साह का परिणाम थी.
उसके एक साल बाद पलक्कड़ शहर में एक परीक्षा के लिए एक अन्य उम्मीदवार को अपनी ब्रा उतारने के लिए मजबूर किया गया था. उसने अपनी शिकायत में कहा था कि परीक्षा के दौरान पुरुष निरीक्षक उसकी छाती को घूर रहा था. शिकायत में कहा गया था कि इससे वह ‘अपमानित’ महसूस कर रही थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)