कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की बीते 12 मई को आतंकियों द्वारा की गई हत्या के बाद से समुदाय के लोगों द्वारा कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार से अपील की है कि उन्हें घाटी से बाहर भेजा जाए और जब तक सरकार इसके लिए क़दम नहीं उठाएगी, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
श्रीनगर: घाटी के बाहर स्थानांतरण की मांग को लेकर कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को भी जारी रहा. इस समुदाय से आने वाले राहुल भट्ट की 12 मई को हुई हत्या के बाद से शुरू हुए प्रदर्शन को 70 दिन पूरे हो चुके हैं और कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन जारी है.
भट्ट को विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष रोजगार पैकेज के तहत क्लर्क की नौकरी मिली थी और बड़गाम जिले के चदूरा गांव में तहसील कार्यालय के भीतर घुसकर आतंकवादियों ने उसकी हत्या कर दी थी. तभी से प्रधानमंत्री पैकेज के तहत रोजगार प्राप्त कश्मीरी पंडित न्याय की मांग कर रहे हैं.
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के वेसु इलाके और अन्य स्थानों पर सड़क किनारे अपने परिवारों के साथ बैठे कर्मचारी, हाल में कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य लोगों की आतंकियों द्वारा निशाना बना की गईं हत्याओं (Targeted Killing) के मद्देनजर, घाटी से बाहर भेजने की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार से अपील की है कि उन्हें घाटी से बाहर भेजा जाए और जब तक सरकार इसके लिए कदम नहीं उठाएगी, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘या तो हमारा स्थानांतरण कराया जाए या जब तक घाटी से आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता तब तक प्रशासन हमें सांस लेने का समय दे.’
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा, ‘जब तक लक्षित कर हत्याएं समाप्त नहीं होंगी, हम अपने कार्यालय नहीं जाएंगे. प्रशासन को हमारी सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्मचारियों ने उन्हें घाटी के भीतर जिला और तहसील मुख्यालयों में स्थानांतरित करने के सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है और स्थानांतरण की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.
कर्मचारियों की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमेश तलाशी ने कहा, ‘दुर्भाग्य से मौजूदा शासन में कश्मीरी पंडितों की स्थिति और खराब हो गई है. कश्मीर घाटी में पंडित कर्मचारी परिवार सड़कों पर रह रहे हैं. वेसु प्रवासी शिविर से कई संकटग्रस्त कॉल प्राप्त हुए हैं. हम उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का आग्रह करते हैं.’
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्राथमिकता से हल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें सड़कों पर ऐसे रहने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता, जहां वे हमलों की चपेट में आ सकते हैं.’
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने बीते 20 जुलाई को संसद में बताया था कि राज्य में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद आतंकी हमलों में 118 आम नागरिकों मारे गए हैं, जिनमें पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदू/सिख समुदाय के थे.
साथ ही यह भी कहा कि जम्मू एवं कश्मीर सरकार के विभिन्न विभागों में 5,502 कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी दी गई है और अगस्त 2019 के बाद घाटी से किसी भी कश्मीरी पंडित का पलायन नहीं हुआ है.
बता दें कि बीते 12 मई को मध्य कश्मीर के बडगाम में आतंकवादियों द्वारा राजस्व विभाग के कर्मचारी कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की उनके कार्यालय के अंदर हत्या करने के बाद से कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है.
कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 16 हत्याएं (Targeted Killings) हुई हैं.
बीते 31 मई को कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल की शिक्षक रजनी बाला की दक्षिण कश्मीर के आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वह सांबा जिले की निवासी थीं.
25 मई को बडगाम जिले के चदूरा में ही 35 वर्षीय कश्मीरी टीवी अभिनेत्री अमरीन भट की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इससे पहले दो जून को कुलगाम के इलाकाई देहाती बैंक के कर्मचारी विजय कुमार को आतंकियों ने गोली मार दी थी और इसी शाम बडगाम में दो प्रवासी मजदूर आतंकियों की गोली का निशाना बने.
कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा लगातार नागरिकों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं.