एक और कश्मीरी पत्रकार को बिना कारण बताए देश छोड़ने से रोका गया

कश्मीर से आने वाले स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन मंगलवार को श्रीलंका के वर्तमान संकट पर रिपोर्ट करने के लिए दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कोलंबो जाने वाले थे, लेकिन उन्हें आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. अधिकारियों द्वारा उन्हें ऐसा करने की वजह भी नहीं बताई गई.

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(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

कश्मीर से आने वाले स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन मंगलवार को श्रीलंका के वर्तमान संकट पर रिपोर्ट करने के लिए दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कोलंबो जाने वाले थे, लेकिन उन्हें आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. अधिकारियों द्वारा उन्हें ऐसा करने की वजह भी नहीं बताई गई.

(इलस्ट्रेशन : Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: मानवाधिकार, डिजिटल तकनीक और दक्षिण एशियाई राजनीति जैसे मुद्दों पर कई भारतीय और विदेशी प्रकाशनों के लिए लिखने वाले स्वतंत्र कश्मीरी पत्रकार आकाश हसन को मंगलवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर श्रीलंका जाने से रोक दिया गया. वे काम के सिलसिले में श्रीलंका जा रहे थे.

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई महीने में यह दूसरा वाकया है जब किसी कश्मीरी पत्रकार को विदेश यात्रा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है. और जैसा कि दो जुलाई को सना इरशाद मट्टू के मामले में हुआ था, उसी तरह हसन को भी इस कार्रवाई के पीछे का कोई कारण नही बताया गया है.

हसन ने उन्हें विदेश यात्रा करने से रोके जाने संबंधी खबर ट्विटर के माध्यम से दी. उन्होंने मंगलवार (26 जुलाई) की रात 8:19 बजे ट्वीट किया कि दिल्ली में आईजीआई एयरपोर्ट पर आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें कोलंबो की उड़ान में सवार होने से रोक दिया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं देश (श्रीलंका) में मौजूदा संकटों पर रिपोर्ट करने के लिए जा रहा था.’

उन्होंने आगे बताया, ‘आव्रजन अधिकारियों ने मेरा पासपोर्ट, बोर्डिंग पास ले लिया और मुझे पिछले चार घंटों से एक कमरे में बिठा रखा है.’

इसके बाद, उन्होंने लिखा कि अधिकारियों द्वारा उन्हें कोई कारण नहीं बताया गया कि वे क्यों उन्हें जाने से रोक रहे हैं.

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘अधिकारी कोई कारण नहीं बता रहे हैं कि मुझे जाने की अनुमति क्यों नहीं है. मैं जिस एयरलाइन में यात्रा करने वाला था उसके एक कर्मचारी ने मुझे बताया है कि अधिकारियों ने उन्हें मेरा सामान विमान से उतारने का निर्देश दिया है. मुझसे दो अधिकारियों द्वारा मेरी पृष्ठभूमि, यात्रा के उद्देश्य के बारे में पूछा गया.’

हसन ने बाद में फिर ट्वीट किया कि पांच घंटे तक इंतजार कराने के बाद अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट और बोर्डिंग पास लौटाया है, जिस पर रद्द करने की मुहर लगी थी.

उन्होंने ट्वीट में बताया कि पांच घंटों के दौरान उन्हें पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया.

हसन का मामला पुलित्जर पुरस्कार विजेता कश्मीरी फोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू से काफी मिलता-जुलता है. मट्टू को भी इसी तरह दिल्ली एयरपोर्ट पर पेरिस जाने से रोक दिया गया था.

मट्टू के मामले में भी अधिकारियों ने कथित तौर पर उन्हें देश छोड़ने से रोके जाने के पीछे का कोई कारण नहीं बताया था, बस सीधा कह दिया कि वे अंतरराष्ट्रीय यात्रा नहीं कर सकतीं.

इस बीच, एक वरिष्ठ पत्रकार ने ट्वीट किया है कि जितना उन्हें याद है उसके मुताबिक यह चौथा उदाहरण है जब एक कश्मीरी पत्रकार को देश के बाहर जाने से रोका गया है.