दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति वापस ली, कहा- भाजपा गंदी राजनीति कर रही है

उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश के बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस नीति को वापस लेने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि गुजरात में शराब पर पाबंदी है. भाजपा यहां अवैध शराब का कारोबार चला रही है और अब दिल्ली में भी ऐसा ही करना चाहती है. वह दिल्ली में शराब माफिया को बढ़ावा देने के लिए गंदी राजनीति कर रही है.

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Manish Sisodia PTI
मनीष सिसोदिया. (फोटो: पीटीआई)

उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश के बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस नीति को वापस लेने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि गुजरात में शराब पर पाबंदी है. भाजपा यहां अवैध शराब का कारोबार चला रही है और अब दिल्ली में भी ऐसा ही करना चाहती है. वह दिल्ली में शराब माफिया को बढ़ावा देने के लिए गंदी राजनीति कर रही है.

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मनीष सिसोदिया. (फोटो: पीटीआई

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिये शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को यह जानकारी दी.

यह फैसला तब लिया गया है जब पिछले हफ्ते उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की है.

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के प्रमुख हैं.

सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर शराब की दुकानों के लाइसेंसधारियों और आबकारी अधिकारियों को धमकाने का आरोप लगाया.

बीते 22 जुलाई को उपराज्यपाल सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघनों और प्रक्रियागत खामियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

उपराज्यपाल के अनुसार, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर शराब नीति में कुछ बदलाव किए और कैबिनेट को सूचित किए बिना या उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना लाइसेंसधारियों को अपनी ओर से अनुचित लाभ दिया.

आरोप है कि सिसोदिया ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी है. यह भी आरोप लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘हमने नई नीति को समाप्त करने का निर्णय लिया है और सरकारी दुकानों को खोलने के निर्देश दिए हैं. मैंने मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि सरकारी दुकानों में कोई भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए और दिल्ली में कोई अवैध शराब नहीं बेची जानी चाहिए. मैंने निर्देश दिया है कि इस क्रियानवयन ​​के दौरान कोई अराजकता न हो.’

सिसोदिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘गुजरात में शराब पर पाबंदी है, लेकिन वहां सरकार के समर्थन से हजारों करोड़ रुपये की अवैध शराब (नकली शराब)  बिकती है. यह नकली शराब है, जिसके कारण लोग मारे गए हैं. ये सारा धंधा इनके ही लोग चलते हैं. लोगों के मरने के कई मामले हैं, लेकिन शराब की यह अवैध बिक्री फल-फूल रही है. यह गुजरात मॉडल है.’

उन्होंने कहा, ‘दूसरा दिल्ली मॉडल है. हमारी सरकार पिछले साल एक नई आबकारी नीति लाई थी, जिसके पहले सरकारी दुकानों में शराब बेची जाती थी, जो भ्रष्टाचार से ग्रस्त थे. एक खास ब्रांड को बढ़ावा देने जैसी कई अन्य चीजें होती थीं. कुछ दुकानें निजी थीं, लेकिन वह उनके दोस्तों को दी जाती थीं और उनसे बहुत कम लाइसेंस शुल्क लिया जाता था. हमने इस प्रणाली को समाप्त कर दिया और एक नई नीति शुरू की.’

उन्होंने आरोप लगाया कि वे (भाजपा) ‘गुजरात में अवैध शराब का कारोबार चला रहे हैं’ और वे अब दिल्ली में भी ऐसा ही करना चाहते हैं.

सिसोदिया ने कहा, ‘वे शराब की कमी पैदा करना चाहते हैं, ताकि वे दिल्ली में शराब का अवैध व्यापार कर सकें, जैसा कि वे गुजरात में कर रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.’

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा दिल्ली में शराब माफिया को बढ़ावा देने के लिए गंदी राजनीति कर रही है.

सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शराब की दुकानों के लाइसेंसधारियों और आबकारी अधिकारियों को धमकाने के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.

उन्होंने आगे कहा, ‘चूंकि भ्रष्टाचार बंद हो गया, इसलिए इन लोगों द्वारा नई नीति की विफलता सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बनाई गई थी. एक-एक कर उन्होंने ईडी और सीबीआई के नाम पर निजी कंपनियों को धमकाया. उनमें से कई ने दुकान बंद कर दी. नई नीति के तहत (पहले की तरह) 850 दुकानें हो सकती थीं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 468 चालू हैं.’

उन्होंने कहा कि कई लाइसेंसधारियों ने अब दुकानें बंद कर दी हैं और आबकारी अधिकारी खुदरा लाइसेंस की खुली नीलामी शुरू करने को लेकर डरे हुए थे.

नई आबकारी नीति पिछले साल नवंबर में दिल्ली में पेश की गई थी. इसने शहर में शराब के व्यापार की प्रकृति और कामकाज में व्यापक बदलाव किए थे. सभी सरकारी शराब की दुकानों को बंद कर दिया और शराब की बिक्री विशेष रूप से निजी खिलाड़ियों को सौंप दी गई. नीति लागू होने से पहले शहर में 849 शराब की दुकानें थीं.

वर्तमान में नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली में इस समय शराब की लगभग 468 दुकानें संचालित हो रही हैं. इस नीति की अवधि को 30 अप्रैल के बाद दो बार दो-दो महीने के लिए बढ़ाया गया था. यह अवधि 31 जुलाई को समाप्त होगी.

शहर में संचालित 468 निजी शराब की दुकानें, उनके लाइसेंस की अवधि और नई आबकारी नीति की अवधि 31 जुलाई को समाप्त होने के बाद एक अगस्त से बंद हो जाएंगी.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि शहर के नौ जोन से शराब विक्रेताओं के पलायन के कारण इस साल जून और जुलाई के बीच 176 शराब की दुकानें बंद हो गई हैं और आने वाले दिनों में 108 और दुकानें बंद हो सकती हैं.

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम दिल्ली में भाजपा को जहरीली शराब की एक बूंद भी नहीं बेचने देंगे. हम भाजपा की नापाक मंशा को नाकाम करने के लिए अपने रुख पर अड़े हुए हैं. लोगों को गुजरात की तरह जहरीली शराब की त्रासदियों से बचाने के लिए सरकार ने शराब की बिक्री एक अगस्त से दिल्ली में सरकारी दुकानों के माध्यम से ही करने का फैसला किया है.’

सिसोदिया ने दावा किया कि अगर दिल्ली में शराब की कानूनी बिक्री बंद कर दी जाती है तो यहां भी गुजरात की तरह ‘जहरीली शराब त्रासदी’ हो सकती है.

गौरतलब है कि 25 जुलाई को जहरीली शराब पीने से गुजरात के अहमदाबाद जिले और बोटाद में 42 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 97 लोगों को भावनगर, बोटाद और अहमदाबाद के अस्पतालों में भर्ती कराया गया था.

सिसोदिया ने अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पुरानी आबकारी नीति में कई सरकारी शराब की दुकानें थीं और ऐसी दुकानों में भारी भ्रष्टाचार हुआ करता था, लेकिन नई आबकारी नीति के जरिये इसे रोका गया था.

उन्होंने कहा कि नई आबकारी नीति में खुली निविदाओं के माध्यम से पारदर्शी तरीके से लाइसेंस जारी किए गए हैं.

सिसोदिया ने कहा, ‘पुरानी व्यवस्था के तहत सरकार को 6,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, जबकि नई आबकारी नीति के माध्यम से सरकार ने पूरे वर्ष में 9,500 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.’

दिल्ली के साथ भाजपा शासित राज्यों में दुकानों की संख्या की तुलना करते हुए सिसोदिया ने कहा कि हरियाणा के गुड़गांव में प्रति 4,166 लोगों के लिए शराब की एक दुकान है, जबकि गोवा में यह अनुपात 761 लोगों का है और नोएडा में प्रति 1,390 लोगों के वास्ते शराब की एक दुकान है. वहीं, बेंगलुरु में 12,179 लोगों पर एक शराब की दुकान है.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में अधिकतम दुकानें 850 खुलती तो यह अनुपात 22,707 लोगों पर एक शराब की दुकान का होता हालांकि वर्तमान में 468 दुकानों के साथ यह 41,192 लोगों पर एक दुकान का है.’

भाजपा नेताओं ने सवाल उठाए

बहरहाल, भाजपा ने आरोप लगाया कि आप सरकार का जल्दबाजी में उठाया गया कदम ‘उल्लंघनों और भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति’ है और वह सीबीआई की जांच से डर गई है.

केंद्रीय मंत्री और नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से नई आबकारी नीति लागू करने के बाद से भाजपा नेताओं द्वारा उठाए सवालों और भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देने को कहा है.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘दिल्ली में केजरीवाल सरकार सीबीआई जांच से डरी हुई है, जिससे उसके भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो जाएगा और इसलिए उसने अपनी नई आबकारी नीति वापस ले ली है. आप को यह जवाब देना चाहिए कि नीति के तहत लाइसेंस का कमीशन 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया.’

भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि आप सरकार की अपनी नई नीति वापस लेने का फैसला दिल्लीवासियों और भाजपा कार्यकर्ताओं की जीत है, जिन्होंने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि आप ने इससे कमाया पैसा पंजाब विधानसभा चुनावों में खर्च किया.

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने उपराज्यपाल की अनुशंसा का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, ‘अगर केजरीवाल की नई आबकारी नीति बड़ा घोटाला नहीं है तो उनकी सरकार सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद पुरानी नीति वापस क्यों ला रही है? दूसरे शब्दों में कहें तो, यह उल्लंघनों, भ्रष्टाचार और राजकोष को हुए नुकसान की स्वीकारोक्ति है. सिसोदिया भी सत्येंद्र के पास जेल में जाएंगे?’

कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाने वाले पश्चिमी दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि आबकारी नीति को वापस लेना लोगों की जीत और केजरीवाल सरकार की हार है.

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दावा किया कि नई आबकारी नीति सिसोदिया के उन दावों के बावजूद राजस्व बढ़ाने में नाकाम रही कि नीति से लाभ होगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)