उत्तराखंड के हर ज़िले में बनेगा एक संस्कृत ग्राम, लोग इसी भाषा में बातचीत करेंगे: मंत्री

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि सरकार ने सभी 13 ज़िलों में एक ‘संस्कृत ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है. इन गांवों के निवासियों को विशेषज्ञों द्वारा इस भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स)

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने बताया कि सरकार ने सभी 13 ज़िलों में एक ‘संस्कृत ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है. इन गांवों के निवासियों को विशेषज्ञों द्वारा इस भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स)

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में एक-एक ‘संस्कृत- ग्राम’ विकसित करने का निर्णय लिया है. यानी हर जिले में एक ऐसा गांव होगा जहां के लोग संस्कृत भाषा में ही बातचीत किया करेंगे.

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने गुरुवार को कहा कि इन गांवों के निवासियों को प्राचीन भारतीय भाषा को दैनिक बोलचाल में इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा. संस्कृत प्रदेश की दूसरी आधिकारिक भाषा है.

संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इतने बड़े पैमाने पर इस प्रकार की पहल करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है. कर्नाटक में एक गांव है जहां सिर्फ संस्कृत बोली जाती है.

रावत ने कहा कि चयनित गांवों में संस्कृत शिक्षक भेजे जाएंगे जो स्थानीय लोगों को इस भाषा में बोलना सिखाएंगे. उन्होंने कहा कि लोगों को वेद और पुराण भी पढ़ाए जाएंगे जिससे वे जल्दी संस्कृत बोलना सीख सकें.

मंत्री ने बताया कि ‘संस्कृत ग्राम’ कहे जाने वाले ऐसे हरेक गांव में प्राचीन भारतीय संस्कृति केंद्र भी होगा.

उन्होंने कहा, ‘नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की भाषा बोलनी आनी चाहिए. नई पीढ़ी को अपनी जड़ों तक ले जाने के अलावा ये गांव देश और विदेश से आने वाले लोगों के लिए भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक भी पेश करेगा.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इन गांवों में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वानों की जयंती पर साहित्यिक उत्सव और सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे.

संस्कृत गांव विकसित करने का विचार पहली बार 2019 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में आया था, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी और बागेश्वर और चमोली जिलों में केवल पायलट परियोजना तक ही सीमित रह गई थी.

इस बार योजना को अक्षरश: लागू करने की प्रस्तावना के रूप में राज्य सरकार ने आने वाले सप्ताह (8 अगस्त से) को संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाने का निर्णय लिया है.

इसके अतिरिक्त उत्तराखंड सरकार अपने राजकीय संस्कृत माध्यम स्कूलों के माध्यम से इस भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करती रही है. वर्तमान में राज्य में 100 से अधिक संस्कृत माध्यम के स्कूल हैं.

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के शिमोगा जिले का मट्टूर गांव एक ‘संस्कृत ग्राम’ है जहां के निवासी प्राचीन भाषा में बात करते हैं. लगभग 5,000 लोगों की आबादी वाले गांव में एक ‘पाठशाला’ (पारंपरिक स्कूल) है.  इस गांव में दीवारों पर ग्राफिटी भी संस्कृत में ही लिखे हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)