गुजरात: छात्रों ने दलित महिला द्वारा तैयार मिड-डे मील खाने से इनकार किया

गुजरात के मोरबी ज़िले के श्री सोखड़ा प्राइमरी स्कूल का मामला. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि इस मुद्दे पर स्कूल के अधिकारियों की छात्रों के माता-पिता के साथ दो बैठकें हुई थीं. हालांकि माता-पिता ने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया.

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(फोटो: रॉयटर्स)

गुजरात के मोरबी ज़िले के श्री सोखड़ा प्राइमरी स्कूल का मामला. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि इस मुद्दे पर स्कूल के अधिकारियों की छात्रों के माता-पिता के साथ दो बैठकें हुई थीं. हालांकि माता-पिता ने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया.

(फोटो: रॉयटर्स)

अहमदाबाद: कथित तौर पर दलित महिला द्वारा पका हुआ मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) खाने मना करने का मामला एक बार फिर सामने आया है. गुजरात के मोरबी जिले के श्री सोखड़ा प्राइमरी स्कूल में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी समुदाय के 153 छात्रों में से 147 ने सरकार की मिड-डे मील योजना के तहत परोसे जाने वाले भोजन को खाने से मना कर दिया.

मोरबी पुलिस में दर्ज एक शिकायत के अनुसार, छात्रों के माता-पिता ने अपने बच्चों को एक दलित महिला धारा मकवाना द्वारा तैयार भोजन खाने पर आपत्ति जताई थी, जिन्हें जून महीने में स्कूल अधिकारियों द्वारा भोजन तैयार करने के लिए सरकारी नौकरी का ठेका दिया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में महिला के पति गोपी के हवाले से कहा गया है कि छात्रों द्वारा उनके द्वारा पकाए गए भोजन को लेने के लिए लाइन में लगाने से इनकार करने के बाद उन्होंने उनके माता-पिता से इस बारे में पूछा था.

गोपी ने आरोप लगाया, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि वे अपने बच्चों को एक दलित महिला के हाथ से बना खाना नहीं खाने दे सकते.’

उनके ऐसा करने से मकवाना ने जो खाना बनाया था, वह बर्बाद हो गया.

घटना के बाद गोपी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत को पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को भेज दिया गया था. हालांकि उन्होंने अखबार को यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें बताया कि चूंकि यह स्कूल के अधिकारियों और जिला प्रशासन के बीच का मामला है, इसलिए वे हस्तक्षेप नहीं कर सकते.

स्कूल के प्रिंसिपल ने अखबार को बताया कि इस मुद्दे पर स्कूल के अधिकारियों की छात्रों के माता-पिता के साथ दो बैठकें हुई थीं, हालांकि माता-पिता अड़े थे और उन्होंने अपना रुख बदलने से इनकार कर दिया.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में प्रिंसिपल ने कहा, हम बच्चों को सिखा सकते हैं कि जातिवादी रवैया न रखें और सभी समान हैं, कोई भी अछूत नहीं है. दुख की बात है कि हम उनके माता-पिता को समझा नहीं सकते.

इसी तरह की एक घटना दिसंबर 2021 में उत्तराखंड के एक स्कूल में हुई थी, जहां छात्रों के माता-पिता ने दलित रसोइया की नियुक्ति का विरोध किया था. साथ ही अपने बच्चों को खाना न खाने का निर्देश दिया था. इतना ही नहीं रसोइये की जाति के बारे में जानने के बाद उन्हें टिफिन बॉक्स के साथ स्कूल भेजने का भी विरोध किया था.

कथित उच्च जाति के छात्रों द्वारा खाने से इनकार के बाद महिला रसोइया को काम से हटा दिया गया था.

इसके बाद रसोइए ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराई थी और अंततः उन्हें उनकी सरकारी नौकरी वापस दे दी गई थी.

हालांकि इस साल मई में ‘उच्च जाति’ के छात्रों के एक छोटे वर्ग द्वारा एक बार फिर भोजन करने से इनकार करने के बाद ये स्कूल एक बार फिर सुर्खियों में था.

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