मणिपुर के घाटी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के लिए पहाड़ी इलाकों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता देने हेतु ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर प्रदर्शन कर रहा है. प्रदेश महिला कांग्रेस ने कहा है कि इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि लोग भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. लोकतंत्र की हत्या भाजपा के शासन में रोज़ का मामला है.
इंफाल: मणिपुर की राजधानी इंफाल में शनिवार को प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प में करीब 30 छात्र और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए. इसके बाद राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है.
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) नाम का छात्र संगठन पहाड़ी क्षेत्र को और वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्तता देने के लिए विधानसभा के मानसून सत्र में मणिपुर (पर्वतीय क्षेत्र) स्वायत्त जिला परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021 (एडीसी बिल) पेश करने की मांग कर रहा है, ताकि पर्वतीय क्षेत्र का राज्य के घाटी वाले इलाकों के समतुल्य विकास सुनिश्चित हो सके.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने मंगलवार (दो जुलाई) को मणिपुर (पर्वतीय क्षेत्र) जिला परिषद छठे एवं सातवें संशोधन विधेयक पेश किए थे. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ये विधेयक उनकी मांगों के अनुरूप नहीं हैं.
पर्वतीय जिलों को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की मांग को लेकर संगठन ने अपना प्रदर्शन तेज कर दिया है और इसी दौरान उनकी पुलिस से झड़प हो गई. उनके कुछ नेताओं की गिरफ्तारी की गई है, जिसका संगठन ने विरोध जताया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) के कुछ नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में इंफाल पश्चिम जिले के काबो लीकाई में 100 से अधिक आदिवासी छात्र एकत्र हुए.
छात्र नेताओं को मणिपुर के पहाड़ी जिलों में पूर्ण बंद और उसके बाद आर्थिक नाकेबंदी लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
वे पहाड़ी क्षेत्र समिति (एचएसी)-अनुशंसित स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) संशोधन विधेयक-2021 को पेश करने की मांग कर रहे थे.
हालांकि, प्रदर्शनकारियों को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए पुलिस ने तितर-बितर कर दिया. पुलिस की कार्रवाई से क्षुब्ध प्रदर्शनकारी आक्रोशित हो गए और पुलिस से उनकी भिड़ंत हो गई.
राज्य के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर में अगले दो महीनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है.
Manipur | Section 144 CrPC imposed in the Churachandpur and Bishnupur districts for the next two months after 3-4 people torched a vehicle in Phougakchao Ikhang last evening. pic.twitter.com/WjY5mTOio4
— ANI (@ANI) August 7, 2022
हालातों को सामान्य करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों पुलिसकर्मियों पर पथराव किया. झड़प के दौरान, करीब 30 छात्र और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए.
ऑल कॉलेज ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन के एक नेता निंगजान जाजो ने कहा, ‘हम अपने नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस छात्रों को परेशान करने लगी. हम पुलिस की ज्यादती की कड़ी निंदा करते हैं. जब तक कि गिरफ्तार एटीएसयूएम नेताओं को रिहा नहीं कर दिया जाता, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.’
इस बीच, इंफाल पश्चिम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शनिवार को गिरफ्तार एटीएसयूएम नेताओं को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
सुनवाई के दौरान अभियोजक ने अदालत को सूचित किया कि एटीएसयूएम द्वारा बुलाए गए पहाड़ी इलाकों में बंद ने खतरनाक रुख अख्तियार कर लिया था, क्योंकि उन्होंने आर्थिक नाकाबंदी कर दी थी और विरोध के लिए हिंसा का सहारा लिया.
अभियोजक ने आगे बताया कि आरोपियों के सहयोगियों ने चुराचांदपुर के डीटीओ कार्यालय और उखरूल पुलिस से संबंधित एक पुलिस वाहन में आग लगा दी और सरकारी संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ की.
उन्होंने कहा, ‘आरोपियों के अन्य सहयोगियों को गिरफ्तार करना और अन्य सहयोगियों/संगठनों को अवैध गतिविधियों में लिप्त होने से रोकने के लिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजना बेहद जरूरी है.’
मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवा पांच दिनों के लिए निलंबित
इस बीच, मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है. विशेष सचिव (गृह) एच. ज्ञान प्रकाश ने शनिवार को इस बाबत एक आधिकारिक आदेश जारी किया.
आदेश के मुताबिक, कुछ असामाजिक तत्व नफरत भरे भाषणों को प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे लोगों की भावनाएं उद्वेलित हो रही थीं.
इसमें कहा गया है कि शनिवार शाम को फुगाकचाओ इखांग में कुछ लोगों द्वारा एक वाहन में आग लगाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है. इस घटना के बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया है.
बिष्णुपुर के जिला अधिकारी ने शनिवार शाम को घाटी जिले में अगले दो महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मणिपुर सरकार द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि राज्य में तनावपूर्ण सांप्रदायिक हालात पैदा हो गए हैं और कानून-व्यवस्था के स्थिति अस्थिर हो गई है.
Mobile data services suspended in the entire state of Manipur for 5 days after one van was reportedly set ablaze by 3/4 youths suspected to be of a community, in Bishnupur. The crime has created tense communal situation & volatile law & order situation in the state: Manipur Govt pic.twitter.com/4NoY1bQKVH
— ANI (@ANI) August 7, 2022
आदेश में आगे कहा गया है, ‘कुछ असामाजिक तत्व जनता के आक्रोश को भड़काने वाली तस्वीरों, हेट स्पीच और नफरत भरे वीडियो संदेशों के प्रसारण के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं. सोशल मीडिया भी अफवाह फैलाने वालों के लिए एक उपयोगी साधन बन गया है और इसका इस्तेमाल आम जनता को भड़काने के लिए किया जा रहा है, जिसके राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं.’
मणिपुर महिला कांग्रेस की ओर से कहा गया है, ‘पूरे मणिपुर में इंटरनेट डेटा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि लोग भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं! लोकतंत्र की हत्या भाजपा के शासन में रोज का मामला है.’
Internet data services have been suspended in entire Manipur, because people are protesting against BJP Govt!
Killing Democracy is an everyday affair under BJP @dnetta pic.twitter.com/omCdP1f2cT
— Manipur Pradesh Mahila Congress (@ManipurPMC) August 7, 2022
गौरतलब है कि पहाड़ी जिलों से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर एटीएसयूएम द्वारा की गई अनिश्चितकालीन ‘आर्थिक नाकेबंदी’ के कारण घाटी क्षेत्र में आपूर्ति ठप पड़ गई है.
छात्र संगठन राज्य के घाटी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के लिए पहाड़ी इलाकों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता देने के वास्ते मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) स्वायत्त जिला परिषद (संशोधन) विधेयक-2021 को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने की मांग कर रहा है.
हालांकि, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने बीते दो जुलाई को मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) जिला परिषद छठा और सातवां संशोधन बिल पेश किया, जो प्रदर्शनकारियों के मुताबिक उनकी मांगों के अनुरूप नहीं है.
संशोधन विधेयक पेश किए जाने के बाद एटीएसयूएम ने आदिवासी बहुल कांगपोकपी और सेनापति में बीते दो जुलाई पूर्ण बंदी लागू कर रखी है.
अनिश्चितकालीन नाकेबंदी के बाद घाटी स्थित संगठन मेइती लीपुन ने शुक्रवार दोपहर एटीएसयूएम के इंफाल कार्यालय को बंद कर दिया. मेइती लीपुन का दावा है कि नाकेबंदी राज्य के घाटी क्षेत्रों को लक्षित करती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)