मामला हज़ारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का है. आकाशीय बिजली गिरने से गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में करने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया है. अस्पताल ने आरोपों से इनकार किया है.
हजारीबाग: झारखंड में हजारीबाग जिले के एक अस्पताल में आकाशीय बिजली गिरने से गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में करने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया है.
ऐसा दावा किया गया है कि हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल के सचिव रंजन चौधरी ने यह वीडियो बनाया.
इसमें कथित तौर पर दिखाया गया है कि बिजली गिरने से गंभीर रूप से घायल मरीज का इलाज हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एचएमसीएच) में मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में किया जा रहा है क्योंकि उस समय अस्पताल में बिजली नहीं थी. इस वीडियो को बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया गया.
हजारीबाग जिला प्रशासन ने वीडियो की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. बहरहाल, अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है कि मरीज का मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया.
गौरतलब है कि जिले के कटकमसांडी प्रखंड के अरघुसाई गांव का 24 वर्षीय सागर कुमार राणा बृहस्पतिवार शाम आकाशीय बिजली की चपेट में आने से घायल हो गया था. उसे एचएमसीएच लाया गया और उसी रात इलाज के लिए अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने मरीज का ईसीजी कराने का निर्देश दिया. इस दौरान अस्पताल की बिजली चली गई.
वीडियो बनाने वाले रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन को सूचना देने के बावजूद बिजली बहाल नहीं की गई.
उन्होंने कहा कि वहां एक शक्तिशाली डीजल जनरेटर सेट लगाया गया है ताकि मरीजों को आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जा सकें. इसके अलावा, बिजली संकट से निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज में 50 लाख रुपये का सोलर प्लांट भी लगाया गया है, लेकिन यह महीनों से खराब पड़ा हुआ है.
हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा, ‘मैंने इस संबंध में एसडीओ हजारीबाग विद्या भूषण कुमार की अध्यक्षता में दो सदस्यीय जांच समिति का गठन पहले ही कर लिया है. रिपोर्ट मिलने के बाद ही हम कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे. सोशल मीडिया के जरिये वायरल वीडियो के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती.’
इस बीच, एचएमसीएच हजारीबाग के उपाधीक्षक डॉ. एके सिंह ने मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में मरीज का इलाज किए जाने के आरोपों से इनकार किया.
उन्होंने कहा कि जनरेटर सेट को चालू होने में पांच से सात मिनट का समय लगता है. जनरेटर से बिजली बहाल करने के बाद मरीज का ईसीजी कराया गया और उसके बाद डॉक्टरों ने मरीज को देखा.
सिंह ने कहा कि मरीज की हालत स्थिर है लेकिन बेहतर इलाज के लिए उन्हें रांची के रिम्स रेफर कर दिया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)