बंगाल: प्रोफेसर का आरोप, इंस्टाग्राम फोटो के चलते इस्तीफ़े के लिए मजबूर किया गया

कोलकाता के सेंट ज़ेवियर्स विश्वविद्यालय की एक पूर्व प्रोफेसर का कहना है कि कुलपति और कुलसचिव ने एक 'कंगारू कोर्ट' लगाकर उन्हें कहा कि उनकी इंस्टाग्राम तस्वीरों को 'आपत्तिजनक' बताते हुए एक छात्र के अभिभावकों ने शिकायत की थी. इस दौरान उन पर यौन टिप्पणियां भी की गईं.

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(फोटो साभार: sxccal.edu)

कोलकाता के सेंट ज़ेवियर्स विश्वविद्यालय की एक पूर्व प्रोफेसर का कहना है कि कुलपति और कुलसचिव ने एक ‘कंगारू कोर्ट’ लगाकर उन्हें कहा कि उनकी इंस्टाग्राम तस्वीरों को ‘आपत्तिजनक’ बताते हुए एक छात्र के अभिभावकों ने शिकायत की थी. इस दौरान उन पर यौन टिप्पणियां भी की गईं.

(फोटो साभार: sxccal.edu)

कोलकाता: कोलकाता के सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय की एक पूर्व महिला प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया है. महीनों पहले उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा उनका इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि एक छात्र के अभिभावक ने इंस्टाग्राम पर उनकी कथित आपत्तिजनक फोटो के खिलाफ शिकायत की थी.

महिला के मुताबिक, अगले हफ्ते तक संबंधित अदालत में विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ एक रिट याचिका लगाई जाएगी.

नाम गोपनीय रखने की शर्त पर महिला ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि 7 अक्टूबर 2021 को कुलपति (वीसी) फेलिक्स राज, कुलसचिव अशीष मित्रा की उपस्थिति में एक ‘कंगारू कोर्ट’ लगाई गई थी, जहां ‘उसे डराया-धमकाया गया और सेक्सुअल टिप्पणियों के साथ ताने मारे गए’ और बिना किसी उकसावे या औचित्य के आपत्तिजनक इशारे किए गए.

महिला ने बताया, ‘मुझे बताया गया कि एक अंडरग्रेजुएट छात्र के माता-पिता ने अपने बेटे को मेरे निजी इंस्टाग्राम एकाउंट से मेरे फोटो देखते हुए पाया था, जो उसे आपत्तिजनक और नग्नता की सीमा वाले लगे. मेरे कमरे में ली गईं नीले रंग के स्विम सूट में मेरी दो फोटो थीं जो मैंने पिछले साल इंस्टाग्राम स्टोरी के रूप में पोस्ट की थीं, विश्वविद्यालय का हिस्सा बनने से हफ्तों-महीनों पहले. ऐसा कोई तरीका नहीं था जिससे उन तस्वीरों को अभी भी देखा जा सके, क्योंकि इंस्टाग्राम स्टोरी की डिफॉल्ट सेटिंग के तौर पर वे केवल 24 घंटों के लिए लाइव होती हैं. इसके अलावा, मेरी इंस्टाग्राम प्रोफाइल प्राइवेट है, न कि पब्लिक… उन दो तस्वीरों को छात्र हफ्तों बाद नहीं देख सकता था.’

गौरतलब है कि महिला पिछले साल अगस्त में विश्वविद्यालय का हिस्सा बनी थीं. उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर 2021 को उन्हें वीसी के कार्यालय से एक फोन आया और उन्हें उसी दिन शाम 4 बजे वीसी के साथ बैठक में उपस्थित होने के लिए कहा गया.

पुलिस को दी अपनी शिकायत में महिला ने कहा है, ‘यह मेरे लिए एक रहस्य है कि विश्वविद्यालय मेरी उन तस्वीरों तक कैसे पहुंचा. मैं उस पल इतना व्यथित और अपमानित महसूस कर रही थी कि मैं बाकी तस्वीरों की जांच नहीं कर सकी. मैं एक बैठक में थी जहां मेरी निजी तस्वीरें मेरी सहमति के बिना अज्ञात लोगों के बीच प्रसारित की जा रही थीं.’

महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस तरह इंस्टाग्राम स्टोरी को अन्य पक्षों द्वारा सिर्फ हैकिंग के जरिये ही देखा जा सकता है या फिर कोई उन तस्वीरों का तब स्क्रीनशॉट ले ले जब उन्हें पोस्ट किया गया था.

छात्र के माता-पिता का वह पत्र जो 7 अक्टूबर की बैठक में प्रोफेसर के सामने पढ़ा गया था, उसमें कहा गया था, ‘हम अपने बेटे को प्रोफेसर (…) की कुछ तस्वीरें देखते हुए पाकर हैरान रह गए जिनमें उन्होंने जानबूझकर सार्वजनिक रूप से नग्नता का प्रदर्शन किया था… यह अश्लील, असभ्य और अनुचित था कि 18 वर्षीय छात्र अपनी प्रोफेसर को कम कपड़ों में सार्वजनिक मंच पर देह का प्रदर्शन करते हुए देखे ‘

दो यूरोपीय विश्वविद्यालयों से डॉक्टर की उपाधि रखने वाली पूर्व प्रोफेसर ने आरोप लगाया है कि जिस तरीके से उनसे इस्तीफा दिलवाया गया वह यौन उत्पीड़न था.

वीसी को संबोधित उनके त्यागपत्र में कहा गया था, ‘आपने मुझे इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि कैसे मेरी उन तस्वीरों तक पहुंचा गया जो कि मैंने महीनों पहले संस्थान का हिस्सा बनने से पूर्व पोस्ट की थीं और जो चुनिंदा लोगों के साथ 24 घंटों के लिए साझा की गई थीं. न ही आपने ऐसा कोई आश्वासन दिया कि तस्वीरों को नष्ट कर दिया जाएगा. इसके बजाय, नैतिकता के मनमाने और रुढ़िवादी मानकों का इस्तेमाल मुझे शर्मिंदा करने और मेरी तस्वीरों और शरीर का तमाशा बनाने के लिए किया गया.’