विवादास्पद स्पायवेयर पेगासस के दुरुपयोग के आरोपों के चलते भारत सहित दुनिया भर में चर्चित हुआ इज़रायली प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ ग्रुप की यूरोपीय संघ में बड़ी मौजूदगी सामने आई है. मीडिया में आई एक ख़बर के मुताबिक, यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से 12 देशों में एनएसओ के कम से कम 22 अनुबंध हैं.
यरुशलम: विवादास्पद स्पायवेयर पेगासस के दुरुपयोग के आरोपों के चलते भारत सहित दुनिया भर में चर्चित हुई इजरायली प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ ग्रुप की यूरोपीय संघ में बड़ी मौजूदगी है.
मीडिया में आई एक खबर के मुताबिक, यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से 12 देशों में एनएसओ के कम से कम 22 अनुबंध हैं.
दैनिक अखबार हारेत्ज के अनुसार, पेगासस स्पायवेयर मामले से संबंधित यूरोपीय संसद की जांच समिति के प्रतिनिधियों ने हाल में इजरायल का दौरा किया और उन्हें एनएसओ ग्रुप के कर्मचारियों से पता चला कि कंपनी के यूरोपीय संघ के 12 सदस्य देशों के साथ सक्रिय अनुबंध हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति की स्थापना पिछले साल पेगासस प्रोजेक्ट के प्रकाशन के बाद की गई थी और इसका उद्देश्य पेगासस जैसे साइबर युद्ध सॉफ्टवेयर के अधिग्रहण, आयात और उपयोग के लिए पैन-यूरोपीय नियम बनाना है.
लेकिन जब समिति के सदस्य इजरायल में थे और विशेष रूप से ब्रसेल्स लौटने के बाद यह पता चला था कि यूरोप में भी एक अच्छी तरह से विकसित साइबर युद्ध उद्योग है – और इसके कई ग्राहक यूरोपीय देश हैं.
इजरायल की अपनी यात्रा के दौरान यूरोपीय समिति के सदस्य यह जानकर हैरान हुए कि अधिकांश यूरोपीय संघ के देशों के कंपनी के साथ अनुबंध थे. 14 देशों ने अतीत में एनएसओ के साथ व्यापार किया है और कम से कम 12 अभी भी पेगासस का उपयोग कर रहे हैं.
एनएसओ ग्रुप ने कथित तौर पर टिप्पणी के लिए हारेत्ज़ के अनुरोध का जवाब नहीं दिया.
मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई 2021 से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
इस पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.
यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनियाभर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.
बता दें कि एनएसओ ग्रुप मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)