कर्मचारी राष्ट्रविरोधी, सांप्रदायिक सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलें: मणिपुर सरकार

मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं. विशेष गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं. विशेष गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

इम्फाल: मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं.

विशेष सचिव (गृह) एच. ज्ञान प्रकाश ने बुधवार (10 अगस्त) देर रात जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.

पत्र में कहा गया है, ‘यह देखा गया है कि सोशल मीडिया मंच जैसे फेसबुक, वॉट्सऐप आदि पर कई औपचारिक और अनौपचारिक समूह अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी, राज्य-विरोधी, असामाजिक, सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं, जिनसे राज्य के मौजूदा शांतिपूर्ण सामाजिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रभाव पड़ता है.’

पत्र में कहा गया है, ‘जानकारी मिली है कि कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई सरकारी अधिकारी अनजाने में या जान-बूझकर इन समूहों के सदस्य हैं, जो इस तरह के अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी, राज्य-विरोधी, असामाजिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं.’

पत्र में कहा गया है कि इन समूहों के सदस्य, अपने संबंधित एजेंडे को फैलाने और आगे बढ़ाने के लिए, झूठी सूचना, अभद्र भाषा और वीडियो के प्रचार में लिप्त हैं और ऐसी जानकारी भी साझा करते हैं, जो सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए.

पत्र में कहा गया है कि ऐसे समूहों में भागीदारी को सेवा नियमों के उल्लंघन की गतिविधियों में शामिल होने के रूप में माना जा सकता है, जिसके लिए कर्मचारी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे.

सरकार ने अपने कर्मचारियों से कहा कि ऐसे समूहों से बाहर नहीं निकलने पर अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 और केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के कुछ प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि आदिवासी बहुल पर्वतीय जिलों के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग को लेकर पिछले सप्ताह राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद सरकार ने दो दिनों से अधिक समय के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया था.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार ने यह पत्र बुधवार शाम को उस समय जारी किया, जब ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर अपनी अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी को अस्थायी रूप से रोक दिया था.

संगठन ने यह आर्थिक नाकाबंदी मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) स्वायत्त जिला परिषद (संशोधन) विधेयक 2021 को विधानसभा में पेश करने की मांग करते हुए किया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पहाड़ी क्षेत्रों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता मिले.

एटीएसयूएम ने कहा कि उसने लोगों की दुर्दशा को देखते हुए नाकाबंदी को स्थगित करने का फैसला किया है. हालांकि, इसने आने वाले दिनों में अन्य प्रकार के आंदोलनों के साथ अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)