सोशल मीडिया पर सामने आए करनाल ज़िले के एक वीडियो में कुछ राशनकार्ड धारक शिकायत करते दिख रहे थे कि उन्हें 20 रुपये में तिरंगा खरीदने को मजबूर किया जा रहा है. अब एक बयान में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया है कि कोई अगर राष्ट्रध्वज नहीं खरीदना चाहता है तब भी उसे किसी सेवा से वंचित नहीं किया जाएगा.
नई दिल्ली: हरियाणा के करनाल जिले में बीस रुपये का राष्ट्रध्वज लेने पर ही राशन देने की बात सामने आने के बाद आरोपी वितरक का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है.
देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के जश्न के रूप में केंद्र सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया है, जिसके तहत सभी नागरिकों से उनके घरों में राष्ट्रीय ध्वज लगाने को कहा गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान के तहत देशवासियों से अपने घरों में 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच तिरंगा लगाने का आग्रह किया है. प्रधानमंत्री के इस आह्वान को सफल बनाने के लिए भाजपा भी अभियान चला रही है.
बुधवार को ऐसी कई ख़बरें आई थीं, जिनमें कहा गया था कि करनाल समेत राज्य के कई जिलों में राशन वितरकों द्वारा लाभार्थियों को झंडा खरीदने के लिए बाध्य किया गया था. लोगों ने इसका विरोध किया था.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, करनाल के डिप्टी कमिश्नर अनीश यादव ने बताया कि जिले के हिमदा गांव के राशन वितरक द्वारा राशन कार्ड धारकों को बीस रुपये का राष्ट्र ध्वज खरीदने को मजबूर करने की बात सामने आई है. इस बारे में अधिकारियों को जानकारी मिलते ही डिपो होल्डर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
ख़बरों के मुताबिक, बुधवार को मीडिया से बात करते हुए इस वितरक ने कहा था कि विभागीय इंस्पेक्टर ने उन्हें निर्देश दिया था कि झंडा बेचना अनिवार्य है और वो बस उसी निर्देश का पालन कर रहा था.
हालांकि यादव ने कहा कि राशन डिपो पर झंडे लोगों की सुविधा के लिए रखवाए गए थे कि अगर लोग वे चाहें तो यहीं से बीस रुपये देकर खरीद लें.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक युवती कहती है, ‘हर घर में झंडा लगाने के लिए कहने के बजाय क्यों न हर घर में नौकरी देने के लिए जोर दिया जाए. अगर ऐसा होता है और बेरोजगारी नहीं होती है, तो इतने सारे घरों में मुश्किलें नहीं होंगी. अभी लोग राशन ले पाने तक को लेकर परेशान हैं.’
इस वीडियो को ‘करनाल ब्रेकिंग न्यूज’ नाम की वेबसाइट ने बनाया है. वीडियो में एक अन्य शख्स कहता नजर आता है, ‘मुझे झंडा नहीं चाहिए, मैं यहां राशन लेने के लिए आया हूं. मेरे पास इसके लिए पैसे नहीं हैं. मैंने यहां आसपास के 10 से 20 लोगों से पैसे मांगे तो उन्होंने कहा कि हमारे पास काम नहीं है, हम पैसे कहां से लाएंगे.’
इस वीडियो को साझा करते हुए विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की थी. खुद भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी इसे ट्वीट करते हुए कहा था कि तिरंगे की कीमत गरीब का निवाला छीनकर वसूलना शर्मनाक है.
इस विवाद के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी को राष्ट्रीय ध्वज खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है.
एक बयान में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया है, ‘कोई व्यक्ति अगर राष्ट्रीय ध्वज नहीं खरीदना चाहता है तो भी उसे किसी सेवा से वंचित नहीं किया जाएगा. हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोग स्वेच्छा से झंडा खरीद सकते हैं.’
इससे पहले केंद्र सरकार ने भी स्पष्टीकरण जारी करते हुए बुधवार को कहा था कि राशन दुकान मालिकों को राष्ट्रीय ध्वज नहीं खरीदने पर लोगों को राशन न देने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)