केंद्र से पूर्वोत्तर के चार राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर में परिसीमन की प्रक्रिया को तेज़ करने की मांग को लेकर पूर्वोत्तर छात्रों के फोरम सहित विभिन्न संगठनों ने दिल्ली स्थित जंतर मंतर में प्रदर्शन किया. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने परिसीमन की प्रक्रिया पिछले 51 साल में नहीं की है.
नई दिल्ली: केंद्र से पूर्वोत्तर के चार राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया को तेज करने की मांग को लेकर पूर्वोत्तर छात्रों के फोरम सहित विभिन्न संगठनों ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया.
पूर्वोत्तर के विभिन्न समूहों के करीब 100 से 150 सदस्यों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर ‘हमें न्याय चाहिए’ और ‘हम परिसीमन की मांग करते हैं’ के नारे लगाए.
नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स फोरम ऑन डिलिमिटेशन, परिसीमन मांग समिति-पूर्वोत्तर (डीडीई-एनई), अपतानी यूथ एसोसिएशन व अरुणाचल प्रदेश के अपतानी समुदाय के शीर्ष निकाय तनव सुपुन डुकुन के सदस्यों ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मणिपुर के लोकसभा सदस्य और परिसीमन आयोग के सदस्य लोरहो एस. फोज़े ने कहा कि असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर की सीमा को ‘पुनर्गठित’ करने की जरूरत है.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने इस परिसीमन प्रक्रिया को बहुत कम महत्व दिया है.
फोजे ने कहा, ‘यह दुख की बात है कि कई सालों के बाद भी हम ऐसी स्थिति में हैं कि लोग अब भी अपने मौलिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. वे (केंद्र) परिसीमन का आदेश नहीं देने के लिए कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र ने पूर्वोत्तर के राज्यों को बहुत कम महत्व दिया है.’
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र ने परिसीमन की प्रक्रिया गत 51 साल में नहीं की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि केंद्र हमारी अपील पर ध्यान देगा और हमारी मांगों की उपेक्षा नहीं करेगा. मुझे विश्वास है कि सरकार हमारी आवाज का जवाब देगी.’
अपनी प्राथमिक चिंताओं के बारे में बोलते हुए डीडीसी-एनई के मीडिया सेल के प्रभारी जे. मैवियो ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों का असमान वितरण है.
NESFOD will carry out peaceful rally on the 12.08.2022 at Jantar Mantar to raise our voices against the unequal representation and for justice.
Left to right. Ms. Peichun Gangmei, Mr. Samuel Lalrochan Khobung, Mr. Haineube Newme, Ms. Ngilyang Reela co-coordinators (NESFOD)— NESFOD (@NESFOD2022) August 9, 2022
मैवियो ने कहा, ‘परिसीमन अधिनियम, 2002 को संशोधित हुए दो दशक हो चुके हैं. फिर भी, इन चार पूर्वोत्तर राज्यों में न तो केंद्र सरकार द्वारा और न ही भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा परिसीमन का कोई अभ्यास किया गया है.’
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त हाबुंग पायेंग ने कहा कि केंद्र ने अभ्यास में देरी करके भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन किया है.
पूर्वोत्तर समूह केवल अपने संवैधानिक अधिकार की मांग कर रहे हैं कहते हुए पायेंग ने कहा, ‘केंद्र और चुनाव आयोग परिसीमन की कवायद में देरी के बहाने कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला दे रहे हैं. अगर इन चार पूर्वोत्तर राज्यों में कानून-व्यवस्था की समस्या है, तो वे चुनाव क्यों करा रहे हैं? यह पाखंड के अलावा और कुछ नहीं है.’
25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अनुसार चार पूर्वोत्तर राज्यों में परिसीमन अभ्यास करने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था.
शीर्ष अदालत ने परिसीमन मांग समिति की ओर से दायर याचिका पर गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और मुख्य चुनाव आयुक्त समेत अन्य को भी नोटिस जारी किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)