विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लिखे पत्र में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने कहा है कि तालिबानी शासन में अफ़ग़ान पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों और हमलों में खासी बढ़ोतरी हुई है.
नई दिल्ली: इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने भारत सरकार से अफगानिस्तान के उन पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को शरण का दर्जा देने का आग्रह किया है, जो तालिबान शासन में हमलों, धमकी और मनमानी हिरासत का सामना कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भेजे पत्र में पत्रकार यूनियन ने अनुरोध किया है कि भारत अपनी वीजा आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करे और अफगानिस्तान में पत्रकारों को सुविधा देने के लिए मानवीय दखल बढ़ाए.
पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगस्त 2021 में तालिबान शासन आने के बाद से मानवाधिकार, विशेष रूप से मीडिया अधिकार, बेहद तनावपूर्ण स्थिति में आ गए हैं और अनुमान है कि पिछले वर्ष में 1,000 पत्रकारों ने देश छोड़ा है.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए यूनियन ने कहा कि 15 अगस्त, 2021 से 15 जून, 2022 के बीच 173 मानवाधिकार उल्लंघन हुए, जिनमें से 163 के लिए तालिबान जिम्मेदार रहा. इन उल्लंघनों में मनमानी गिरफ़्तारी और हिरासत के 122, डराने-धमकाने के 33 और हत्या के छह मामले थे.
मंत्री में लिखे पत्र में कहा गया, ‘पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठनों को मिली दंडमुक्ति के बीच इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने अपनी दक्षिण एशिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट में अफगानिस्तान में मीडिया अधिकारों के 75 उल्लंघन दर्ज किए हैं, जिनमें मई 2021 से अप्रैल 2022 तक हुई 12 हत्याएं और 30 गिरफ्तारियां शामिल हैं.’
पत्र में यह भी कहा गया है कि तालिबान शासन में महिलाओं के अधिकार तेजी से कमजोर हुए हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां व्यापक उत्पीड़न, मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत और ढेरोंअमानवीय प्रतिबंध लगाए गए हैं. पत्र में कहा गया है कि पत्रकारिता का काम करने वाली महिलाओं को इन प्रतिबंधों से कोई रियायत नहीं मिली हुई है.
इस बीच, यूनियन ने एक प्रेस बयान में भारत में पत्रकारों से अफगानिस्तान में खतरों के बीच रह रहे साथी पत्रकारों को समर्थन देने के लिए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के विशेष अफगानिस्तान सुरक्षा कोष के लिए धन जुटाने का अनुरोध भी किया है.