बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के दोषी ठहराए गए 11 क़ैदियों को सोमवार को गोधरा जेल से रिहा किया गया. बिलकीस के परिवार ने रिहाई पर हैरत जताते हुए कहा है कि वे इस बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
अहमदाबाद/नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत 2002 में हुए बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनकी बच्ची समेत परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों की रिहाई की मंजूरी दी, जिसके बाद सोमवार को गोधरा उप-कारागार से इन्हें रिहा कर दिया गया.
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया जा रहा है. इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया है.
वीडियो में दिख रहे 2002 दंगों में बिलकिस बानो रेप मामले में सजायाफ्ता कैदियों की हैं,इनका स्वागत,आरती,तिलक लगाकर,मिठाई खिलाकर किया गया.
अब इंतज़ार है रेपिस्टों के सम्मान में रैली भी निकले
जब गैंगरेप हुआ तब बिल्कीस 5 महीने की गर्भवती थी उनकी एक 3 साल की बच्ची की भी हत्या की गयी. pic.twitter.com/DYpaZMs1Wu
— Yogita Bhayana योगिता भयाना (@yogitabhayana) August 16, 2022
महिला अधिकार कार्यकर्ता और पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया की प्रमुख योगिता भयाना ने एक ट्वीट में लिखा, ‘वीडियो में दिख रहे 2002 दंगों में बिलकीस बानो रेप मामले में सजायाफ्ता कैदियों की हैं. इनका स्वागत, आरती, तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर किया गया. अब इंतज़ार है रेपिस्टों के सम्मान में रैली भी निकले.’
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने भी इसकी आलोचना की है. उन्होंने वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘भयानक. इन बलात्कारियों को मुक्त किया जाना ही न्याय का अपमान है. स्वागत और अभिनंदन सामाजिक अश्लीलता. बिलकीस की त्रासदी समाज और तंत्र की साझी सड़ांध का दस्तावेज है.
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेन्स एसोसिएशन की सदस्य कविता कृष्णन ने भी दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाए हैं.
On #IndependenceDay2022 when @PMOIndia was giving a speech asking us to respect women, support “Nari Shakti”, @CMOGuj was releasing 11 convicted gang-rapists of #BilkisBano on remission. Can @narendramodi tell us, is Bilkis not part of your “Nari Shakti” because she’s Muslim? pic.twitter.com/A9Lxr1giyZ
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) August 16, 2022
उन्होंने लिखा,‘स्वतंत्रता दिवस पर जब प्रधानमंत्री हमें महिलाओं का सम्मान करने और नारी शक्ति का समर्थन करने के लिए भाषण दे रहे थे तब गुजरात सरकार अपनी क्षमा नीति के तहत बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों को कर रहा था. क्या नरेंद्र मोदी बता सकते हैं कि बिलकीस उनकी ‘नारी शक्ति’ का हिस्सा नहीं हैं, क्योंकि वह एक मुस्लिम हैं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘नरेंद्र मोदी जी कल जब आपने ‘महिलाओं का सम्मान’ कही थी तो क्या आपका मतलब उन बलात्कारियों और हत्यारों को बधाई के लड्डू देना था, जिन्हें गुजरात में आपकी पार्टी की सरकार द्वारा मुक्त किया गया है? क्या बलात्कारी ‘चाचा’ और ‘भाइयों’ को ये लड्डू मिल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने मुस्लिम बिलकीस बानो का बलात्कार किया?’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में महिलाओं के अपमान से छुटकारा पाने का संकल्प लेने की बात कही थी.
दोषियों को रिहा किए जाने की खबर से हैरत में हैं- बिलकीस के पति याक़ूब
इस बीच बिलकीस बानो के पति याकूब रसूल ने मंगलवार को कहा कि वह 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहा किए जाने की खबर से हैरत में हैं.
रसूल ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि वह सोमवार को हुए घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि वे, उनकी पत्नी और पांच बेटों के पास घटना के 20 साल से अधिक समय बाद भी रहने की कोई स्थायी जगह नहीं है.
रसूल ने बताया कि उन्हें दोषियों के रिहा होने की खबर मीडिया से मिली. उन्होंने कहा, ‘हमें इसकी कोई जानकारी नहीं थी कि उन्होंने (दोषियों) कब आवेदन किया और राज्य सरकार ने क्या फैसला लिया. हमें कभी कोई नोटिस नहीं मिला. हमें इस बारे में नहीं बताया गया.’
सरकार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर रसूल ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या कहना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘हम इस पर कुछ भी नहीं कहना चाहते. मैं ब्योरा मिलने के बाद ही बात कर सकता हूं. हम बस दंगों में जान गंवाने वाले अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं. हम हमारी बेटी समेत इस घटना में मारे गए लोगों को हर दिन याद करते हैं.’
रसूल ने कहा कि गुजरात सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार नौकरी या मकान की कोई व्यवस्था नहीं की है.’
रसूल ने कहा कि उनका परिवार अब भी बिना किसी स्थायी पते के छिपकर रह रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार से मिले मुआवजे का इस्तेमाल उनके बेटों की शिक्षा पर किया जा रहा है.
गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगने की घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई. इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों से बचने के लिए बिलकीस बानो, जो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, अपनी बच्ची और परिवार के 15 अन्य लोगों के साथ अपने गांव से भाग गई थीं.
तीन मार्च 2002 को दाहोद जिले की लिमखेड़ा तालुका में जहां वे सब छिपे थे, वहां 20-30 लोगों की भीड़ ने बिलकीस के परिवार पर हमला किया था. यहां बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, जबकि उनकी बच्ची समेत परिवार के सात सदस्य मारे गए.
बिलकीस द्वारा मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था.
मामले की सुनवाई अहमदाबाद में शुरू हुई थी, लेकिन बिलकीस बानो ने आशंका जताई थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है, साथ ही सीबीआई द्वारा एकत्र सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2004 में मामले को मुंबई स्थानांतरित कर दिया.
21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने बिलकीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके सात परिजनों की हत्या का दोषी पाते हुए 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत एक गर्भवती महिला से बलात्कार की साजिश रचने, हत्या और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप में दोषी ठहराया गया था.
सीबीआई की विशेष अदालत ने सात अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी.
इसके बाद 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए सात लोगों को बरी करने के निर्णय को पलट दिया था. अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकीस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी और आवास देने का आदेश दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)