नीति आयोग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग के किसी भी अधिकारी द्वारा किसी भी मीडिया आउटलेट में प्रकाशन के लिए लेख या ऑप-एड भेजने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों के मामले में सीईओ, कनिष्ठ अधिकारियों के मामले में उनके संबंधित सलाहकारों से मंज़ूरी लेनी होगी.
नई दिल्ली: नीति आयोग ने अपने अधिकारियों से कहा है कि मीडिया में कोई भी ऑप-एड/आलेख भेजने से पहले अपने वरिष्ठ से इसे स्वीकृत करवाएं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ऐसा निर्देश है कि किसी भी मीडिया आउटलेट में प्रकाशन के लिए भेजने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों के मामले में सीईओ, कनिष्ठ अधिकारियों के मामले में उनके ‘संबंधित सलाहकारों से मंजूरी लेनी होगी.
सरकार के शीर्ष थिंक टैंक ने 12 मई को अपने अधिकारियों को एक पत्राचार में कहा है, ‘यह बताने का निर्देश दिया गया है कि इस बात का सख्त अनुपालन हो कि नीति आयोग के अधिकारियों/कार्मिकों द्वारा लिखे गए वे सभी ऑप-एड/लेख, जिसमें वे अपनी पहचान नीति आयोग के एक अफसर या कर्मचारी के तौर पर बताते हैं, जिन्हें समाचार पत्रों/पत्रिकाओं/समाचार वेबसाइट आदि में बाहरी प्रकाशन के लिए भेजा जाता है, को संबंधित सलाहकार द्वारा विधिवत स्वीकृत करवाया जाना चाहिए… वरिष्ठ सलाहकारों/सलाहकारों/विभागीय प्रमुखों के लेखों को सीईओ द्वारा अनुमोदित करवाया जाना चाहिए.’
इसमें आगे कहा गया कि सभी ऑप-एड/लेख प्रकाशन के लिए संचार (कम्युनिकेशन्स) विभाग द्वारा भेजे जाएंगे. यही विभाग इस बारे में अंतिम निर्णय लेगा कि यह ऑप-एड/लेख बाहरी प्रकाशन के लिए तय किए गए न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है या नहीं.
सूत्रों के अनुसार, लिखित निर्देश के अलावा नीति आयोग अधिकारियों को मौखिक तौर पर भी इस आदेश को मानने के लिए कहा गया है. सूत्रों ने बताया कि हाल ही में सोमवार को होने वाली एक बैठक, जिसमें नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सीईओ परमेश्वरन अय्यर और अन्य सदस्य और अधिकारी शामिल हुए थे, में इस आदेश के बारे में बताया गया था.
बेरी ने 1 मई, 2022 से नीति आयोग के उपाध्यक्ष के तौर पर पदभार संभाला है, जबकि अय्यर ने 11 जुलाई को कार्यभार ग्रहण किया.
इस अख़बार द्वारा संपर्क किए जाने पर नीति आयोग के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ‘नीति आयोग एक सरकारी थिंक टैंक है, इसने समय-समय पर लेख प्रकाशित करते समय उचित सतर्कता बरतने को लेकर सामान्य परामर्श जारी किए हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इस नियमित सलाह की गलत व्याख्या की जा रही है. नीति आयोग ने सरकार के आचरण नियमों को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मचारियों को लगातार विचार करने और रचनात्मक रूप से खुद को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है.’
हालांकि, अपने जवाब में प्रवक्ता ने उन तारीखों का उल्लेख नहीं किया, जब पहले इस तरह के परामर्श जारी किए गए थे. सूत्रों की मानें, तो हाल के समय में ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है.
नीति आयोग के एक थिंक टैंक की भूमिका में होने के चलते इस निर्णय का महत्व बढ़ जाता है. आयोग में दर्जनों सलाहकार हैं, जो अलग-अलग विभागों को संभालते हैं. सलाहकार और वरिष्ठ सलाहकार संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव की रैंक पर हैं. इसके अलावा, कई विभागीय प्रमुख भी हैं.