दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने और उनके द्वारा सामना की जाने वाली धमकियों या उत्पीड़न से संबंधित याचिकाएं या शिकायतें प्राप्त करने के लिए हर ज़िले में बनाए गए स्पेशल सेल के अस्तित्व के बारे में लोगों को जागरूक करने पर ज़ोर दिया.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते बुधवार (17 अगस्त) को अंतरजातीय युवक-युवतियों (Inter-Caste Couples) के उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को प्राप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हर जिले में बनाए गए स्पेशल सेल के अस्तित्व के बारे में लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस जसमीत सिंह ने 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एनजीओ धनक ऑफ ह्यूमैनिटी द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कहा, ‘यह एक नेक कार्य है, लेकिन यह कोरी औपचारिकता या कागजी कवायद नहीं होनी चाहिए. कृपया लोगों को जागरूक करें. यह समय की मांग है. अगर यह एक अंतर-जातीय विवाह है तो इसे संरक्षित करने की जरूरत है.’
पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि अंतर-धार्मिक विवाह वाले व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने और उनके द्वारा सामना की जाने वाली धमकियों या उत्पीड़न से संबंधित याचिकाएं या शिकायतें प्राप्त करने के लिए 15 ऐसे स्पेशल सेल पहले से मौजूद हैं.
हालांकि, अदालत ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट (Status Report) प्रदान की गईं सुविधाओं और सेवाओं का संकेत नहीं देती है.