नागपुर की जेल में सज़ा काट रहे पांडु नरोटे के वकीलों का आरोप है कि नरोटे को 20 अगस्त से बुख़ार था, लेकिन जेल अधिकारियों द्वारा उनकी हालत बेहद ख़राब हो जाने के बाद अस्पताल ले जाया गया.
नागपुर: माओवादियों के साथ संबंध रखने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा के साथ दोषी ठहराए गए पांडु नरोटे की गुरुवार शाम को स्वाइन फ्लू से मौत हो गई. वे 33 साल के थे.
पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) दीपा आगे ने बताया कि नागपुर केंद्रीय जेल के कैदी पांडु नरोटे को 20 अगस्त को तेज बुखार था और बाद में उनके स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने का पता चला. उन्होंने कहा कि नरोटे की गुरुवार शाम करीब पांच बजे मौत हो गई.
उन्होंने बताया कि उन्हें यहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, उधर नरोटे के वकीलों ने आरोप लगाया कि जेल अधिकारियों ने समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं की. उन्होंने कहा कि नरोटे की हालत खराब होने के बाद ही उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
उनके वकीलों में से एक आकाश सार्टे 23 अगस्त को अस्पताल में नरोटे से मिलने गए. उन्होंने कहा कि जब उन्हें अस्पताल लाया गया था, तब नरोटे पहले से ही काफी ख़राब स्थिति में थे.
उनके एक अन्य वकील निहालसिंह राठौड़ ने आरोप लगाया कि चिकित्सा देखभाल में हुई देरी के कारण नरोटे की मौत हुई है.
राठौड़ ने द वायर से कहा, ‘जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तो वह पहले से ही मरने जैसी स्थिति में थे. जब वह बीमार हुए तो जेल अधिकारियों ने उन्हें मेडिकल सहायता नहीं दी और जब उन्हें पता चला कि वे बच नहीं सकेंगे, तब वे उन्हें अस्पताल ले गए… सिर्फ यह दिखाने के लिए कि उनकी मौत अस्पताल में हुई.’
नरोटे, साईबाबा और चार अन्य को मार्च 2017 में यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
नरोटे को अगस्त 2013 में गढ़चिरौली के अहेरी से दो अन्य लोगों के साथ पकड़ा गया था. साईबाबा को मई 2014 में गिरफ्तार किया गया था.
नरोटे की मौत साईबाबा के स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है, जो 90% रूप से शारीरिक तौर पर अक्षम हैं. साईबाबा की पत्नी वसंता कुमारी ने कई बार बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ से उनकी रिहाई के लिए अनुरोध कर चुकी हैं.
इससे पहले साईबाबा ने भी कई बार पर्याप्त इलाज या मेडिकल सुविधाएं न मिलने की शिकायत की हैं. कई नागरिक समाज समूहों ने मांग की है कि वर्तमान में नागपुर की ‘अंडा सेल’ में कैद साईबाबा, जिनके महत्वपूर्ण अंग सही से काम करना छोड़ रहे हैं, को रिहा किया जाना चाहिए.
भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई एक याचिका के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा था, ‘उनकी उम्रकैद की सजा मौत की सजा में बदल गई है.’