धर्म संसद मामला: भड़काऊ भाषण के आरोपी जितेंद्र त्यागी 2 सितंबर तक सरेंडर करें- कोर्ट

हरिद्वार धर्म संसद मामले के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी की ज़मानत अवधि बढ़ाने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें दो सितंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. वसीम रिज़वी के नाम से जाने जाने वाले त्यागी फिलहाल चिकित्सकीय आधार पर ज़मानत पर हैं.

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जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी. (फोटो साभार: ट्विटर/@JitendraTyagi)

हरिद्वार धर्म संसद मामले के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी की ज़मानत अवधि बढ़ाने से इनकार करते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें दो सितंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. वसीम रिज़वी के नाम से जाने जाने वाले त्यागी फिलहाल चिकित्सकीय आधार पर ज़मानत पर हैं.

जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी. (फोटो साभार: ट्विटर/@JitendraTyagi)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मुसलमानों के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण से जुड़े हरिद्वार धर्म संसद मामले के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी को सोमवार को दो सितंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.

पहले वसीम रिजवी के नाम से जाने जाने वाले त्यागी फिलहाल चिकित्सकीय आधार पर जमानत पर हैं.

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने चिकित्सकीय आधार पर पहले दी गई जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि वह त्यागी द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर नौ सितंबर को विचार करेगी.

पीठ ने त्यागी के वकील से कहा, ‘उन्हें राहत देने का कोई कारण नहीं है. उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं. उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहें.’

शीर्ष अदालत ने 17 मई को त्यागी को चिकित्सकीय आधार पर तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें यह हलफनामा देने का निर्देश दिया था कि वह कोई नफरती भाषण नहीं देंगे तथा न ही इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई बयान देंगे.

इस साल मार्च में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद मामले में जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि त्यागी के भाषण की भाषा भड़काऊ थी, जिसका उद्देश्य युद्ध छेड़ना, आपसी दुश्मनी को बढ़ावा देना और पैगंबर मुहम्मद का अपमान करना था.

हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी नदीम अली की शिकायत पर इस साल दो जनवरी को हरिद्वार कोतवाली में त्यागी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक हिंदू संतों द्वारा हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में शामिल लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी बातें कहीं.

अली ने अपनी शिकायत में कहा था कि कुरान और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया तथा ये भड़काऊ बयान बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

उन्होंने आरोप लगाया था कि ये वीडियो त्यागी, यति नरसिंहानंद और अन्य लोगों द्वारा प्रसारित किए गए.

अली की शिकायत पर नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण के साथ ही स्वामी प्रबोधानंद गिरि और जितेंद्र नारायण पर घृणा भाषण देने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मालूम हो कि त्यागी के कथित हेट स्पीच के संबंध में उनके खिलाफ उत्तराखंड पुलिस ने आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना) और 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए जान-बूझकर टिप्पणी करना) के तहत मामला दर्ज किया है.

इससे पहले जनवरी 2022 को हरिद्वार की एक स्थानीय अदालत ने धर्म संसद के दौरान पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोपी जितेंद्र त्यागी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा इस ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलकर नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.

कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. नरसिंहानंद पहले ही नफरत भरे भाषण देने के लिए पुलिस की निगाह में रहे हैं.

यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.

हरिद्वार धर्म संसद मामले में नरसिंहानंद को 7 फरवरी को जमानत मिल गई थी, लेकिन अन्य लंबित मामलों के कारण उन्हें जेल से रिहा नहीं किया गया था. हरिद्वार की एक स्थानीय अदालत से बीते 17 फरवरी को जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.

मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के ​बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.

एफआईआर में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम भी जोड़े गए थे. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.

इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.

बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.

दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)