जामिया ने शोध कार्य में ‘असंतोषजनक’ प्रगति का हवाला देकर सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द किया

जामिया मिलिया इस्लामिया के सामाजिक विज्ञान संकाय ने कहा है कि पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय में एमफिल थीसिस जमा न करने के चलते सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द किया गया है. इससे पहले सफूरा ने बताया था कि उनके थीसिस जमा करने के लिए समय विस्तार के आवेदन पर बीते आठ महीने में कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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सफूरा जरगर. (फोटो साभार: फेसबुक/safoorazargar)

जामिया मिलिया इस्लामिया के सामाजिक विज्ञान संकाय ने कहा है कि पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय में एमफिल थीसिस जमा न करने के चलते सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द किया गया है. इससे पहले सफूरा ने बताया था कि उनके थीसिस जमा करने के लिए समय विस्तार के आवेदन पर बीते आठ महीने में कोई कार्रवाई नहीं की गई.

सफूरा जरगर. (फोटो साभार: फेसबुक/safoorazargar)

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय ने शोध कार्य में ‘असंतोषजनक’ प्रगति के कारण सामाजिक कार्यकर्ता सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द कर दिया है.

जरगर को 2020 के दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया था.

26 अगस्त की तिथि वाली एक अधिसूचना में, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन कार्यालय ने कहा कि जरगर ने पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के भीतर अपना एम.फिल शोध पत्र जमा नहीं किया

अधिसूचना में कहा गया है, ‘एमफिल/पीएचडी. (समाजशास्त्र) से सफूरा जरगर का पंजीकरण 22 अगस्त, 2022 से रद्द कर दिया गया है.’

डीन कार्यालय ने उल्लेख किया कि अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) द्वारा 5 जुलाई को की गई सिफारिश पर कार्रवाई की गई है. इस मामले को विभाग के बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा 22 अगस्त को अनुमोदित किया गया था.

अधिसूचना में कहा गया है, ‘आरएसी के दिनांक 5 जुलाई की सिफारिश पर, 22 अगस्त को डीआरसी (विभाग अनुसंधान समिति) और पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर, बोर्ड ऑफ स्टडीज ने प्रो. कुलविंदर कौर के तहत पंजीकृत सफूरा जरगर, एमफिल/पीएचडी स्कॉलर के प्रवेश को रद्द करने की मंजूरी दे दी.’

प्रशासन ने दावा किया कि जरगर के पर्यवेक्षक ने प्रगति रिपोर्ट में उसके प्रदर्शन को ‘असंतोषजनक’ के तौर पर चिह्नित किया और पाया कि उन्होंने निर्धारित अधिकतम अवधि की समाप्ति से पहले ‘महिला शोधार्थी’ के रूप में विस्तार के लिए आवेदन नहीं किया.

अधिसूचना में उल्लेख किया गया है, ‘शोधार्थी ने अपने एमफिल शोध पत्र को पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के साथ ही कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एक अतिरिक्त सेमेस्टर (छठे सेमेस्टर) में भी जमा नहीं किया, जो 6 फरवरी को समाप्त हो गया.’

इस बीच, समाजशास्त्र विभाग में एकीकृत एमफिल/पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लेने वाली जरगर ने कहा कि प्रवेश रद्द होने से ‘मेरा दिल टूटा है लेकिन मेरा हौसला नहीं.’ जरगर ने ट्वीट करके बताया कि उनका प्रवेश रद्द करने को कितनी जल्दबाजी में मंजूरी दी गई.

जरगर ने ट्वीट किया, ‘आम तौर धीमी गति से चलने वाले जामिया प्रशासन ने मेरे प्रवेश को रद्द करने में तेज गति से कार्य किया उसमें सभी नियत प्रक्रिया को छोड़ दिया गया. बता दूं, इससे मेरा दिल टूटा है लेकिन मेरा हौसला नहीं.’

मालूम हो कि सफ़ूरा को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में 10 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और बाद में दिल्ली पुलिस ने उन पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. जुलाई 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.

जरगर और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुछ छात्र नेताओं पर उत्तरपूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 की हिंसा के मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने का आरोप लगाया गया है.

पिछले हफ्ते जरगर ने ट्वीट किया था कि एमफिल ‘थीसिस’ जमा करने के लिए समय बढ़ाने के उनके आवेदन पर आठ महीने से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जरगर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि प्रशासन उनके आवेदन का जवाब नहीं दे रहा है.

जरगर ने बुधवार को जामिया कुलपति नजमा अख्तर को पत्र लिखा था कि प्रशासन द्वारा उन्हें प्रताड़िता किया जा रहा है.

द हिंदू से बात करते हुए, जरगर ने कहा कि वह पिछले आठ महीनों से विस्तार के लिए आवेदन कर रही थीं, लेकिन ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय ने पहले से ही तय कर लिया था कि वे उन्हें विस्तार नहीं देंगे.

उन्होंने कहा कि उसने जामिया की कुलपति को भी लिखा था कि उन्हें प्रशासन के हाथों अनुचित उत्पीड़नका शिकार होना पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ है उसे प्रोसेस करना मेरे लिए मुश्किल है. मैंने अपने जीवन के तीन साल अपनी अकादमिक खोज को दिए हैं और उन्होंने मुझे विस्तार देने से इनकार कर दिया है. मैंने पिछले तीन वर्षों में बहुत कुछ झेला है, जिसमें जेल का समय, गर्भावस्था, सरकारी हमले और ऑनलाइन ट्रोलिंग सब शामिल है. मैं अपने विश्वविद्यालय से इसकी उम्मीद नहीं की थी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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