2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में 15% की बढ़ोतरी, असम में सर्वाधिक: एनसीआरबी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 के 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.5 प्रतिशत हो गई. वहीं 20 लाख से ज़्यादा आबादी वाले महानगरों में दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित रहा.

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(फोटोः पीटीआई)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 के 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 64.5 प्रतिशत हो गई. वहीं 20 लाख से ज़्यादा आबादी वाले महानगरों में दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित रहा.

(फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में 2021 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 2020 में ऐसे अपराधों के 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,28,278 हो गया.

एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) 2020 में 56.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 64.5 प्रतिशत हो गई. इनमें से अधिकांश मामले पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (31.8 प्रतिशत) के रहे. उसके बाद ‘महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमला’ (20.8 प्रतिशत), अपहरण (17.6 प्रतिशत) और बलात्कार (7.4 प्रतिशत) के मामले रहे.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में मामूली गिरावट के बावजूद 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्चतम दर असम (168.3 प्रतिशत) में दर्ज की गई थी. राज्य में पिछले साल 29,000 से अधिक ऐसे मामले दर्ज किए गए.

इस श्रेणी के अन्य शीर्ष राज्यों में ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं. राजस्थान में असम की तरह ही मामलों की संख्या में मामूली कमी देखी गई, जबकि तीन अन्य राज्यों (ओडिशा, हरियाणा और तेलंगाना) में ऐसे मामलों में वृद्धि देखी गई.

2021 में दर्ज मामलों की वास्तविक संख्या के मामले में रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश (यूपी) को शीर्ष पर (56,083) रखा गया है. हालांकि वहां अपराध की दर 50.5 प्रतिशत से कम है. महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज करने वाले अन्य राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा शामिल हैं.

पिछले तीन सालों की तरह इस साल भी नगालैंड में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर्ज हुए. राज्य में ऐसे अपराधों के 2019 में 43, 2020 में 39 और 2021 में 54 मामले सामने आए. इसमें 2021 में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर 5.5 प्रतिशत दर्ज की गई.

केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 2021 में सबसे अधिक 147.6 प्रतिशत थी. दर्ज हुए मामलों में भी दिल्ली शीर्ष पर रहा, जहां 2019 के 13,395 से बढ़कर 2021 में ऐसे अपराधों की संख्या 14,277 हो गई.

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सभी 19 महानगरों की श्रेणी में कुल अपराधों का 32.20 प्रतिशत हैं.

दिल्ली के बाद वित्तीय राजधानी मुंबई थी, जहां ऐसे 5,543 मामले और बेंगलुरु में 3,127 मामले आए थे. मुंबई और बेंगलुरु का 19 शहरों में हुए अपराध के कुल मामलों में क्रमश: 12.76 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत का योगदान है.

दिल्ली में पिछले साल हर दिन दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार: डेटा

एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि बीस लाख से अधिक आबादी वाले अन्य महानगरीय शहरों की तुलना में 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में अपहरण (3948), पतियों द्वारा क्रूरता (4674) और बालिकाओं से बलात्कार (833) से संबंधित श्रेणियों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए.

आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में दिल्ली में हर दिन औसतन दो लड़कियों से बलात्कार हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,982 मामले दर्ज किए गए, जबकि सभी 19 महानगरों में कुल अपराध के 43,414 मामले थे. राजधानी में 2021 में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 19 महानगरों में होने वाली कुल मौतों का 36.26 प्रतिशत है.

एनसीआरबी ने कहा कि बालिकाओं के मामले में 2021 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत 1,357 मामले दर्ज किए गए. आंकड़ों के अनुसार, 2021 में बच्चियों से बलात्कार के 833 मामले दर्ज किए गए, जो महानगरों में सबसे अधिक हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में बलात्कार की उच्चतम दर 16.4 प्रतिशत राजस्थान में देखी गई, जो जहां पिछले साल दर्ज किए गए 6,337 मामलों के साथ वास्तविक अपराधों की संख्या में सबसे ऊपर रहा. इसके बाद यूपी, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र रहे, जहां पिछले साल 2,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए. 2021 में राजस्थान में सबसे अधिक नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के 1,453 मामले दर्ज किए गए.

कुल मिलाकर, पिछले साल देश में बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले पांच वर्षों में 2018 के 33,977 मामलों की तुलना में मामूली गिरावट को दर्शाता है.

एनसीआरबी साल 2017 से ‘सामूहिक बलात्कार/बलात्कार के साथ हत्या” के मामलों का रिकॉर्ड दर्ज कर रहा. साल 2021 में ऐसे 284 मामले सामने आए. इतने ही मामले 2019 में भी देखे गए थे.  2020 में ऐसी 218 घटनाएं हुई थीं. इस श्रेणी के तहत सबसे अधिक मामले 2018 में 291 दर्ज किए गए थे.

इस तरह के सबसे अधिक 48  मामले पिछले साल यूपी में देखने को मिले, इसके बाद असम में 46  ऐसे मामले सामने आए. बिहार, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और उत्तराखंड ने पिछले साल इस श्रेणी के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.

एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले साल 28,000 से अधिक महिलाओं का अपहरण कर ‘विवाह के लिए मजबूर’ किया गया, जिसमें 12,000 नाबालिग शामिल थीं. ऐसे मामलों की सर्वाधिक संख्या यूपी (8,599) और उसके बाद बिहार (6,589) में दर्ज की गई.

2021 में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत देश में केवल 507 मामले दर्ज किए गए जो महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों का 0.1 प्रतिशत है. ऐसे सबसे ज्यादा मामले (270) केरल में दर्ज किए गए. पिछले साल दहेज हत्या के 6,589 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें सबसे अधिक ऐसी मौतें यूपी और बिहार में दर्ज की गई थीं.

19 महानगरों में से दिल्ली में अपहरण के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए

एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में पिछले साल 19 महानगरों में से दिल्ली में अपहरण के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में हत्या के मामलों में मामूली कमी दर्ज की गई. दिल्ली में 2021 में हत्या के 454 मामले जबकि 2020 में 461 और 2019 में 500 मामले आए थे.

आंकड़ों के अनुसार, 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज किए गए हत्या के ज्यादातर मामले विभिन्न विवादों का नतीजा थे, जिनमें संपत्ति और परिवार से जुड़े विवाद शामिल हैं. हत्या के 23 मामलों में प्रेम प्रसंग के कारण खूनखराबा हुआ और 12 हत्याएं अवैध संबंधों के कारण हुई.

इसके अनुसार, इनमें 87 हत्याओं के पीछे निजी दुश्मनी वजह थी जबकि 10 हत्याएं निजी फायदे के कारण की गई. राष्ट्रीय राजधानी में दहेज, जादू टोने, बाल/नर बलि तथा साम्प्रदायिक, धार्मिक या जाति की वजहों से कोई हत्या नहीं हुई.

राष्ट्रीय राजधानी में 2020 में अपहरण के सबसे अधिक 5,475 मामले सामने आए थे जबकि पिछले साल 4,011 मामले सामने आए.

आंकड़ों के मुताबिक, पुलिस 5,274 अपहृत लोगों को बचा पाई, जिनमें 3,689 महिलाएं शामिल हैं. अपहृत किए गए 17 लोग मृत पाए गए, जिनमें आठ महिलाएं भी शामिल हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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