उत्तर प्रदेश के सभी ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराएगी राज्य सरकार

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराये के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम, आय का स्रोत आदि से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराये के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम, आय का स्रोत आदि से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का बुधवार को फैसला किया.

राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है. इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराये के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, शिक्षकों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

पूछा गया कि क्या राज्य सरकार इस सर्वेक्षण के बाद नए मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू करेगी, तो राज्य मंत्री ने कहा कि अभी सरकार का मकसद सिर्फ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करना है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त कुल 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में नहीं लिया गया है.

अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री ने बताया कि जारी आदेश के मुताबिक, अब मदरसों में प्रबंध समिति के विवादित होने या समिति के किसी सदस्य के अनुपस्थित होने की दशा में मदरसे के प्रधानाचार्य और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मृतक आश्रित कोटे से नियुक्तियां कर सकेंगे.

इससे पहले प्रबंध समिति में कोई समस्या होने पर मृतक आश्रित को नौकरी के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता था.

अंसारी ने बताया कि अब सहायता प्राप्त मदरसों के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के प्रार्थना-पत्र पर संबंधित मदरसे के प्रबंधकों की सहमति और राज्य मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार के अनुमोदन से उनका स्थानांतरण किया जा सकेगा.

उन्होंने बताया कि अब मदरसों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को माध्यमिक शिक्षा विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग में लागू नियमों के अनुरूप मातृत्व अवकाश और बाल देखभाल अवकाश भी मिलेगा.

इस बीच, टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के महासचिव दीवान साहब जमां ने राज्य सरकार के इन फैसलों का स्वागत करते हुए कहा कि इससे मदरसा शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को फायदा होगा.

इससे पहले मई 2022 में उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन अनिवार्य कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पांडेय ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस बारे में आदेश जारी किया था.

जनवरी 2018 की एक रिपोर्ट बताया गया था कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपना ब्योरा नहीं देने वाले करीब 2,300 मदरसों की मान्यता खत्म होने की कगार पर है. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ऐसे मदरसों को फर्जी माना है.

प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया था कि प्रदेश में 19,108 मदरसे राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. उनमें से 16,808 मदरसों ने पोर्टल पर अपना ब्योरा फीड किया है. करीब 2,300 मदरसों ने अपना विवरण नहीं दिया है, उन्हें हम फर्जी मान रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)