केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता केके शैलजा ने कहा कि उन्होंने इस पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर इसे प्राप्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली: केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता केके शैलजा ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है,क्योंकि फिलीपींस के दिवंगत राष्ट्रपति कम्युनिस्टों के खिलाफ कथित क्रूरता के लिए जाने जाते थे.
माकपा की केंद्रीय समिति की सदस्य शैलजा ने पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से सलाह-मशविरा करने के बाद यह फैसला किया.
शैलजा ने केरल में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने इस पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर इसे प्राप्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन्हें उस काम के लिए पुरस्कार देने के लिए विचार किया गया, जो वास्तव में सामूहिक प्रयास था और उनके द्वारा इसे (पुरस्कार) व्यक्तिगत तौर पर प्राप्त करना सही नहीं है.
रविवार को कुछ मीडिया संस्थानों ने खबर दी कि शैलजा ने पार्टी के साथ विचार-विमर्श के बाद पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है.
शैलजा ने कहा, ‘शायद गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कम्युनिस्ट विचारधारा के पक्ष में नहीं हों. इसलिए यह सही नहीं था कि मैं इसे एक व्यक्ति के रूप में प्राप्त करती क्योंकि मुझे यह उस चीज के लिए मिल रहा था, जो वास्तव में एक सामूहिक प्रयास था. इसलिए, मैंने पुरस्कार स्वीकार नहीं करने का फैसला किया.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और विनम्रतापूर्वक यह कहते हुए पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया कि मुझे इसे व्यक्तिगत रूप से प्राप्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.’
रॉकफेलर ब्रदर्स फंड (आरबीएफ) ने 1957 में फिलीपींस के दिवंगत राष्ट्रपति को सम्मानित करने के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना की, जिनकी मार्च 1957 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. यह पुरस्कार फिलीपींस के साथ-साथ अन्य एशियाई देशों के नागरिकों को सरकारी सेवा, सार्वजनिक सेवा, अंतरराष्ट्रीय समझ, पत्रकारिता और साहित्य और सामुदायिक नेतृत्व में उनके योगदान के लिए दिए जाते हैं.
इससे पहले फिल्मकार सत्यजीत रे और कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण, पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन, गायक एमएस सुब्बुलक्ष्मी, वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मानवाधिकार कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. 2019 में पत्रकार रवीश कुमार को यह पुरस्कार दिया गया था.
वहीं, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह पुरस्कार रेमन मैग्सेसे के नाम पर है, जिनका फिलीपींस में कम्युनिस्टों को कथित तौर पर कुचलने का इतिहास रहा है.
येचुरी ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि यह पुरस्कार केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रबंधन के लिए दिया जा रहा है.
येचुरी ने कहा कि शैलजा का नाम इस पुरस्कार के लिए 2018 में निपाह वायरस के प्रकोप और 2020 में कोरोना वायरस संक्रमण के समय स्वास्थ्य विभाग के योगदान के चलते चुना गया था. उन्होंने कहा, ‘यह केरल में एलडीएफ सरकार और स्वास्थ्य विभाग का सामूहिक प्रयास है. इसलिए, यह कोई व्यक्तिगत प्रयास नहीं है.’
उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि मैग्सेसे पुरस्कार अब तक किसी भी सक्रिय राजनेता को नहीं दिया गया, लेकिन शैलजा को चुना गया. उन्होंने कहा, ‘कामरेड शैलजा पार्टी की केंद्रीय समिति की सदस्य हैं और यह पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है. साथ ही वे पार्टी की सक्रिय सदस्य भी हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)