गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि देश को बांटना बंद कर इसे एकजुट करने की कोशिश करनी चाहिए. मुझे भरोसा है कि सरकार भी आर्थिक वृद्धि के लिए इसे ज़रूरी मानती है, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.’
मुंबई: गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज ने सरकार और उद्योग से विभाजनकारी गतिविधियों पर रोक के लिए ‘अधिक प्रयास’ करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि हमें ‘देश को बांटना’ बंद कर देना चाहिए.
गोदरेज की टिप्पणी इस पहलू को देखते हुए महत्वपूर्ण है कि देश के अग्रणी उद्योगपति सामान्य तौर पर कोई बयान देने से बचते हैं. 2019 में दिवंगत कारोबारी राहुल बजाज ने कहा था कि देश में डर का माहौल है, जहां लोग आलोचना करने से डरते हैं.
गोदरेज समूह के प्रबंध निदेशक ने एक किताब के लॉन्च कार्यक्रम से इतर समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि हम आर्थिक मोर्चे पर अच्छा काम कर रहे हैं और वित्तीय समावेशन तथा शिक्षा जैसे कल्याणकारी कदम भी उठा रहे है लेकिन देश को एकजुट करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि देश को बांटना बंद कर देना चाहिए और इसे एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए. मुझे भरोसा है कि सरकार भी आर्थिक वृद्धि के लिए इसे जरूरी मानती है. हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.’
गोदरेज से पूछा गया कि क्या उद्योग को भी इस बारे में कुछ करना चाहिए तो उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल, उद्योग को भी इसकी कोशिश करनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा समावेशी बनने का प्रयास करना चाहिए. सरकार को भी इस बारे में और काम करना चाहिए.’
इससे पहले 2019 में नादिर के बड़े भाई आदि गोदरेज ने भी चेताया था कि बढ़ती असहिष्णुता और हेट क्राइम विकास को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.
इसके पहले गोदरेज ने कार्यक्रम को संबोधित करते कई अन्य विषयों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि वह अभिव्यक्ति की और आजादी देखना चाहते हैं जहां सरकार के लंबे हाथ न पहुंच सकें और विरोधियों की आवाज नहीं दबा सकें.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमें एक ऐसा माहौल तैयार करना है कि ‘स्वस्थ बहस फल-फूल सकें, जहां विचार इसलिए जीते कि वो सही है कि इसलिए कि वो ताकत के साथ है. उन्होंने कहा, ‘हमारे विचार सांप्रदायिक नहीं, मानवतावादी होने चाहिए. कभी-कभी यह डर लगता है कि चीजें पटरी पर नहीं है और हम पिछड़ सकते हैं.’
गोदरेज समूह के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमें मजबूत संस्थानों की जरूरत है और इन्हें बनाने में लंबा समय लगता है लेकिन इनका दमन करने या इन्हें तोड़ने में वक्त नहीं लगता.
गोदरेज ने कहा कि कारोबारों को भी यह एहसास होना चाहिए कि लाभ कमाना ही एकमात्र लक्ष्य नहीं है बल्कि कुछ अच्छा करते हुए भी आप अपने लिए बेहतर कर सकते हैं. हमें सामाजिक अधिकार और आर्थिक विकास दोनों को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना होगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि असमानता की स्थिति गंभीर है और यह और खराब होती जा रही है.
बोर्डरूम चर्चाओं में पर्यावरण, समाज और गवर्नेंस के विषयों को महत्व देने की बात कहते हुए गोदरेज ने कहा कि हमें ऐसी दुनिया नहीं चाहिए जो सिर्फ हरी-भरी हो, बल्कि ऐसा ‘नया संसार’ बनाना होगा जिसमें हरियाली हो, जो निष्पक्ष हो और जहां असमानता न हो. उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण ही सब कुछ नहीं है. एक समाज के तौर पर हमें कदम उठाने चाहिए; हर व्यक्ति के मानवाधिकार का ध्यान रखा जाना चाहिए.’
अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह से आशावादी संकेत मिले हैं. उन्होंने कहा कि जिसों के दाम कम हो रहे हैं और घरेलू मुद्रास्फीति भी कम होगी. गोदरेज ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और ऐसे संकेत हैं कि यह रफ्तार बनी रहेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)