जेएनयू: प्रदर्शनों को लेकर विद्यार्थियों पर 15 हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाए जाने का आरोप

आरोप है कि छात्रों पर लगाया गया 10,000 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना साल 2018 में हुए एक प्रदर्शन को लेकर है, जब अटेंडेंस अनिवार्य करने के ख़िलाफ़ विद्यार्थी सेमिनार कक्ष में जमा हो गए थे. जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने कहा कि जुर्माना लगाना कोई नई बात नहीं है. उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई की जाती है.

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जवाहर लाल नेह​रू विश्वविद्यालय. (फाइल फोटो: पीटीआई)

आरोप है कि छात्रों पर लगाया गया 10,000 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना साल 2018 में हुए एक प्रदर्शन को लेकर है, जब अटेंडेंस अनिवार्य करने के ख़िलाफ़ विद्यार्थी सेमिनार कक्ष में जमा हो गए थे. जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने कहा कि जुर्माना लगाना कोई नई बात नहीं है. उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई की जाती है.

जवाहर लाल नेह​रू विश्वविद्यालय. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थियों के एक वर्ग ने दावा किया है कि प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के कारण उन पर हजारों रुपये का जुर्माना लगाया है और उन्हें अगले सेमेस्टर के लिए पंजीकरण कराने से भी प्रतिबंधित कर दिया है.

विद्यार्थियों ने दावा किया कि जुर्माने की राशि 10,000 रुपये से 15,000 रुपये तक है. उन्होंने प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया.

जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद कार्रवाई की गई है.

जिन विद्यार्थियों को नोटिस मिले हैं, उनमें जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की पूर्व उपाध्यक्ष और पीएचडी की छात्रा सिमोन जोया खान और कौशिक राज शामिल हैं.

कौशिक को 2018 में हुए एक प्रदर्शन के लिए नोटिस दिया गया था और उनका दावा है कि वह प्रदर्शन में मौजूद नहीं थे.

29 अगस्त को जारी नोटिस के अनुसार, कौशिक को पांच सितंबर तक किसी भी हालत में 10,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा उन्हें आने वाले सेमेस्टर के लिए पंजीकरण करने की इजाजत नहीं जाएगी.

कौशिक ने आरोप लगाया कि उन पर जुर्माना लगाना गलत है, क्योंकि वह 2018 में हुए प्रदर्शन के दौरान मौजूद नहीं थे. हाजिरी अनिवार्य करने के खिलाफ कई विद्यार्थी सेमिनार कक्ष में एकत्र हुए थे.

पीएचडी अंतिम वर्ष के छात्र कौशिक को डर है कि उन्हें नए सेमेस्टर में पंजीकरण नहीं करने दिया जाएगा और उनकी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राज ने कहा, ‘मैं विरोध के दौरान वहां मौजूद नहीं था. प्रॉक्टोरियल पूछताछ के दौरान भी मैंने मौखिक और लिखित बयान दिया कि मैं मौजूद नहीं था. फिर भी मुझ पर जुर्माना लगाया जा रहा है. मैं पांच-छह और छात्रों को जानता हूं, जिन्हें इसी तरह का नोटिस मिला है.’

सिमोन जोया खान, जो अपनी पीएचडी के अंतिम वर्ष में भी हैं, ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रदर्शनों के आयोजन को लेकर छात्र कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहा है.

सिमोन को भी 2018 के इसी प्रदर्शन के लिए नोटिस दिया गया है. वह तब जेएनयूएसयू की उपाध्यक्ष थीं. उन्होंने कहा कि वह जोखिम नहीं उठा सकतीं हैं, इसलिए उन्होंने जुर्माने के लिए पैसे की व्यवस्था की, क्योंकि उन्हें इस साल अपनी थीसिस जमा करनी है.

उन्होंने कहा, ‘यह अनुचित है. विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को निशाना बना रहा है. विद्यार्थियों के खिलाफ दर्जनों झूठी और निराधार शिकायतें दर्ज कराई जाती हैं. विश्वविद्यालय में सालाना फीस 200-300 रुपये है और वे 15,000 रुपये का जुर्माना लगा रहे हैं. यह कैसे उचित है?’

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एक बयान में दावा किया कि जेएनयू प्रॉक्टर कार्यालय की यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है.

छात्र संगठन ने प्रशासन पर हाशिये की पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों पर भारी जुर्माना लगाकर उन्हें निशाना बनाने का आरोप लगाया है.

मुख्य प्रॉक्टर मिश्रा ने कहा कि जुर्माना लगाना कोई नई बात नहीं है और हर तरह की कार्रवाई उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए की जाती है.

मिश्रा ने फोन पर बातचीत करते हुए कहा, ‘हम विद्यार्थियों को प्रवेश लेने से नहीं रोक रहे हैं. यह नियमित कार्रवाई है, जो प्रॉक्टर की जांच पर आधारित है. यह कोई नई बात नहीं है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने कहा कि 20 जून को स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ऑफलाइन कक्षाओं के विरोध में कई छात्रों के खिलाफ प्रॉक्टोरियल पूछताछ की गई है.

डीएसएफ ने कहा, ‘आप सभी के ध्यान में यह लाना है कि 20 जून को एसआईएस-1 में ऑफलाइन कक्षाओं के लिए विरोध प्रदर्शन के संबंध में हमारे दो सहपाठियों- पोशाल ग्याम्बा और साक्षी सिन्हा के खिलाफ एक प्रॉक्टोरियल जांच की गई है. इससे संबंधित रिपोर्ट में साथी छात्रों- हर्षित राज चौधरी और राघव गिल का भी उल्लेख है, हालांकि उन्हें अभी तक समन नहीं किया गया है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)