बुधवार को आयकर विभाग द्वारा इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालयों में किए गए ‘सर्वे’ की निंदा करते हुए विभिन्न स्वतंत्र डिजिटल मीडिया संस्थानों के संगठन डिजीपब ने कहा कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर लगाम कसने की दमनकारी प्रवृत्ति है.
नई दिल्ली: डिजिटल मीडिया आउटलेट्स के संगठन डिजीपब, द वायर भी जिसका सदस्य है, ने बीते 7 सितंबर को तीन स्वतंत्र निकायों पर आयकर (आईटी) विभाग के ‘सर्वे‘ की निंदा की है और इसे स्वतंत्र पत्रकारिता और शोध क्षेत्र पर लगाम कसने की ‘दमनकारी प्रवृत्ति’ का हिस्सा बताया है.
DIGIPUB condemns the raids on the IPSMF, the CPR and Oxfam India. pic.twitter.com/v0uADTY1NQ
— DIGIPUB News India Foundation (@DigipubIndia) September 8, 2022
रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को आयकर विभाग के अधिकारियों ने इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ), सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) और ऑक्सफैम इंडिया के कार्यालयों में ‘सर्वे’ किया था.
कथित तौर पर अधिकारियों ने कहा था कि सर्वे विभाग द्वारा की जा रही विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन की जांच का हिस्सा है.
डिजीपब का कहना है कि आईपीएसएमएफ स्वतंत्र, लोकहितैषी और सामाजिक तौर पर प्रभावशाली पत्रकारिता को निधि उपलब्ध कराता है. इसने द वायर सहित कई स्वतंत्र डिजिटल मीडिया मंचों को सहयोग दिया है. अपने बयान में डिजीपब ने कहा है कि यह कुछ ऐसा है जिसकी निराशाजनक समाचार मीडिया परिदृश्य में सख्त जरूरत है.
सीपीआर एक थिंक टैंक है, जो सार्वजनिक नीति को लेकर शोध करता है. ऑक्सफैम एक वैश्विक गैर सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य असमानता और गरीबी से लड़ना है.
दोनों सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को उजागर करने वाली रिपोर्ट और आंकड़े आधारित दस्तावेजों को सामने लाने के लिए जाने जाते हैं.
डिजीपब का कहना है, ‘यह सब एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है.’ समूह ने यह भी कहा कि यह शायद ही पहली बार है कि हाल के वर्षों में इस तरह की छापेमारी की गई है.
इसमें कहा गया है, ‘आरोपों या सबूतों को लेकर बिना किसी स्पष्टता के आयकर विभाग का इस्तेमाल जनसेवी पत्रकारिता में शामिल संगठनों को डराने और प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है. यह मानव संसाधनों की बर्बादी है, साथ ही ऐसे अधिकारियों के प्रयासों की भी, जो देश के प्रशासनिक तंत्र में योगदान देने के लिए जुड़े थे.’
डिजीपब की ओर से कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना उनकी क्षमताओं का अपमान है. साथ ही, समूह ने आयकर अधिकारियों से यह स्पष्ट बताने के लिए कहा है कि तीनों संगठनों के यहां तलाशी क्यों ली गई है.
इस तरह की कार्रवाई की निंदा करते हुए डिजीपब ने यह भी कहा है कि स्वतंत्र पत्रकारों पर कोई भी हमला भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा है.
बयान में कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयां दिखाती हैं कि ‘हमारी सरकार स्वतंत्र मीडिया से कितना डरी हुई है.’
बता दें कि डिजीपब का गठन वर्ष 2020 में एक मजबूत डिजीटल न्यूज संघ तैयार करने के लिए किया गया था. डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन का हिस्सा ऑल्ट न्यूज, आर्टिकल 14, बूमलाइव, कोबरापोस्ट, एचडब्ल्यू न्यूज, न्यूजक्लिक, न्यूजलॉन्ड्री, स्क्रोल डॉट इन, न्यूज मिनट, द क्विंट और द वायर हैं.
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