दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि पूर्व छात्र परिसर के शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को बिगाड़ रहे थे और अप्रासंगिक व आपत्तिजनक मुद्दों के ख़िलाफ़ परिसर में विरोध प्रदर्शन करने में शामिल रहे हैं.
नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी बनाई गई विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा सफूरा जरगर समेत अपने तीन पूर्व विद्यार्थियों के परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है.
विश्वविद्यालय ने कहा है कि एक ‘अप्रासंगिक और आपत्तिजनक’ मुद्दे पर विश्वविद्यालय में ‘प्रदर्शन’ करने के आरोप में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है.
कार्यकर्ता और शोधार्थी जरगर दिसंबर 2019 में संसद द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पारित किए जाने के बाद सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों में कथित रूप से शामिल होने के कारण चर्चा में आई थीं. जरगर के अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया के दो और पूर्व छात्रों के खिलाफ भी आदेश जारी किए गए हैं.
दो पूर्व छात्रों के खिलाफ आदेशों में भाषा समान है, जरगर को लेकर आदेश में ‘शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को बिगाड़ने के लिए अप्रासंगिक और आपत्तिजनक मुद्दों के खिलाफ’ परिसर में आंदोलन, प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने में उनकी भागीदारी का उल्लेख है.
आदेश में कहा गया, ‘वह विश्वविद्यालय के निर्दोष छात्रों को उकसा रही हैं और कुछ अन्य छात्रों के साथ अपने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे के लिए विश्वविद्यालय के मंच का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं.’
आदेश में आगे कहा गया कि जरगर संस्थान के सामान्य कामकाज में बाधा डाल रही हैं. यह आदेश ऐसे समय में आया है जब विश्वविद्यालय ने जरगर के शोध कार्य में ‘असंतोषजनक’ प्रगति के कारण उनका दाखिला रद्द कर दिया था. तब से ही परिसर में विरोध प्रदर्शन करके इस दाखिला रद्द करने को वापस लिए जाने की मांग की जा रही है.
वहीं, जरगर ने परिसर में प्रतिबंध को लेकर टिप्पणी करने से इनकार किया है.
जामिया के आदेश में कहा गया, ‘सफूरा जरगर एम. फिल, समाजशास्त्र विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय की पूर्व छात्रा हैं. वह 23 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़काने और शुरू करने के लिए अन्य लोगों के साथ साजिश रचने के आरोपियों में से एक है. उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था.’
आदेश में कहा गया, ‘कई अवसर देने के बावजूद दी गई अवधि के भीतर एम. फिल शोध प्रबंध प्रस्तुत न करने के कारण उनका नाम एम. फिल से हटा दिया गया और वह जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा नहीं हैं.’
दो पूर्व छात्रों के खिलाफ जारी नोटिस में कहा गया है कि वे 30 अगस्त को विश्वविद्यालय की सेंट्रल कैंटीन में सभा करने सहित परिसर में कई बार छात्रों की अनधिकृत सभाओं में सबसे आगे थे. विश्वविद्यालय ने कहा कि वे जामिया के छात्र न होने के बावजूद परिसर में आंदोलन, प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने में शामिल पाए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक आदेश में लिखा है, ‘यह देखा गया है कि सफूरा जरगर (पूर्व छात्रा) कुछ छात्रों, जो ज्यादातर बाहरी हैं, के साथ शांतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण को बिगाड़ने के लिए अप्रासंगिक और आपत्तिजनक मुद्दों के खिलाफ परिसर में विरोध प्रदर्शन और मार्च आयोजित करने में शामिल रही हैं. वह विश्वविद्यालय के मासूम छात्रों को उकसा रही हैं और कुछ अन्य लोगों के साथ अपने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे के लिए विश्वविद्यालय का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं. इसके अलावा, वे संस्था के सामान्य कामकाज में बाधा डाल रही हैं.’
गौरतलब है कि बीते माह 26 अगस्त की तिथि वाली एक अधिसूचना में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन कार्यालय ने कहा था कि जरगर ने पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के भीतर अपना एम.फिल शोध पत्र जमा नहीं किया.
अधिसूचना में कहा गया था, ‘आरएसी के दिनांक 5 जुलाई की सिफारिश पर, 22 अगस्त को डीआरसी (विभाग अनुसंधान समिति) और पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर, बोर्ड ऑफ स्टडीज ने प्रो. कुलविंदर कौर के तहत पंजीकृत सफूरा जरगर, एम. फिल/पीएचडी स्कॉलर के प्रवेश को रद्द करने की मंजूरी दे दी.’
प्रशासन ने दावा किया था कि जरगर के पर्यवेक्षक ने प्रगति रिपोर्ट में उसके प्रदर्शन को ‘असंतोषजनक’ के तौर पर चिह्नित किया और पाया कि उन्होंने निर्धारित अधिकतम अवधि की समाप्ति से पहले ‘शोधार्थी’ के रूप में विस्तार के लिए आवेदन नहीं किया.
अधिसूचना में उल्लेख किया गया था, ‘शोधार्थी ने अपने एम. फिल शोध पत्र को पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के साथ ही कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एक अतिरिक्त सेमेस्टर (छठे सेमेस्टर) में भी जमा नहीं किया, जो 6 फरवरी को समाप्त हो गया.’
वहीं, ज्ञात हो कि सफ़ूरा को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में 10 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और बाद में दिल्ली पुलिस ने उन पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था. जुलाई 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)