एम्स दिल्ली का नाम बदलने के विरोध में फैकल्टी एसोसिएशन, स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा

ऐसी ख़बरें हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को विशेष नाम देने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है और सभी नए एम्स से कुछ नाम सुझाने को कहा है. फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स ने इस क़वायद को लेकर सदस्यों से राय मांगी थी, जहां सभी ने एकमत होकर इसका विरोध किया है.

नई दिल्ली स्थित एम्स. (फोटो: पीटीआई)

ऐसी ख़बरें हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को विशेष नाम देने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है और सभी नए एम्स से कुछ नाम सुझाने को कहा है. फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स ने इस क़वायद को लेकर सदस्यों से राय मांगी थी, जहां सभी ने एकमत होकर इसका विरोध किया है.

नई दिल्ली स्थित एम्स. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की फैकल्टी एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर इस संस्थान को नया नाम देने के प्रस्ताव को लेकर चिंता जताई और कहा कि इससे संस्थान की पहचान चली जाएगी.

‘फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स’ (एफएआईएमएस) ने देश में सभी 23 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों के नए नामकरण संबंधी सरकार के प्रस्ताव को लेकर हाल में फैकल्टी सदस्यों की राय मांगी थी.

एफएआईएमएस द्वारा गुरुवार को मंत्री को लिखे गए पत्र के अनुसार, फैकल्टी सदस्यों ने दिल्ली के एम्स का नाम बदलने के प्रस्ताव का विरोध किया है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पत्र में उन्होंने लिखा है कि एफएआईएमएस को मीडिया की खबरों से इस संबंध में पता लगा कि एम्स का नाम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति या स्थान के नाम से बदले जाने का प्रस्ताव है. सभी फैकल्टी सदस्यों से इस पर राय मांगी गई और सभी ने एकमत होकर इसका विरोध किया है.’

पत्र के अनुसार, दिल्ली में एम्स चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान एवं मरीज देखभाल के मिशन के साथ 1956 में स्थापित किया गया था और इस नाम के साथ एक पहचान जुड़ी है. एसोसिएशन का कहना है कि यदि पहचान चली जाएगी तो देश-विदेश में संस्थान की पहचान खत्म हो जाएगी.

पत्र में आगे कहा गया है, ‘यही वजह है कि प्रसिद्ध और स्थापित संस्थानों का नाम सदियों से एक ही रहा है जैसे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और हार्वर्ड विश्वविद्यालय. ‘

एफएआईएमएस ने कहा कि यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान की पहचान को बड़ा नुकसान पहुंचेगा और मनोबल भी गिरेगा.

पत्र में कहा गया है, ‘इसलिए, एफएआईएमएस आपसे अनुरोध करता है कि कृपया एम्स दिल्ली का नाम बदलने के किसी प्रस्ताव पर गौर नहीं करें.’

बता दें कि कुछ हफ्तों पहले फैकल्टी संघ ने अपने सदस्यों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर उनका मत मांगा था. इसके जवाब में सदस्यों ने दिल्ली एम्स का नाम बदलने का विरोध किया.

एएनआई के मुताबिक, 23 एम्स का नाम स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, गुमनाम नायकों या क्षेत्र के ऐतिहासिक स्मारकों के नाम पर रखे जाने की चर्चा चल रही है.

एक सूत्र ने बताया, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी एम्स को विशेष नाम देने संबंधी एक प्रस्ताव तैयार किया है, इनमें पूरी तरह कार्यशील, आंशिक कार्यशील और निर्माणाधीन एम्स शामिल हैं.’

सभी नए एम्स से प्रत्येक वर्ग (स्थानीय नायक, स्वतंत्रता सेनानी, गुमनाम नायक और ऐतिहासिक स्मारक) में तीन से चार नाम सुझाने का अनुरोध किया गया है. सुझाए गए नामों के साथ एक व्याख्यात्मक वर्णन भी देना है.

वहीं, द हिंदू के मुताबिक, हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब तक नाम बदलने की खबर की पुष्टि नहीं की है.

बहरहाल, एफएआईएमएस ने स्वास्थ्य मंत्री से दिल्ली एम्स में स्वायत्तता, परिसर में आवास और प्रशासनिक सुधार से संबंधित लंबे समय से लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक के लिए समय देने का भी अनुरोध किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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