इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चार गुना फीस वृद्धि के ख़िलाफ बीते कुछ हफ्तों से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों के ख़िलाफ़ दो एफआईआर दर्ज कराई हैं. छात्रों का आरोप है कि जिन छात्रों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हुआ है, पुलिस उनके घर जाकर परिजनों को धमका रही है.
नई दिल्ली: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चार गुना फीस वृद्धि को लेकर बीते करीब तीन हफ्तों से छात्र आंदोलनरत हैं. वे आमरण अनशन भी पर बैठे हुए हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अपने फैसले पर अड़ा हुआ है.
इसी कड़ी में रविवार को छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय की ओर से पुलिस में दो एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. पहली एफआईआर में 15 नामजद और 100 अज्ञात छात्रों के खिलाफ मामला बनाया गया है.
अमर उजाला के मुताबिक, यह एफआईआर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर हर्ष कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई हैं.
उनकी शिकायत में दर्ज है कि 12 सितंबर को कुछ लोगों ने फीस वृद्धि के विरोध में विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शन किया था, जुलूस निकाला, नारेबाजी की और मुख्य प्रवेश द्वार बंद कर दिया. इससे पूरे परिसर में अफरातफरी का माहौल कायम होने से दहशत फैल गई थी.
साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया है कि आंदोलन में छात्रों को जबरन गाली-गलौच व धमकी देकर बुलाया गया. उनका यह भी आरोप है कि इससे आवागमन बाधित होने के साथ-साथ कक्षाएं भी बाधित हुईं.
मामला कर्नलगंज थाने में दर्ज कराया गया है. थाना प्रभारी राममोहन राय का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
एनडीटीवी के मुताबिक, दूसरी एफआईआर भी कर्नलगंज थाने में दर्ज कराई गई है. यह एफआईआर 16 सितंबर की घटना के संबंध में है.
इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन के पास के गेट में सुरक्षा के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन ने ताला लगाया था, जिसे आंदोलनकारी छात्रों ने तोड़ दिया.
जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।।
इलाहाबाद विवि प्रशासन ने हम सभी 15 छात्रनेताओं पर नामजद एवं 100 अज्ञात पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है,ये इनकी हताशा को दर्शाता है,हम सभी के आंदोलन की यह पहली जीत है।
कुलपति महोदया यह जान लें फीस वृद्धि तो आपको वापस लेनी ही होगी।#AU pic.twitter.com/2npsb3Y6ZX— Akhilesh Yadav (@AkhileshInc) September 18, 2022
हालांकि, एफआईआर के बाद भी छात्रों ने अपना प्रदर्शन नहीं रोका है. प्रदर्शन अभी भी जारी है.
अमर उजाला के मुताबिक, छात्रों का आरोप है कि जिन छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, पुलिस उन छात्र नेताओं के घर-घर जाकर उनके परिजनों को धमका रही है.
छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस ने उनके परिजनों को प्रताड़ित करना बंद नहीं किया तो वे आत्मदाह कर लेंगे.
चेतावनी पर अमल करते हुए सोमवार को एक छात्र ने पेट्रोल छिड़ककर खुद को जलाने की कोशिश भी की. हालांकि, एनडीटीवी के मुताबिक पुलिस ने उसे पकड़ लिया. जिसके बाद पुलिस और छात्रों के बीच टकराव भी हुआ. कैंपस में भारी पुलिस बल तैनात है.
महोदय इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र 400% फीस वृद्धि के फैसले को वापस लेने के लिए पिछले 8 दिनों से #आमरणअनशन और @आंदोलनरत हैं छात्रों की तबीयत बिगड़ रही है कृपया संज्ञान लेते हुए तत्काल #फीसवृद्धि
वापस लें@dpradhanbjp @OfficeDp @PMOIndia @narendramodi@GovernorofUp pic.twitter.com/qm0P12943l— Dr.Richa Singh (@RichaSingh_Alld) September 13, 2022
इससे पहले, छात्र अलग-अलग तरीकों से विश्वविद्यालय के फीस वृद्धि के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं. शुक्रवार को बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर छात्रों ने सड़कों पर मशाल मार्च भी निकाला था.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों का मशाल- मार्च।
फीसवृद्धि वापस लो। pic.twitter.com/RzJPrwRCx4— Dr.Richa Singh (@RichaSingh_Alld) September 16, 2022
वहीं, प्रदर्शन के शुरुआती दिनों में 29 अगस्त को भी छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया था.
बढ़ी हुई फीस और विश्वविद्यालय के तर्क
न्यूज 18 के मुताबिक, विश्वविद्यालय में बीए और बीकॉम की फीस पहले 975 रुपये और बीएससी की 1,125 रुपये लगती थी, जो अब बढ़कर क्रमश: 3,701 रुपये, 3,901 रुपये और 4,151 रुपये कर दी गई है.
इसी तरह एमए और एमएससी की फीस 1,375 व 1,961 रुपये थी, जो बढ़ाकर 4,651-6,001 रुपये कर दी गई है.
वहीं, बीटेक की 1,941 रुपये फीस को बढ़ाकर 5,151 रुपये और एलएलबी की फीस 1,375 रुपये को बढ़ाकर 4,651 रुपये कर दिया गया है.
इससे पहले, कुछ दिनों पूर्व फीस वृद्धि के फैसले के बचाव में विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अस्तित्व को बचाने के लिए फीस बढ़ानी पड़ी है.
अमर उजाला के मुताबिक उन्होंने कहा था, ‘112 वर्षों से फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी. बिजली के बकाया बिलों का भुगतान करने और अन्य रखरखाव के लिए शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी था.’
उन्होंने कहा था, ‘अगर थोड़ी-सी फीस बढ़ा दी जाती है तो इतना असंतोष क्यों? विरोध करने वालों को यह महसूस करना चाहिए कि इतनी कम फीस में शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थान आने वाले समय में नष्ट हो जाएंगे.’
वहीं, फीस वृद्धि के कारणों पर बात करते हुए विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) जया कपूर ने कहा था कि सरकार ने विश्वविद्यालयों को स्पष्ट संकेत दिए हैं कि उन्हें अपने स्तर पर फंड का इंतजाम करके सरकार पर निर्भरता कम करनी होगी.
उन्होंने कहा था कि अन्य संस्थानों की तरह सरकार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फंड में भी कटौती की है और विश्वविद्यालय की फीस अभी भी कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कम है.
न्यूज 18 के मुताबिक पीआरओ का कहना है, ‘केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के अनुदान में कमी की है और विश्वविद्यालयों को अपने संसाधन जुटाने को कहा है. उसके तहत यह फैसला लेना पड़ा है. फीस बढ़ाए जाने के बावजूद आस-पास के दूसरे विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय की तुलना में यहां फीस अभी भी बेहद कम है, इसलिए इससे छात्रों पर कोई ज्यादा भार नहीं पड़ेगा.’
वहीं, बीते दिनों फीस वृद्धि के खिलाफ इस आंदोलन को लेकर तब भी विवाद सामने आया जब ब्रिटिश उच्चायोग के दो अधिकारियों ने 29 अगस्त को विश्वविद्यालय के दौरे के दौरान फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों के साथ मुलाकात की थी.
वे ब्रिटिश हाईकमीशन की ओर से छात्राओं के लिए आयोजित की जा रही प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए छात्रों के प्रेरित करने के लिए विश्वविद्यालय के दौरे पर थे.
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक, छात्रों से उनकी मुलाकात को विश्वविद्यालय ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी थी.
विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश सरकार को घेरा
फीस वृद्धि के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा है.
इलाहाबाद विवि में 400% फीस वृद्धि भाजपा सरकार का एक और युवा विरोधी कदम है। यहां यूपी-बिहार के साधारण परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं। फीस वृद्धि कर सरकार इन युवाओं से शिक्षा का एक बड़ा जरिया छीन लेगी।
सरकार को छात्र-छात्राओं की बात सुनकर फीस वृद्धि का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए pic.twitter.com/Z28494Oxw5
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 12, 2022
उन्होंने छात्रों के प्रदर्शन की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा है, ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400 प्रतिशत फीस वृद्धि भाजपा सरकार का एक और युवा विरोधी कदम है. यहां यूपी-बिहार के साधारण परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं. फीस वृद्धि कर सरकार इन युवाओं से शिक्षा का एक बड़ा जरिया छीन लेगी.’
उन्होंने मांग की है कि सरकार को छात्र-छात्राओं की बात सुनकर फीस वृद्धि का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए.
समाजवादी पार्टी (सपा) भी छात्रों के समर्थन में उतर आई है.
योगी जी !
ये मशाल जुलूस देख लीजिए ,
इलाहाबाद विश्विद्यालय में 4 गुना फीस वृद्धि के विरोध में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं ,कैसे पेट काटकर ,इलाज रोककर मां बाप अपने बच्चों को पढ़ाते हैं ?
आप की सरकार में ना नौकरी मिलती है और शिक्षा का स्तर आपके राज में निम्न स्तरीय होता जा रहा ! pic.twitter.com/GOzg2lnL3j
— SamajwadiPartyMedia (@MediaCellSP) September 15, 2022
सपा विधायक अतुल प्रधान ने छात्रों के मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी छात्रों द्वारा निकाली गई ‘छात्र जन आक्रोश रैली’ का वीडियो साझा करते हुए लिखा था कि विवि परिसर में निकाला गया ‘छात्र जन आक्रोश मार्च’ भाजपा सरकार से नाउम्मीदगी का प्रतीक है.’
छात्रसंघ लोकतंत्र की प्राइमरी होते हैं।
इलाहाबाद विवि में छात्रसंघ बहाली की मांग हेतु 783 दिनों से क्रमिक अनशन व 400% फीस वृद्धि के विरोध में 7 दिनों से बैठे छात्र आमरण अनशन के समर्थन में विवि परिसर में निकाला गया ‘छात्र जन आक्रोश मार्च’ भाजपा सरकार से नाउम्मीदगी का प्रतीक है। pic.twitter.com/K366QDBIWt
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 13, 2022