सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशिया-पैसिफिक इंस्टिट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर न्यूज़ चैनल ऐसे मेहमानों को आमंत्रित करते हैं, जो ध्रुवीकरण कर रहे हैं, झूठी ख़बरें फैलाते हैं और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हैं, तो चैनल की विश्वसनीयता कम हो जाती है.
नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने ‘समाचारों में निष्पक्षता वापस लाने’ की आवश्यकता पर बल देते हुए सोमवार को कहा कि तीखी बहसों से टेलीविजन चैनलों को दर्शक तो मिल सकते हैं लेकिन विश्वसनीयता का संकट खड़ा हो सकता है.
‘एशिया-पैसिफिक इंस्टिट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट’ (एआईबीडी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकुर ने दावा किया कि मुख्यधारा के मीडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा नए जमाने के डिजिटल मंच से नहीं, बल्कि खुद मुख्यधारा के मीडिया चैनलों से है.
उन्होंने कहा, ‘यदि आप उन मेहमानों को आमंत्रित करने का निर्णय लेते हैं, जो ध्रुवीकरण कर रहे हैं, जो झूठी खबरें फैलाते हैं और जो जोर-जोर से चिल्लाते हैं, तो आपके चैनल की विश्वसनीयता कम हो जाती है. दर्शक टेलीविजन पर समाचार कार्यक्रम देखने के लिए एक मिनट के लिए रुक सकते हैं, लेकिन समाचार के पारदर्शी स्रोत के रूप में प्रस्तोता, चैनल या ब्रांड पर कभी भरोसा नहीं करेंगे.’
ठाकुर ने कहा कि मुख्यधारा के मीडिया संगठनों के पास मीडिया की नैतिकता और मूल्यों को बनाए रखते हुए सत्य, सटीक और विश्वसनीय समाचार तेजी से उपलब्ध कराने की बड़ी चुनौती है.
उन्होंने कहा, ‘इस जबरदस्त प्रतिस्पर्धा में अपने मूल्यों से समझौता करने के बजाय, हमें पेशेवर गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए.’
द हिंदू के अनुसार, मंत्री ने सवाल किया, ‘क्या आप युवा दर्शकों की तरह शोर करते टेलीविजन समाचार चैनलों को बार-बार बदलते रहना चाहते हैं या फिर आप आगे रहने के लिए समाचारों में ‘निष्पक्षता’ और बहस में ‘विचार-विमर्श’ को वापस लाना चाहते हैं? क्या आप ऐसे दृश्य दिखाएंगे जो ध्यान आकर्षित करें और गुस्से को भड़काएं या फिर संयम दिखाएंगे और पूरी बात समझाने के इरादे से विज़ुअल दिखाएंगे?’
उन्होंने आगे कहा, ‘और अंत में, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये लगातार जानकारी प्राप्त करने वाले नए युग के दर्शकों तक पहुंचने के लिए आप अपने टीवीन्यूज़ कंटेंट सामग्री, उसकी प्रस्तुति और प्रसार को किस तरह परिभाषित करेंगे और कैसे नई तरह से पेश करेंगे? ‘
उन्होंने सुझाव दिया कि ‘इस कठिन प्रतिस्पर्धा के दौर में अपने मूल्यों से समझौता करने के बजाय व्यावसायिकता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए.’
उल्लेखनीय है कि एआईबीडी की स्थापना 1977 में यूनेस्को के तत्वावधान में की गई थी. यह एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विकास के क्षेत्र में एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएन-स्केप) के सदस्य देशों की मदद कर रहा है. इसकी मेजबानी मलेशिया सरकार द्वारा की जाती है और सचिवालय कुआलालम्पुर में स्थित है.
एआईबीडी के वर्तमान में 26 पूर्ण सदस्य (देश) हैं, जिसमें 43 संगठनों का प्रतिनिधित्व है, और 50 संबद्ध सदस्य (संगठन) हैं, जिनकी कुल सदस्यता 93 है जो 46 देशों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है और एशिया, प्रशांत, यूरोप, अफ्रीका, अरब राज्यों और उत्तरी अमेरिका में इसके 50 से अधिक भागीदार हैं.
ठाकुर ने कोविड महामारी के दौरान एआईबीडी के नेतृत्व द्वारा सदस्य देशों को ऑनलाइन जोड़े रखने तथा महामारी के प्रभाव को कम करने में मीडिया की भूमिका के बारे में निरंतर संवाद बनाए रखने की सराहना की.
उन्होंने कहा, ‘सदस्य देशों को चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही प्रगति, कोविड योद्धाओं की सकारात्मक कहानियों को साझा करने तथा सबसे बढ़कर महामारी से भी तेज गति से फैल रही ‘फेक न्यूज’ का मुकाबला करने की दिशा में काफी लाभ हुआ.’
ठाकुर ने सदस्य देशों को गुणवत्तापूर्ण कंटेंट के आदान-प्रदान में सहयोग के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि इस तरह सहयोग के माध्यम से होने वाले कार्यक्रमों के आदान-प्रदान विश्व संस्कृतियों को एक साथ लाते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)