बीते हफ्ते असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा, जग्गी वासुदेव, राज्य के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ समेत कई अन्य लोगों ने काजीरंगा नेशनल पार्क में नाइट सफारी की थी, जिसे स्थानीय कार्यकर्ताओं ने वन्यजीव संरक्षण क़ानून का उल्लंघन बताते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है.
काजीरंगा: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और सद्गुरु के नाम से मशहूर जग्गी वासुदेव समेत अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन करने के सिलसिले में रविवार को पुलिस में शिकायत की गई.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गोलाघाट जिले के बोकाखाट थाने में राष्ट्रीय उद्यान के किनारे स्थित गांवों के निवासियों ने पिछले दिन अंधेरे में जीप सफारी करने पर एक शिकायत दर्ज करवाई है.
नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने मामले की जांच शुरू कर दी है. चूंकि केएनपी वन विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए हमने उद्यान के संभागीय वन अधिकारी से आरोप की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है.’
उन्होंने कहा, ‘लोगों को आरोप लगाने का अधिकार है और इसी आधार पर जांच की जाएगी.’
शाम के बाद जीप सफारी के आरोप का जिक्र करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘यह एक आधिकारिक कार्यक्रम था और कभी-कभी, इस तरह के आयोजन थोड़ी देर से चलते हैं. ऐसे में, मुझे नहीं लगता कि हम इसे कानून का उल्लंघन कह सकते हैं.’
उद्यान के पास मोरोंगियाल और बलिजन गांवों के निवासी स्थानीय कार्यकर्ताओं- सोनेश्वर नारा और प्रबीन पेगू ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि शाम के बाद हेडलाइट्स के साथ जीप सफारी करना ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है’.
द हिंदू के मुताबिक, उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, ‘हम मुख्यमंत्री और अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं जिन्होंने रात में जंगल सफारी पर जाकर नियमों का उल्लंघन किया. उन्हें ऐसे कृत्य, जो राष्ट्रीय उद्यान की पारंपरिक सुरक्षा नीति को खतरा पैदा कर सकता है, के लिए सार्वजनिक माफी भी मांगनी चाहिए.’
उन्होंने जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव, शर्मा, राज्य के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ और अन्य की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है, जो इस जीप सफारी का हिस्सा थे.
कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल
उधर, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी नाइट सफारी की काफी निंदा की है. गोलाघाट जिले के रोहित चौधरी ने पूछा, ‘काजीरंगा में सूर्यास्त के बाद शाम की सफारी! क्या यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 27 का उल्लंघन नहीं है?’
यह धारा किसी लोक सेवक के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश को प्रतिबंधित करती है.
गोलाघाट स्थित अपूर्व बल्लावे गोस्वामी ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सद्गुरु जैसा कोई व्यक्ति, जिसकी हम अपेक्षा करते हैं कि वह जो उपदेश देता है, उस पर अमल करेगा, उनमें जानवरों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है. यह सामान्य ज्ञान है कि जंगली जानवर अपने संरक्षित घरों में रात में रोशनी और वाहनों के शोर से परेशान हो जाते हैं.’
कार्यकर्ताओं ने कहा कि काजीरंगा में निशाचर जंगली जानवरों को छेड़ने या छेड़छाड़ करने के समान है, जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 27 के तहत प्रतिबंधित है.
कार्यकर्ताओं ने ‘वीआईपी दबाव के आगे झुकने’ के लिए वन विभाग के अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया.
हिमंता बिस्वा शर्मा बोले- हमने कोई कानून नहीं तोड़ा
हालांकि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि उन्होंने जग्गी वासुदेव के साथ काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में नाइट सफारी के लिए प्रवेश करके वन्यजीव संरक्षण कानून नहीं तोड़ा है.
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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शर्मा ने रविवार को यह भी कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि लोग रात में पार्क में न जा सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसा कोई कानून नहीं है कि लोग रात में नहीं जा सकते. यहां तक कि रात में 2 बजे भी अगर वन्यजीव वॉर्डन अनुमति देते हैं तो लोग पार्क में प्रवेश कर सकते हैं.’
शर्मा ने कहा, ‘हमने इस सीज़न के लिए पार्क का औपचारिक उद्घाटन किया था और अब सद्गुरु और श्री श्री रविशंकर आ चुके हैं. चूंकि उनके लाखों अनुयायी हैं, इस बार हमें उम्मीद है कि काजीरंगा के लिए पर्यटन सीजन बहुत अच्छा होगा.’
इस बीच, काजीरंगा में जग्गी वासुदेव के साथ असम के मुख्यमंत्री ने कैबिनेट मंत्रियों, राज्य और अन्य राज्यों के वरिष्ठ नौकरशाहों और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पदाधिकारी के साथ विचार-विमर्श किया.
शर्मा और वासुदेव ने शनिवार को काजीरंगा में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का उद्घाटन किया. बाद में मुख्यमंत्री शर्मा ने वासुदेव के साथ काजीरंगा के मिहिमुख में गैंडे की तीन मूर्तियों का अनावरण किया. गैंडे की इन मूर्तियों को गैंडे के सींगों को जलाने से एकत्र की गई राख का उपयोग करके बनाया गया है.
ज्ञात हो कि पिछले साल 22 सितंबर को असम सरकार ने शिकारियों और अवैध सींग के व्यापारियों को यह बताने के लिए कि गैंडे के सींगों का कोई औषधीय महत्व नहीं है, 2,479 गैंडों के सींगों के भंडार को आग के हवाले किया गया था.
सरकार के अनुसार, ‘इस प्रकार सींगों की राख से बनाई गई गैंडे की मूर्तियां उन लोगों के प्रयासों और समर्पण को अमर करने का एक प्रयास हैं जो निस्वार्थ भाव से असम के गौरव एक सींग वाले गैंडे की रक्षा करते हैं.’
24 सितंबर को असम के मुख्यमंत्री ने वासुदेव के साथ इस मौसम के लिए पर्यटकों के लिए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भी खोल दिया.
द हिंदू के मुताबिक, राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एमके यादव ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान 15 अक्टूबर को खोला जाएगा. लेकिन वन विभाग के फील्ड अधिकारियों ने बताया कि पार्क विशेष मामले के रूप में चार दिनों के लिए वीआईपी के लिए खुला रहेगा.
चार दिन काजीरंगा में एक ‘चिंतन शिविर’ है, जहां कुछ प्रमुख आध्यात्मिक गुरु भाग ले रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)