मामला दुमका ज़िले के सरैयाहाट थानाक्षेत्र स्थित अस्वारी गांव का है. पुलिस ने बताया कि गांव के लोगों ने जादू-टोने का आरोप लगाकर तीन महिलाओं सहित एक ही परिवार के चार लोगों को गर्म लोहे की छड़ों से दागा और उन्हें मल-मूत्र पीने के लिए विवश किया गया.
दुमका: झारखंड में दुमका के अस्वारी गांव में ग्रामीणों के एक समूह ने ‘जादू-टोने’ का आरोप लगाकर तीन महिलाओं सहित एक ही परिवार के चार लोगों को गर्म लोहे की छड़ों से प्रताड़ित करने के बाद उन्हें मल-मूत्र पीने के लिए विवश किया गया.
पुलिस ने रविवार को घटना की जानकारी मिलने के बाद पीड़ितों को बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया.
पुलिस के अनुसार, दुमका जिला के सरैयाहाट थाना क्षेत्र स्थित अस्वारी गांव में डायन बताकर एक ही परिवार की तीन महिलाओं और एक पुरुष को भयावह रूप से प्रताड़ित करने का शर्मनाक मामला सामने आया है.
पुलिस ने बताया कि उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया गया और गर्म लोहे की छड़ों से शरीर को दागा भी गया.
सरैयाहाट के थाना प्रभारी विनय कुमार ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि अमानवीय प्रताड़ना का यह दौर शनिवार की रात आठ बजे से रविवार तक चला.
थाना प्रभारी ने बताया कि अस्वारी गांव के ही लोगों ने जादू-टोना करने के शक में तीन ग्रामीण महिलाओं- रसी मुर्मू (55), सोनमुनी टुड्डू (60) और कोलो टुड्डू (45) तथा श्रीलाल मुर्मू नामक 40 वर्षीय पुरुष की जमकर पिटाई की तथा उसके बाद उन्हें जबरन मल-मूत्र पिलाया.
उन्होंने बताया कि घटना के बाद पीड़ित परिवार इस कदर सहमा हुआ था कि किसी ने पुलिस से मदद मांगने की हिम्मत तक नहीं की.
उन्होंने बताया कि रविवार को जब घटना की जानकारी मिली तो पुलिस बल ने गांव में जाकर चारों पीड़ितों को छुड़ाकर इलाज के लिए सरैयाहाट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से चिकित्सक ने सोनामुनी टुड्डू और श्रीलाल मुर्मू की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उन्हें देवघर के एक अस्पताल भेज दिया.
थाना प्रभारी के अनुसार मामले में पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कोशिश जारी है.
दैनिक भास्कर के अनुसार, आरोपियों ने शनिवार को पीड़ितों को धमकी दी थी कि अगर पीड़ितों में पुलिस को सूचना दी तो उनका और बुरा हाल करेंगे.
अख़बार के अनुसार, ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि पीड़ित महिलाएं ज्यादा पूजा-पाठ किया करती थीं इसलिए कुछ लोग संदेह करते थे कि वे लोगों पर टोना करती हैं। जब किसी का कोई मवेशी भी बीमार पड़ता था तो वो उसके लिए इन्हीं को जिम्मेदार मानते थे, इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है.
उल्लेखनीय है कि झारखंड में महिलाओं पर जादू-टोना करने या डायन होने के आरोप लगाकर उनकी हत्या या उनके साथ हिंसा के मामले लगातार सामने आते रहे हैं.
इसी महीने की शुरूआत में झारखंड के रांची जिले में तीन महिलाओं की जादू टोना करने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
सोनाहातू पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले रणडीह गांव में 45 वर्षीय रायलू देवी, 60 वर्षीय ढोलो देवी और 55 वर्षीय अलूमणि देवी को लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या करके शवों को जंगल में फेंक दिया था.
इससे पहले जुलाई महीने में पश्चिमी सिंहभूम जिले के मंझारी थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने डायन होने के संदेह में कुछ लोगों के साथ मिलकर अपनी 45 वर्षीय चाची की हत्या कर शव को जंगल में छुपा दिया था.
इसी महीने गढ़वा जिले के खुरी गांव में ग्रामीणों ने 70 वर्षीय एक महिला को कथित तौर पर इस संदेह में पीट-पीटकर मार डाला कि वह जादू-टोना करती थीं.
जादू-टोना करने के संदेह में किसी व्यक्ति की हत्या कर देना राज्य में एक बड़ी सामाजिक बुराई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, ऐसे मामलों में 2001 और 2020 के बीच कुल 590 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)