मामला औरेया ज़िले के अछल्दा थाना क्षेत्र का है. बीते सात सितंबर को 10वीं कक्षा के एक छात्र के सामाजिक विज्ञान के शिक्षक ने परीक्षा में ग़लत उत्तर देने को लेकर पिटाई की थी. इलाज के दौरान सोमवार को छात्र की मौत हो गई. शिक्षक के ख़िलाफ़ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज होने के बाद से वह फ़रार हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में एक 15 वर्षीय दलित छात्र की परीक्षा में गलत उत्तर देने पर एक स्कूल शिक्षक द्वारा कथित तौर पर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के दो सप्ताह बाद सोमवार को मौत हो गई. उसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, गुस्साए लोगों ने पुलिस के दो वाहनों में आग लगा दी और कुछ निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. जिस स्कूल में कथित तौर पर यह घटना हुई थी, उसके बाहर प्रदर्शनकारियों ने उसके शव को लेकर आंदोलन भी किया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव भी किया. आरोपी शिक्षक, जो एक ‘उच्च’ जाति का है, फरार हैं.
अमर उजाला के मुताबिक, अछल्दा थाना क्षेत्र के बैशौली निवासी छात्र आदर्श इंटर कॉलेज में कक्षा 10वीं में पढ़ता था.
बताया गया कि सात सितंबर को स्कूल गया था, जहां सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अश्वनी सिंह ने टेस्ट लेने के नाम पर उसकी पिटाई की. उसके बाद छात्र की हालात खराब हो गई. कॉलेज का स्टाफ परिजनों को जानकारी देकर छात्र को सीएचसी अछल्दा ले गया था. यहां से छात्र को सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय रेफर कर दिया गया. सोमवार सुबह छात्र ने दम तोड़ दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरोपी शिक्षक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है. साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं.
उधर, जिला विद्यालय निरीक्षक चंद्रशेखर मालवीय ने बताया कि आरोपी शिक्षक को निलंबित करने के आदेश विद्यालय प्रबंधक को दे दिए गए हैं.
पुलिस के अनुसार, जब लड़के के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंप दिया गया, तो प्रदर्शनकारियों ने उसके स्कूल के बाहर सड़क पर शव रखकर नारेबाजी की.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोमवार को छात्र की मौत की खबर के बाद इंटर कॉलेज तत्काल बंद कर दिया गया. इस बीच, ‘भीम आर्मी’ संगठन के कार्यकर्ताओं ने गांव में पहुंचकर हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद भीड़ बढ़ने लगी. आक्रोशित भीड़ ने गांव पहुंची एंबुलेंस में रखे शव को जबरन निकाल कर कॉलेज के बाहर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
बवाल बढ़ने के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन परिजन अपनी मांगे पूरी होने तक शव को वहां से नहीं हटाने पर अड़े रहे. इधर, प्रदर्शनकारियों ने घटना के विरोध में पत्थरबाजी शुरू कर दी.
पुलिस अधीक्षक, औरैया चारू निगम ने मौके पर पहुंचकर मामले को नियंत्रित किया. इस बीच, जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव ने पीड़ित के माता-पिता से मिलकर बात की और यथासंभव मांग पूरी करने का भरोसा दिया. पुलिस महानिरीक्षक प्रशांत कुमार ने भी मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया. पुलिस सूत्रों के अनुसार, मामले के उपद्रवियों पर कार्रवाई की तैयारी भी शुरू हो गई है.
पुलिस अधीक्षक चारू निगम ने बताया कि मामला दर्ज कर आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी के लिए कई टीम का गठन किया गया है.
कानपुर जोन के अतिरिक्त महानिदेशक भानु भास्कर ने कहा कि स्थिति का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ पुलिस और जिला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है.
पुलिस ने कहा कि लड़के के परिवार अंतिम संस्कार के लिए उसके शव को अपने गांव ले गए हैं.
औरैया अंचल अधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पाया गया कि घटना से पहले लड़का गुर्दे की बीमारी से पीड़ित था और उसका लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.
उन्होंने कहा कि उन्हें अस्पताल और लड़के के परिवार के साथ बीमारी और इलाज के विवरण को सत्यापित करने की आवश्यकता है.
पिता द्वारा 24 सितंबर को दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत के अनुसार, शिक्षक ने कथित तौर पर उसे डंडे से पीटा क्योंकि उसे 7 सितंबर को एक सामाजिक विज्ञान की परीक्षा में एक उत्तर गलत मिला था.
कुछ समाचार रिपोर्टों में उल्लेख किया गया है कि शिक्षक ने छड़ से पिटाई की थी और उसे तब तक लात मारी जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया.
शिकायत के अनुसार, शिक्षक ने शुरू में लड़के के इलाज के लिए पैसे देने का वादा करके पिता को 40 हजार रुपये दिए. फिर उसने अपना फोन बंद कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह और पैसे लेने के लिए शिक्षक से मिले, तो उन पर जातिसूचक टिप्पणी की गई.
उन्होंने शिक्षक से दो किस्तों में कुल 40,000 रुपये प्राप्त करने का दावा किया है. वह लड़के को इलाज के लिए लखनऊ के अस्पताल ले गए थे. उनका दावा है कि इटावा में भी कई मेडिकल टेस्ट किए गए, लेकिन उनके बेटे को कोई राहत नहीं मिली.
पुलिस के अनुसार, लड़के के परिवार ने कहा कि वह पिछले दो सप्ताह से अस्पतालों में था.
परिवार ने पुलिस को बताया कि उसकी हालत बिगड़ने पर रविवार रात उसे सैफई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था और सोमवार की सुबह इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
हालांकि, सैफई में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि लड़के को मृत लाया गया था. उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में मैं उसका चिकित्सा इतिहास नहीं जानता.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्हें अस्पताल और उसके परिवार से उसका मेडिकल रिकॉर्ड लेना बाकी है.
औरैया की पुलिस अधीक्षक, चारू निगम ने कहा कि इटावा में डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया गया और वे रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.
लड़के की मौत के बाद पुलिस शिक्षक को गिरफ्तार करने के लिए स्कूल गई, लेकिन वह फरार हो गए. एसपी ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों का गठन किया गया है.
संपर्क करने पर स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि वह पिछले 20 दिनों से छुट्टी पर थे और सोमवार को ही लौटे थे.
उन्होंने कहा, ‘मुझे पता चला है कि 7 सितंबर को शिक्षक ने गलत उत्तर लिखने के लिए लड़के सहित दो छात्रों को पीटा … चार दिन बाद, उसके पिता स्कूल आए और शिक्षक के साथ बहस हुई. उन्होंने कहा कि उनका बेटा गुर्दे की समस्या से पीड़ित था और शिक्षक से उसकी आर्थिक मदद करने का अनुरोध किया.’
उन्होंने कहा कि पुलिस की एक टीम सोमवार को स्कूल आई और घटना के वक्त कक्षा में मौजूद छात्रों के बयान लिए.
इस मामले को लेकर मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अलग-अलग ट्वीट में गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.
अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा, ‘औरैया में एक छात्र की शिक्षक द्वारा पीटे जाने से हुई मृत्यु का समाचार दुखद ही नहीं, बेहद संवेदनशील है. सरकार यथोचित कार्रवाई करे और पीड़ित परिवार को मुआवज़ा भी दे. शिक्षा जीवन देती है, लेती नहीं.’
2. साथ ही, यूपी में दलितों, गरीबों, मजलूमों व अल्पसंख्यकों आदि के साथ-साथ महिलाओं की असुरक्षा का मामला भी काफी चर्चाओं में है. महिला पुलिसकर्मियों के विरुद्ध थाना में शोषण व अन्याय की खबरें भी लगातार सुर्खियों में हैं, जो सरकार के कानून-व्यवस्था के दावे को गलत साबित करती हैं. 2/2
— Mayawati (@Mayawati) September 27, 2022
वहीं, बसपा सुप्रीमो ने प्रदेश सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा, ‘औरैया में शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र की मौत पर सरकारी उदासीनता व लापरवाही का मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है. इंसाफ व उचित कार्रवाई के अभाव में लोग काफी आक्रोशित हैं. बसपा की मांग है कि सरकार ऐसे संगीन मामलों को रफा-दफा करने के बजाय तुरंत प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे.’
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘साथ ही, यूपी में दलितों, गरीबों, मजलूमों व अल्पसंख्यकों आदि के साथ-साथ महिलाओं की असुरक्षा का मामला भी काफी चर्चाओं में है. महिला पुलिसकर्मियों के विरुद्ध थाना में शोषण व अन्याय की खबरें भी लगातार सुर्खियों में हैं, जो सरकार के कानून-व्यवस्था के दावे को गलत साबित करती हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)