केंद्र सरकार द्वारा गैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सामने आई प्रतिक्रियाओं में कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई हिंदुत्ववादी संगठनों पर भी बैन लगाने की मांग की है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसके सहयोगियों को प्रतिबंधित किए जाने के बाद, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को मांग की है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक जैसे संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए.
लालू प्रसाद यादव ने अपने ट्वीट में कहा, ‘पीएफआई की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं, सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसमें आरएसएस भी शामिल है. सबसे पहले आरएसएस को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘आरएसएस पर दो बार पहले भी प्रतिबंध लग चुका है. सनद रहे, सबसे पहले आरएसएस पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था.’
PFI की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है। सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है।
आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है। सनद रहे, सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 28, 2022
उल्लेखनीय है कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा था, जिसे साल भर बाद हटाया गया था.
साल 2019 में द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि इस प्रतिबंध से जुड़े दस्तावेज़ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होने चाहिए, लेकिन तब एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया गया था कि न तो ये राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास हैं और न ही गृह मंत्रालय के.
यदि सांप्रदायिक ताकतों पर पाबंदी लगानी है, तो सबसे पहले आरएसएस को प्रतिबंधित करना चाहिए: माकपा
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, माकपा का मानना है कि पीएफआई चरमपंथी विचारों वाला संगठन है और वह अपने कथित विरोधियों के खिलाफ हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है. हालांकि, दूसरी तरफ उसका यह भी कहना है कि कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाना समस्या से निपटने का समाधान नहीं है.
माकपा ने एक बयान में कहा, ‘प्रतिबंध समस्या से निपटने का उपाय नहीं है. पुराने अनुभवों से पता चलता है कि आरएसएस और माओवादियों जैसे संगठनों पर प्रतिबंध प्रभावी नहीं थे. पीएफआई जब भी अवैध और हिंसक गतिविधियों में शामिल हो तो उसके खिलाफ मौजूदा कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इसकी सांप्रदायिक और विभाजनकारी विचारधारा को उजागर किया जाना चाहिए और लोगों के बीच राजनीतिक तौर पर लड़ा जाना चाहिए.’
वाम दल ने कहा कि पीएफआई और आरएसएस केरल व तटीय कर्नाटक मे हत्याओं और जवाबी हत्याओं में लगे हुए हैं, जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने की दृष्टि से माहौल खराब हो रहा है.
इसने आगे कहा, ‘सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति जैसे चरमपंथी संगठन भी हैं, जिनके लोग धर्मनिरपेक्ष लेखकों और हस्तियों की हत्याओं में फंसे हैं. ये सभी ताकतें, चाहे वे चरमपंथी बहुसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करती हों या अल्पसंख्यक समूहों का, उनका मुकाबला सख्त कानूनी कार्रवाई करके किया जाना चाहिए.’
केरल की सत्तारूढ़ माकपा ने साथ ही कहा कि सांप्रदायिक ताकतों या चरमपंथी संगठनों पर पाबंदी लगाने से इनकी गतिविधियां समाप्त नहीं होंगी और अगर इस तरह का कदम उठाना ही है तो सबसे पहले आरएसएस को प्रतिबंधित करना चाहिए.
इससे पहले मंगलवार को माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा था, ‘यदि किसी संगठन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए तो वह है आरएसएस. यह सांप्रदायिक गतिविधियों को अंजाम देने वाला मुख्य संगठन है. क्या इसे प्रतिबंधित किया जायेगा? एक चरमपंथी संगठन को प्रतिबंधित करने से समस्या हल नहीं होगी.’
उन्होंने कहा कि किसी संगठन को प्रतिबंधित करने से इसकी विचारधारा का अंत नहीं होगा और यह एक नए नाम से फिर अस्तित्व में आ जाएगा.
उन्होंने आजादी के बाद आरएसएस पर लगी पाबंदी और भाकपा पर वर्ष 1950 में लगाए गए प्रतिबंध का जिक्र किया.
वहीं, पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है, बल्कि बेहतर विकल्प यह होता कि उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर उनकी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाती.
अपनी पार्टी के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) द्वारा शासित केरल पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा ‘आतंकवाद का गढ़’ होने का आरोप लगाए जाने पर पलटवार करते हुए येचुरी ने उनसे (नड्डा से) ‘प्रतिशोध के चलते मार डालने के चलन’ पर रोक लगाने और राज्य प्रशासन को चरमपंथी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की इजाजत देने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केरल आतंकवाद का गढ़ है. अगर वह इस तरह के आतंकवाद को रोकना चाहते हैं तो उन्हें आरएसएल को उसके द्वारा प्रतिशोध के चलते की जाने वाली हत्याओं को रोकने के लिए कहना चाहिए. राज्य प्रशासन को कार्रवाई करने दीजिए. राज्य प्रशासन चरमपंथी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा, चाहे वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) हो या कोई अन्य.’
On PFI Ban
The Polit Bureau of the Communist Party of India (Marxist) has issued the following statement:https://t.co/97Eash5xC6
— CPI (M) (@cpimspeak) September 28, 2022
उन्होंने कहा, ‘इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबंध समाधान नहीं है. हमने देखा है कि हमारा अपना अनुभव और भारत का अनुभव क्या रहा है. महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ को तीन बार प्रतिबंधित किया गया था. क्या कुछ हुआ? नफरत और आतंक के ध्रुवीकरण अभियान, अल्पसंख्यक विरोध, अल्पसंख्यकों का नरसंहार, ये सब जारी है.’
कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस ने कहा कि वह बहुसंख्यकवाद या अल्पसंख्यकवाद के आधार पर धार्मिक उन्माद में अंतर नहीं करती.
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी हमेशा से सभी प्रकार की सांप्रदायिकता की खिलाफ रही है, हम बहुसंख्यकवाद या अल्पसंख्यकवाद के आधार पर धार्मिक उन्माद में फ़र्क़ नहीं करते. कांग्रेस की नीति हमेशा से बिना किसी डर के, बिना किसी समझौते के सांप्रदायिकता से लड़ने की रही है.’
उन्होंने कहा, ‘हम हर उस विचारधारा और संस्था के खिलाफ हैं जो हमारे समाज का धार्मिक ध्रुवीकरण करने के लिए पूर्वाग्रह, नफरत, कट्टरता और हिंसा का सहारा लेती है.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं केरल के पूर्व गृह मंत्री रमेश चेनिथला ने कहा कि केंद्र का पीएफआई को प्रतिबंधित करने का फैसला बेहद अच्छा कदम है.
उन्होंने कहा, ‘आरएसएस पर भी इसी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. केरल में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों का समान रूप से विरोध किया जाना चाहिए. दोनों संगठनों ने सांप्रदायिक घृणा को भड़काया है और इस तरह समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की है.’
चेनिथला ने कहा कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है, जिसने बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों द्वारा फैलाई जाने वाली सांप्रदायिकता के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है.
वहीं, केरल से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्नील सुरेश ने कहा, ‘हम आरआरएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना इलाज नहीं है, आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है. आरएसएस और पीएफआई एक समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों को प्रतिबंधित करना चाहिए. सिर्फ पीएफआई को ही क्यों?’
Kerala | We demand for RSS also to get banned. #PFIban is not a remedy, RSS is also spreading Hindu communalism throughout the country. Both RSS & PFI are equal, so govt should ban both. Why only PFI?: Kodikunnil Suresh, Congress MP & Lok Sabha Chief Whip, in Malappuram pic.twitter.com/nzCVTImWw4
— ANI (@ANI) September 28, 2022
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने भी आरएसएस के खिलाफ कार्रवाई की मान की. उन्होंने कहा, ‘हम शांति भंग करने वाले या जो लोग कानून के खिलाफ हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई का विरोध नहीं करते हैं. आरएसएस और अन्य भी उसी तरह शांति भंग कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, ऐसे किसी भी संगठन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.’
Bengaluru | We don’t object to action against anybody who disturbs peace or is against law. RSS & others are also disturbing peace in the same way, action must be taken against them as well, any such organisations must be banned: Cong leader Siddaramaiah pic.twitter.com/NIzMMl62C0
— ANI (@ANI) September 28, 2022
एआईयूडीएफ
ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में पीएफआई के 100 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. मैं पीएफआई का समर्थन नहीं कर रहा हूं, लेकिन पीएफआई को पांच सालों के लिए प्रतिबंधित करने का फैसला करने से पहले सरकार को जांच का इंतजार करना चाहिए था.’
Assam | Over 100 PFI members arrested in last few days. I’m not supporting PFI but Govt should’ve waited for probe before taking decision of banning PFI for 5 yrs. Govt should ask Central Agencies to also probe Bajrang Dal, RSS, VHP who spread hate speech: AIUDF MLA Rafiqul Islam pic.twitter.com/OYf2l1KA7k
— ANI (@ANI) September 28, 2022
उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार को केंद्रीय एजेंसियों से नफरती भाषण देने वाले बजरंग दल, विहिप (विश्व हिंदू परिषद) और आरएसएस की भी जांच करवानी चाहिए.’
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्होंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन, लेकिन संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है, खासकर कि इस बात के आलोक में कि कैसे मुसलमान अदालतों से न्याय पाने के लिए संघर्ष करते हैं.
But a draconian ban of this kind is dangerous as it is a ban on any Muslim who wishes to speak his mind
The way India’s electoral autarky is approaching fascism, every Muslim youth will now be arrested with a PFI pamphlet under India’s black law, UAPA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 28, 2022
उन्होंने ट्वीट किया, ‘लेकिन इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है. जिस तरह से भारत की चुनावी निरंकुशता फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के काले कानून यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई के पैम्पलेट के साथ गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)