यूपी: देव दीपावली पर शिक्षकों को वाराणसी के गंगा घाटों पर साढ़े तीन लाख दीये जलाने का निर्देश

वाराणसी में सात नवंबर को पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देव दीपावली पर गंगा घाटों पर दस लाख दीए जलाए जाने की योजना है. ज़िले के बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार इस मौक़े पर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को साढ़े तीन लाख दीप जलाने होंगे.  

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

वाराणसी में सात नवंबर को पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देव दीपावली पर गंगा घाटों पर दस लाख दीए जलाए जाने की योजना है. ज़िले के बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार इस मौक़े पर बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को साढ़े तीन लाख दीप जलाने होंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने एक पत्र जारी करके बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को देव दीपावली के दौरान साढ़े तीन लाख दीप जलाने का निर्देश दिया है.

अमर उजाला के मुताबिक, वाराणसी में देव दीपावली के मौके पर 10 लाख दीप जलाए जाएंगे. इनमें से साढ़े तीन लाख दिए बेसिक शिक्षा विभाग जलवाएगा. इसके लिए जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने विभागीय शिक्षकों के लिए निर्देश जारी किया है. इसके लिए दीये और तेल बत्ती आदि पर्यटन विभाग उपलब्ध कराएगा.

बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार पाठक की ओर से जारी आदेश के अनुसार, जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों को कुल 3.5 लाख दीप जलाने का काम सौंपा गया है. शिक्षकों को 10 अलग-अलग सेक्टरों में 35,000 हजार दीये जलाने है.

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने हर सेक्टर के लिए प्रभारी भी नियुक्त किया है.

दैनिक भास्कर के मुताबिक, अरविंद कुमार पाठक ने कहा, ‘8 नवंबर को देव दीपावली है. हालांकि, काशी विद्वत परिषद ने देव दीपावली मनाने की तारीख 7 नवंबर तय की है. गंगा पार रेती में सेक्टर-11 से 18 तक तक शिक्षा विभाग दीप जलाएगा. हर सेक्टर में 35 हजार दीये लगाए जाएंगे. इस काम के लिए 10 शिक्षकों को जिम्मेदारियां दी गईं हैं.’

अखबार के मुताबिक, पर्यटन विभाग ने वाराणसी में 10 लाख से ज्यादा दीये जलाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए घाटों पर साफ-सफाई  शुरू किया जा चुका है.

वाराणसी मंडल की पर्यटन उप-निदेशक प्रीति श्रीवास्तव ने कहा, ‘देव दीपावली 7 नवंबर को मनाई जाएगी. देवोत्थान एकादशी के चार दिन बाद यह पर्व होता है. घाटों पर कुल 8 लाख दीये जलाए जाएंगे. गंगा घाटों से उस पार रेत के दीये विजिबल हो, इसके लिए फ्लोटिंग प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जा सकता है.’

नवभारत टाइम्स के मुताबिक, इसी बीच, शिक्षा अधिकारी के पत्र पर विवाद होने लगा, जिसके बाद जिला अधिकारी ने कहा कि देव दीपावली पूरी तरह से पर्यटन विभाग का आयोजन होता है. इसमें शिक्षा के साथ अन्य सभी विभाग के कर्मचारियों का सहयोग लिया जाता है. इसमें किसी सरकारी कर्मचारी से किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं लिया जाता.

जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा, ‘हर साल की तरह देव दीपावली में दुनियाभर से लाखों पर्यटक इस आयोजन को देखने आते हैं. गंगा के घाट पर और दूसरी तरफ रेत पर लाखों दीये एक साथ जलाए जाते हैं. इस आयोजन को संपन्न कराने के लिए हजारों लोगों की जरूरत पड़ती है. सभी विभाग के कर्मचारियों के साथ सैकड़ों एनजीओ और घाट की समितियों से भी मदद ली जाती है.’

उन्होंने कहा, ‘इस आयोजन का पूरा खर्चा पर्यटन विभाग की ओर से दिया जाता है. इसमें किसी भी कर्मचारी से कोई पैसे की मांग नहीं की जाती. इन कर्मचारियों को छोटे-छोटे सेक्टर बनाकर बस दीपों को समय से लगवाने की ज़िम्मेदारी दी जाती है.’

शर्मा ने कहा, ‘ये पूरी तरह से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग का आयोजन होता है और इसमें सभी विभाग के अधिकारी, कर्मचारी मिल कर आयोजन को सफल बनाते हैं. इस बार भी स्थानीय कुम्हारों से ही दीये खरीदे जा रहे है और इनका टेंडर भी हो चुका है.’