पंजाब: मान सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीता, कांग्रेस, भाजपा मतदान से दूर रहे

पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी सरकार के विश्वास प्रस्ताव को 91 विधायकों ने समर्थन किया. आप ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के बाद 'ऑपरेशन लोटस' पंजाब में भी विफल रहा.

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान. (फोटो साभार: फेसबुक)

पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी सरकार के विश्वास प्रस्ताव को 91 विधायकों ने समर्थन किया. आप ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के बाद ‘ऑपरेशन लोटस’ पंजाब में भी विफल रहा.

मुख्यमंत्री भगवंत मान. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: पंजाब में भगवंत मान सरकार ने सोमवार को विश्वास मत हासिल कर लिया. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के 91 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया.

प्रस्ताव को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 27 सितंबर को सदन में रखा था. आप का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है.

हालांकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस मतदान से गैर हाजिर रही. भाजपा के दोनों विधायक पहले ही सत्र का बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके थे. उन्होंने आप सरकार पर विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाकर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

आप ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के बाद ‘ऑपरेशन लोटस’ पंजाब में भी विफल रहा. विश्वास प्रस्ताव पर लंबी चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने इस पर मतदान कराने की व्यवस्था दी. उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन करने वाले विधायकों से हाथ उठाने को कहा और इसके बाद उन सदस्यों से पूछा जो प्रस्ताव के खिलाफ हैं.

परिणामों की घोषणा करते हुए संधवान ने कहा कि आप के 91 विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया.

उन्होंने यह भी कहा कि सदन में मौजूद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के तीन विधायकों में से एक विधायक ने तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया.

मतदान के समय कांग्रेस और भाजपा का कोई भी विधायक नहीं था तथा एकमात्र निर्दलीय विधायक भी सदन में मौजूद नहीं थे. सदन में आप के पास विधानसभा अध्यक्ष समेत 92 विधायक हैं.

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ’93 विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है और कोई भी इसके खिलाफ नहीं है. अतः प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया जाता है.’

पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 18, शिअद के तीन और भाजपा के दो सदस्य हैं.

मतदान के दौरान मौजूद शिअद के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव का विरोध किया है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अध्यक्ष को अपने फैसले से अवगत करा दिया है.

ज्ञात हो कि आप ने पहले दावा किया था कि उसके कम से कम 10 विधायकों से भाजपा ने संपर्क कर उन्हें 25 करोड़ रुपये की पेशकश की थी और ऐसा ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार को गिराने के लिए किया गया था.

मान ने विधानसभा सत्र के पहले दिन विश्वास प्रस्ताव को सदन में पेश किया था और तब उन्होंने भाजपा के कथित ‘ऑपरेशन लोटस’ और कांग्रेस पर कथित तौर पर भाजपा से हाथ मिलाने को लेकर निशाना साधा था.

सोमवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के लोगों ने इस बार आप पर भरोसा जताया है और यह भरोसा कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे खरीदा जा सके.

मान ने सवाल किया कि विपक्षी कांग्रेस और भाजपा चर्चा से क्यों भागे? ‘ऑपरेशन लोटस’ का जिक्र करते हुए भाजपा पर मान ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘देश दो खतरों का सामना कर रहा है- एक आंतरिक और दूसरा बाहरी. आंतरिक खतरा बहुत खतरनाक है, इस समय देश में यही चल रहा है.’

मान ने कहा कि सदन से वॉकआउट करने वाले कांग्रेस विधायकों को उपस्थित रहना चाहिए और प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए क्योंकि कई राज्यों में उनकी पार्टी के विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं.

आप विधायक शीतल अंगुरल ने सोमवार को चर्चा की शुरुआत की थी. अंगुरल ने कहा कि उन्होंने राज्य सतर्कता ब्यूरो को कॉल रिकॉर्डिंग और मोबाइल फोन नंबर सहित सभी विवरण सौंपे हैं तथा एक ‘स्टिंग’ भी दिया है जो उन्होंने उन लोगों का किया था जिनका दावा था कि वे भाजपा के कहने पर उनसे मिलने आए हैं.

अंगुरल के अनुसार, इन तीनों ने ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत धन और पद की उन्हें पेशकश की थी. अंगुरल ने दावा किया कि स्टिंग में उनसे मिलने वालों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे एक भाजपा नेता के साथ बैठक की व्यवस्था करेंगे जो सौदे को अंतिम रूप देंगे.

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘वे कोई भी हथकंडा अपना सकते हैं, लेकिन भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल की टीम ईमानदार है.’

आप विधायक दिनेश चड्ढा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘हमने देखा कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गोवा में क्या हुआ, जिस पार्टी के विधायकों ने सबसे ज्यादा पाला बदला, उसे कहना चाहिए था कि वे इस विश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हैं. मगर कांग्रेस विधायक दावा करते हैं कि विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए संविधान में कोई प्रावधान ही नहीं है.’

आप की वरिष्ठ विधायक बलजिंदर कौर ने भी ‘ऑपरेशन लोटस’ को लेकर भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भाजपा को लगता है कि वह धनबल के दम पर हर जगह सरकार बना सकती है.

उन्होंने कहा, ‘पहले दिल्ली में और अब पंजाब में, उनका ऑपरेशन विफल हो गया है.’

आप के एक अन्य विधायक प्रोफेसर बुधराम ने भाजपा की तुलना लोकतंत्र के ‘सीरियल किलर’ से की.

रिपोर्ट अनुसार, पिछले हफ्ते भाजपा ने आप पर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को धोखा देने और राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा से दूर भागने का आरोप लगाया था.

कांग्रेस ने आप सरकार के विश्वास प्रस्ताव लाने के कदम पर भी सवाल उठाया था और कहा था कि पंजाब विधानसभा में किसी भी नियम ने सत्तारूढ़ दल को ऐसा प्रस्ताव लाने की अनुमति नहीं दी है.

राज्यपाल पुरोहित द्वारा 22 सितंबर को ‘विशेष’ सत्र बुलाने के आप सरकार के अनुरोध पर पहले दी गई सहमति वापस लेने के बाद विवाद खड़ा हो गया था.

दरअसल, राज्यपाल ने स्वयं ‘विशेष’ सत्र के अनुरोध को अपनी सहमति दी थी. आप सरकार ने आरोपों के मद्देनजर विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश करने की मांग की थी कि भाजपा सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को मान की सरकार को गिराने के लिए संपर्क करने की कोशिश कर रही है.

विशेष विधानसभा सत्र की अनुमति वापस लेने को लेकर राज्यपाल के साथ तनातनी के बीच पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार ने 27 सितंबर को एक नियमित सत्र का फैसला किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)