महाराष्ट्र: पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाईकोर्ट ने ज़मानत दी

बीते वर्ष महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. मामले में सीबीआई द्वारा जांच शुरू किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था.

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अनिल देशमुख. (फोटो साभारः MahaDGIPR)

बीते वर्ष महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. मामले में सीबीआई द्वारा जांच शुरू किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था.

अनिल देशमुख. (फोटो साभारः MahaDGIPR)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मंगलवार को जमानत दे दी.

हालांकि, अदालत ने ईडी को जमानती आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए 13 अक्टूबर तक का समय देते हुए तब तक के लिए अपने आदेश पर रोक लगा दी.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि देशमुख परिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट के खाते में डाली गईं दो राशि ‘अपराध से अर्जित आय’ नहीं है, जिस पर ईडी ने संदेह जताया था.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता देशमुख को दो नवंबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था. वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले का भी सामना कर रहे हैं.

जस्टिस एनजे जामदार ने अपने आदेश में कहा कि जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया गया है और देशमुख को एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा किया जाएगा.

हालांकि, अदालत ने आदेश पर 13 अक्टूबर तक रोक लगा दी, क्योंकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि ईडी जमानत आदेश को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी.

शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की पूर्ववर्ती गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुके देशमुख मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद हैं.

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ उगाही के आरोप लगाए जाने के सीबीआई की ओर से एक मामला दर्ज करने के बाद ईडी ने उनके खिलाफ अपनी जांच शुरू की थी.

ईडी ने दावा किया कि देशमुख ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और मुंबई के विभिन्न बार और रेस्तरां से 4.7 करोड़ रुपये एकत्र किए.

ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि गलत तरीके से अर्जित धन को नागपुर स्थित श्री साईं शिक्षण संस्थान को भेजा गया, जो देशमुख के परिवार द्वारा नियंत्रित एक शैक्षणिक ट्रस्ट है.

हालांकि, उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि ट्रस्ट के खाते में डाली गईं दो राशि ‘अपराध से अर्जित आय’ नहीं है.

अदालत ने कहा, ‘खाते में (डाली गई) तीसरी राशि सचिन वाजे के बयान पर निर्भर करती है, जिस पर चर्चा के बाद इस अदालत ने माना है कि यह याचिकाकर्ता (देशमुख) के पक्ष में है.’

न्यायाधीश ने कहा कि वह देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 45 के एक प्रावधान का लाभ भी दे रहे हैं. इस प्रावधान के तहत, यदि कोई आरोपी महिला है, या यदि वह बीमार है तो अदालत जमानत दे सकती है.

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि रिहा होने पर देशमुख सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे. साथ ही कहा कि वह हर तारीख को मुकदमे में शामिल होंगे और अपना पासपोर्ट जमा करेंगे.

जिरह के दौरान, देशमुख के वकील विक्रम चौधरी और अनिकेत निकम ने दलील दी कि उनकी उम्र (72), स्वास्थ्य और उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने के मद्देनजर उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.

ईडी ने कहा कि वह जेल अस्पताल में इलाज करा सकते हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह एनसीपी के नेता देशमुख की याचिका पर तेजी से सुनवाई और फैसला करे, क्योंकि अर्जी छह महीने से लंबित है.

बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी परमबीर सिंह ने मार्च 2021 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य दिया था.

मार्च 2021 में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के बाहर एक वाहन में विस्फोटक मिलने के मामले में गिरफ्तार पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे.

उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2021 में सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इस जांच के आधार पर सीबीआई ने देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के लिए एफआईआर दर्ज की.

24 अप्रैल 2021 को सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत देशमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. हालांकि, उन्हें तुरंत गिरफ्तार नहीं किया गया था.

देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल नवंबर में 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था और उन पर पीएमएलए के तहत आरोप लगाया गया था. इसके बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इसके बाद उन्हें आर्थर रोड़ जेल में रखा गया.

अप्रैल में, सीबीआई ने अतिरिक्त पूछताछ के लिए देशमुख को हिरासत में ले लिया. वझे और देशमुख के दो सहयोगी, कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे, पहले से ही सीबीआई की हिरासत में थे.

वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद देशमुख ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत के लिए मुंबई की एक विशेष अदालत से गुहार लगाई.

उन्होंने सीबीआई द्वारा दायर भ्रष्टाचार के मामले में विशेष अदालत में अपील दायर की.

मामले से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, देशमुख ने अब सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे भ्रष्टाचार के मामले में जमानत के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल माह में, अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. इस संबंध में 26 अप्रैल को आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल को सौंपी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)