कर्नाटक परिवहन विभाग ने कैब संचालक सेवाओं ओला और उबर के साथ-साथ बाइक टैक्सी सेवा उपलब्ध कराने वाली रैपिडो को भी नोटिस जारी किया है. ऐसा कई यात्रियों की उन शिकायतों के बाद किया गया है जिनमें उन्होंने इन ऐप के ज़रिये चलने वाले ऑटो-रिक्शा द्वारा अधिक किराया वसूलने की बात कही थी.
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने ऐप आधारित कैब सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों को शहर में उनकी ‘गैर-कानूनी’ ऑटो-रिक्शा सेवा को बंद करने का निर्देश दिया है. सरकार का कहना है कि यह नियमों का उल्लंघन है.
ओला-उबर जैसी कंपनियों के साथ काम करने वाले ऑटो-रिक्शाओं द्वारा ज्यादा किराया वसूले जाने की शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने उक्त निर्देश जारी किया है.
हालांकि, सरकार ने कंपनियों को तीन दिन का समय दिया है ताकि वे अपनी ऑटो-रिक्शा सेवा से जुड़ी जानकारी परिवहन विभाग के साथ साझा कर सकें.
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन प्राधिकरण ने बुधवार को कंपनियों को इस संबंध में नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया है कि इन कैब कंपनियों को ‘कर्नाटक ऑन-डिमांड परिवहन तकनीक एग्रेगेटर्स नियम -2016’ के तहत सिर्फ टैक्सी सेवा प्रदान करने की अनुमति दी गई है.
आदेश में कहा गया है नियमों के अनुसार सिर्फ टैक्सी सेवा मुहैया कराई जा सकती है और टैक्सी से तात्पर्य मोटर-कैब से है जिसमें चालक के अलावा छह से ज्यादा लोगों के बैठने की सुविधा न हो और जिसके पास सार्वजनिक वाहन का परमिट हो.
विभाग ने आगे कहा है, ‘विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ सेवा प्रदाता उक्त नियम का उल्लंघन करके ऑटो-रिक्शा सेवा भी दे रहे हैं. विभाग को यह भी पता चला है कि ग्राहकों से सरकार द्वारा तय सीमा से ज्यादा किराया वसूला जा रहा है.’
परिवहन विभाग ने अपने नोटिस में कहा है, ‘इसलिए आपको सूचित किया जाता है कि तत्काल प्रभाव से ऑटो रिक्शा सेवा बंद करें.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कर्नाटक परिवहन विभाग ने कैब संचालक सेवाओं ओला और उबर के साथ-साथ बाइक टैक्सी सेवा उपलब्ध कराने वाली रैपिडो को भी नोटिस जारी किया है. ऐसा कई यात्रियों की उन शिकायतों के बाद किया गया है जिनमें उन्होंने इन प्लेटफॉर्म के तहत चलने वाले ऑटो-रिक्शा द्वारा अधिक किराया वसूलने की बात कही थी.
गौरतलब है कि बीते माह भी खबरें आई थीं कि बेंगलुरू में परिवहन विभाग ने कैब संचालक कंपनियों ओला-उबर व अन्य के खिलाफ अधिक किराया वसूलने को लेकर 292 शिकायतें प्राप्त की थीं. कई शिकायतें तो ईमेल के जरिये मुख्यमंत्री तक को भेजी गई थीं. जिसके बाद परिवहन विभाग ने शहर के विभिन्न इलाकों में अधिक किराया वसूलने वाले संचालकों और ड्राइवरों की पहचान के लिए अभियान भी चलाया था.
यात्रियों की शिकायत रही कि ऐप ऑटो-रिक्शा की सवारी के लिए 30 रुपये की तय सीमा के मुकाबले कम से कम 100 रुपये वसूल रहे थे. सरकारी आदेश के मुताबिक, ऑटो-रिक्शा को पहले दो किलोमीटर के लिए न्यूनतम 30 रुपये और उसके बाद प्रति किलोमीटर 15 रुपये किराया लेने का नियम है.
बहरहाल, विभाग ने हालिया सरकारी आदेश का उल्लंघन करने वाली कैब कंपनियों और वाहन मालिकों को चेतावनी दी है कि यदि वे सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.
एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी ने कहा, ‘ऐप्स द्वारा बढ़ाई गई कीमतें हमेशा से परिवहन विभाग की जांच के दायरे में रहीं हैं. बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद कैब संचालक कंपनियों ने अपने तरीकों में सुधार नहीं किया. गुरुवार को बैठक के बाद हमने इन कंपनियों द्वारा दी जाने वाली ऑटो-रिक्शा सुविधाओं को अवैध माना.’
इस बीच, ओला-उबर ड्राइवर्स एंड ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तनवीर पाशा ने कहा कि कैब कंपनियों को लाइसेंस सिर्फ टैक्सियों के लिए मिला हुआ है, ऑटो रिक्शा के लिए नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि कैब कंपनियां ग्राहकों से बहुत ज्यादा किराया वसूल रही हैं.
पाशा ने यह भी कहा कि एसोसिएशन ने एक साल पहले इस संबंध में परिवहन विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
वहीं, ओला कैब सेवा चलाने वाली कंपनी ‘एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड’ ने मामले में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी इस संबंध में प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
(समाचार एजेंंसी भाषा से इनपुट के साथ)