नई दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र बीते 3 अक्टूबर से धरने पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि संस्थान में स्थायी निदेशक की नियुक्ति की जाए, जो बीते चार सालों से नहीं हुई है. उनका यह भी कहना है कि फैकल्टी के अभाव में कई-कई दिनों तक कक्षाएं नहीं हो पा रही हैं, इसलिए स्थायी फैकल्टी भी नियुक्त हो.
नई दिल्ली: दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में विद्यार्थी विद्यालय प्रशासन के खिलाफ बीते 3 अक्टूबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उनकी मुख्य मांग है कि संस्थान में एक स्थायी कलात्मक निदेशक हो और साथ ही वे पर्याप्त स्थायी फैकल्टी नियुक्त करने जैसे प्रशासनिक मुद्दों का भी समाधान चाहते हैं.
इस संबंध में गुरुवार को एनएसडी छात्र संघ ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वे तब तक धरने पर रहेंगे जब तक कि अध्यक्ष और सोसाइटी के सदस्य छात्रों से तत्काल मुलाकात नहीं करते और जिन समस्याओं का वे सामना कर रहे हैं, उनका समाधान नहीं करते.
We, the students of NSD, are protesting against the inefficiency in the functioning of the instituition. pic.twitter.com/QzcvWCcwiY
— National School Of Drama_ Student Union-NSD-SU (@NationalNsd) October 6, 2022
गुरुवार को संघ द्वारा जारी अपने मांग-पत्र में कहा गया है, ‘हम मांग करते हैं कि हमें स्कूल चलाने के लिए एक स्थायी कलात्मक निदेशक मिले. एनएसडी सोसाइटी ने पिछले निदेशक द्वारा चार साल पहले कार्यालय छोड़ने के बाद से स्थायी निदेशक की नियुक्ति नहीं की है. तब से इस पद पर अंतरिम तौर पर नियुक्त किए गए लोग बैठे हैं.’
पत्र में आगे कहा गया है, ‘संस्थान के इस तरह के कामकाज का इसकी छवि पर नकारात्मक असर पड़ता है, जैसा कि छात्र संगठन और देश भर के थिएटर कलाकारों ने महसूस किया है.’
छात्र संगठन ने आगे कहा है, ‘एक स्वायत्त निकाय के रूप में संस्थान वास्तव में एक ऐसे नेतृत्व का हकदार है जिसकी थिएटर में गहरी रुचि हो और देश में थिएटर प्रशिक्षण को लेकर एक दृष्टिकोण हो. हम एक स्थायी निदेशक चाहते हैं जो एक थिएटर कलाकार हो, थिएटर शिक्षाविद हो और ऐसा व्यक्ति हो जिसके पास थिएटर और इसके भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण हो.’
संस्थान के अध्यक्ष अभिनेता परेश रावल हैं. सितंबर 2018 में तत्कालीन निदेशक वामन केंद्रे का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सुरेश कुमार संस्थान के प्रभारी निदेशक बनाए गए थे. इस साल मई में रमेश चंद्र गौड़ ने अतिरिक्त प्रभार के तौर पर पदभार ग्रहण किया था क्योंकि वे स्थायी रूप से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के साथ प्रोफेसर और कला निधि विभाग के प्रमुख के तौर पर जुड़े हैं. उनकी पृष्ठभूमि भी थिएटर की न होकर लाइब्रेरी साइंस की है.
छात्र संघ के एक सदस्य ने कहा, ‘कई प्रशासनिक मुद्दे हैं और ये हमारे छात्र जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. हमें ढंग से कक्षाएं और शिक्षक नहीं मिल रहे हैं. हमारी बहुत सी कक्षाएं गेस्ट फैकल्टी या संविदा पर नियुक्त फैकल्टी द्वारा ली जाती हैं, क्योंकि सिर्फ छह स्थायी फैकल्टी सदस्य हैं.’
उन्होंने आगे बताया कि कई बार इसी के चलते कई दिनों तक कक्षाएं नहीं होतीं. साथ ही, कक्षा के लिए आने वाले प्रोडक्शन और सामग्री के लिए बजट मंजूरी संबंधी मुद्दे भी हैं.
मांगों मे कहा गया है, ‘स्कूल के हर दिन के कामकाज के साथ समस्याओं की सूची बढ़ रही है. इसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण संस्थागत प्रमुख का न होना है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का छात्र होने के नाते यह बहुत ही मनोबल गिराने वाला और चिंताजनक है.’
इस सबके अलावा, रजिस्ट्रार और डीन बदलने की मांग भी की गई है और निदेशक व फैकल्टी की नियुक्ति में पारदर्शिता की मांग पर भी जोर दिया गया है.
पत्र में 6 अक्टूबर से एक छात्र द्वारा भूख हड़ताल करने का भी उल्लेख किया गया है.