फादर स्टेन स्वामी के मानवाधिकारों का हनन किया गया था: शशि थरूर

भीमा कोरेगांव केस में गिरफ़्तार फादर स्टेन ने बीते वर्ष ज़मानत के अभाव में मुंबई के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. उनकी स्मृति में हुए एक कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि स्वामी के मानवाधिकारों का हनन हुआ, जबकि वे बस उपेक्षा के शिकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का प्रयास कर रहे थे.

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फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

भीमा कोरेगांव केस में गिरफ़्तार फादर स्टेन ने बीते वर्ष ज़मानत के अभाव में मुंबई के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. उनकी स्मृति में हुए एक कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि स्वामी के मानवाधिकारों का हनन हुआ, जबकि वे बस उपेक्षा के शिकार आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा का प्रयास कर रहे थे.

फादर स्टेन स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि फादर स्टेन स्वामी के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर फादर स्टेन स्वामी स्मृति व्याख्यान में ‘क्या मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं?’ विषय पर बात कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘फादर स्वामी के साथ त्रासदी यह रही कि उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, जबकि वे बस गरीबी और उपेक्षा के शिकार आदिवासियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने का प्रयास कर रहे थे.’

दो साल पहले 8 अक्टूबर को स्वर्गीय फादर स्टेन स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रांची स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था. उनके खिलाफ भीमा-कोरेगांव जातिगत हिंसा मामले में भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.

5 जुलाई 2021 को एक निजी अस्पताल की कोविड-19 गहन चिकित्सा इकाई में उनका निधन हो गया था. वह पर्किंसन रोग से पीड़ित थे और उनके दोनों कानों की सुनने की क्षमता चली गई थी.

थरूर ने कहा, ‘मानवाधिकार का भाव सकारात्मक होना चाहिए और व्यक्ति को केवल राज्य से सुरक्षा न मिले, बल्कि राज्य द्वारा और राज्य की सुरक्षा मिले ताकि मानव विकास हो.’

उन्होंने कहा कि फादर स्टेन की मृत्यु ने उनके काम और प्रतिबद्धता की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. साथ ही उन्होंने जोड़ा कि दुनियाभर में मानवाधिकारों पर हमले और अजनबियों/विदेशियों से डर का चलन भी देखा जा रहा है.

इस दौरान फादर स्टेन के निकटतम संबंधी फादर फ्रेजर मस्करेनहस ने कहा, ‘फादर स्टेन पूरी तरह से मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध थे, और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके खिलाफ पूरा मामला उनके मानवाधिकारों और अन्यों के मानवाधिकारों का उल्लंघन था.’

फादर स्टेन स्वामी की मौत से कुछ समय पहले ही एक विशेष एनआईए की अदालत ने उनकी चिकित्सा आधार पर जमानत की अर्जी ठुकरा दी थी और कहा था, ‘प्रथमदृष्टया, यह माना जा सकता है कि फादर स्वामी ने प्रतिबंधित संगठनों के अन्य सदस्यों के साथ पूरे देश में अशांति पैदा करने और सरकारी पर दबाव बनाने के लिए एक गंभीर साजिश रची थी.’

मालूम हो कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किए गए आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता 84 साल के स्टेन स्वामी का पिछले साल पांच जुलाई को मेडिकल आधार पर जमानत का इंतजार करते हुए मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था.

एल्गार परिषद मामले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले स्टेन स्वामी सबसे वरिष्ठ और मामले में गिरफ्तार 16 लोगों में से एक थे. स्टेन स्वामी अक्टूबर 2020 से जेल में बंद थे.

वह पार्किंसंस बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें गिलास से पानी पीने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इसके बावजूद स्टेन स्वामी को चिकित्सा आधार पर कई बार अनुरोध के बाद भी जमानत नहीं दी गई थी.

एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित संगोष्ठी में कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई और इस संगोष्ठी का आयोजन करने वालों का संबंध माओवादियों से था.

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