बीते चार सालों में 22 हज़ार से ज़्यादा लोगों की बस हादसों में मौत, अकेले यूपी में क़रीब 5,000

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2021 तक सड़क हादसों में हुईं कुल मौतों में बस यात्रियों की मौत का प्रतिशत क़रीब 3-4 फीसदी रहा है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2021 तक सड़क हादसों में हुईं कुल मौतों में बस यात्रियों की मौत का प्रतिशत क़रीब 3-4 फीसदी रहा है.

बीते हफ्ते नासिक में दुर्घटनाग्रस्त हुई एक बस. इस हादसे में 12 यात्रियों की मौत हुई थी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: वर्ष 2018 से 2021 तक पिछले चार सालों में देश भर में कुल 22,442 लोगों ने बस हादसों में अपनी जान गंवाई है, इनमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब 5,000 लोगों ने जान गंवाई है, जो कुल मौतों का लगभग पांचवा हिस्सा है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट दिखाती है कि 2020 तक मृतकों और घायलों की संख्या में कमी देखी गई, लेकिन पिछले साल मौतों की संख्या बढ़ गई.

2015-17 के दौरान, बस हादसों में होने वाली मौतों का वार्षिक औसत करीब 11,000 था.

हालांकि, सड़क दुर्घटनाओं में हुईं कुल मौतों में बस यात्रियों की मौतों का प्रतिशत करीब 3-4 फीसदी रहा है.

खबर के मुताबिक, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पिछले दो महीनों में 60 यात्री मारे गए हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि इन दुर्घटनाओं के पीछे ड्राइवर का व्यवहार और सड़कों का डिजाइन मुख्य वजह हैं.

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलुजा का कहना है, ‘चयनित जांच और पीड़ितों को तत्काल मुआवजा देने से इस बड़ी बीमारी का केवल लाक्षणिक इलाज होगा.’